Explore

Search
Close this search box.

Search

November 23, 2024 8:20 am

लेटेस्ट न्यूज़

‘टेसू रे, टेसू घंटा बजैयो, नौ नगरी दस गांव बसइयो’ ; ब्रज की प्राचीन परंपरा आज भी जिंदा है, पढ़िए क्या है ये

10 पाठकों ने अब तक पढा

दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट 

नवरात्र के समापन व विजयादशमी पर रावण दहन के बाद बाजारों और गली मोहल्लों में ‘मेरा टेसू यहीं अड़ा, खाने को मांगे दही बड़ा’, ‘टेसू रे, टेसू घंटा बजैयो, नौ नगरी दस गांव बसइयो’ जैसे गाने गाकर पैसा मांगने की परंपरा आज भी चली आ रही है। बालक टेसू लेकर द्वार-द्वार टेसू के गीतों के साथ नेग मांगते हैं, वहीं बालिकाओं की टोली घर के आसपास झांझी के साथ नेग मांगने निकलती हैं। विलुप्त हो रही इस प्राचीन परंपरा को बच्चे आज भी जीवित बनाए हुए हैं। महाभारत काल से टेसू व झांझी का विवाह और उनके गंगा व अन्य घाटों पर विसर्जन की परंपरा भी हमारी संस्कृति से जुड़ी है। 

टेसू व झांझी की मान्यताएं

मान्यता है कि टेसू का आरंभ महाभारत काल से हुआ था। पांडवों की माता कुंती ने सूर्य उपासना व तपस्या के दौरान वरदान से कुंवारी अवस्था में ही दो पुत्र बब्रुवाहन व दानवीर कर्ण के रूप में जन्म दिया था। बब्रुवाहन को कुंती लोकलाज के भय से जंगल में छोड़ आई थी। वह बड़ा ही विलक्षण बालक था। कुछ सालों बाद उपद्रव शुरू कर दिए। इससे पांडव परेशान हो उठे। सुभद्रा ने भगवान कृष्ण से कहा कि वे उन्हें बब्रुवाहन के आतंक से बचाएं। भगवान कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से उसकी गर्दन काट दी, परंतु बब्रुवाहन अमृतपान कर लेने से मर नहीं पाया था। तब कृष्ण ने उसके सिर को छौंकर के पेड़ पर रख दिया। फिर भी वह शांत न हुआ तो श्रीकृष्ण ने अपनी माया से झांझी को उत्पन्न कर टेसू से उसका विवाह रचाया। तभी से उनके विवाह की परंपरा है।

टोटका के रूप में टेसू व झांझी के कराए जाते हैं विवाह 

कुछ स्थानों पर जिन लड़के और लड़कियों के विवाह नहीं होते हैं तो वहां पर टोटका के रूप में टेसू व झांझी के विवाह कराए जाते हैं। एक मान्यता यह भी है कि रावण का अंत होने के बाद लंका में अकाल पड़ गया था। लोगों के पास खाने के लिए कुछ नहीं था। पुरुषों व बालकों ने टेसू व महिलाओं व बालिकाओं ने झांझी के साथ घर जाकर मांगा। मांगने से जो कुछ मिला, उसी से गुजारा किया गया। यह सिलसिला कई दिन तक चला।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

लेटेस्ट न्यूज़