अनिल अनूप की खास रिपोर्ट
देश के साथ-साथ पंजाब में आज दशहरा की धूम है। लोग उत्साह और उमंग से बुराई पर अच्छाई की जीत का यह पर्व मना रहे हैं। लेकिन, अमृतसर के लोगों के दिल में आज भी चार साल पुराना दर्द कायम है। शहर के जौड़ा रेल फाटक के पास दशहरे वाले दिन हुए भीषण हादसे ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। इस हादसे को याद कर लोग आज भी सहम जाते है। रेल लाइन पर खड़े होकर दशहरा उत्सव देख रहे लोगों को ट्रेन ने कुचल दिया था। इसमें 59 लोगों की मौत हो गई थी।
दशहरा उत्सव देख रहे लोग आ गए थे ट्रेन की चपेट में, 59 लोग मारे गए
19 अक्बटूर 2018 को जौड़ा फाटक के पास स्थिति मैदान में हो दशहरा उत्सव हो रहा था। लोग मैदान के पास रेलवे लाइन पर भी खड़े होकर यह उत्सव देश रहे थे। इसी बीच जालंधर से आ रही डीएमयू ट्रेन लोगों को रौंदती चली गई। इस हादसे में 59 लोगों की मौत हो गई और करीब 140 लोग घायल हो गए। इस दौरान चारों ओर चीख, पुकार और चीत्कार सुनाई दे रहा था।
हादसे के लिए जिम्मेदार लोगाें को सजा नहीं मिलने की लोगों को है टीस
इस दर्दनाक हादसे में किसी ने अपना बेटा खोया तो किसी ने पिता, किसी की बेटी तो किसी मां हादसे का शिकार हो गई। लोग आज भी इस दर्द को अपने सीने में दबाए बैठे हैं। मारे गए लोगों के अधिकतर वारिसों को सरकारी नौकरी दे दी गई है, लेकिन कुछ परिवार ऐसे हैं, जो अब भी इसका इंतजार कर रहे हैं। पीड़ित परिवारों के मन में अभी भी यह टीस है कि जिन लोगों के कारण हादसा हुआ, उन्हें कोई सजा नहीं मिली। खानापूर्ती के तौर पर उन पर कार्रवाई की गई।
नवजोत सिंह सिद्धू के करीबी मिट्ठू मदान की अध्यक्षता में हुआ था दशहरा कार्यक्रम
दशहरा कमेटी ईस्ट के प्रधान सौरभ मदान उर्फ मिट्ठू मदान की अध्यक्षता में जौड़ा फाटक के नजदीक स्थित धोबी घाट पर इस दशहरा कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी डा. नवजोत कौर सिद्धू कार्यक्रम में मुख्यातिथि के तौर पर पहुंची थीं। साैरव मदान उर्फ मिट्ठू मदान को सिद्धू का करीबी माना जाता था। रेलवे लाइनों पर खड़े होकर लोग रावण दहन होता देख रहे थे। रेलवे लाइनों की तरफ ही कमेटी की तरफ से एक बड़ी स्क्रीन भी लगाई गई थी।
जीआरपी ने हादसे के लिए अज्ञात लोगाें के खिलाफ दर्ज किया था केस
इसी दौरान जालंधर की तरफ से आई डीएमयू लोगों को रोंदते हुए निकल गई। इस मामले में जीआरपी ने अज्ञात लोगों के खिलाफ ही मामला दर्ज कर लिया था। लेकिन, किसी भी आरोपित की गिरफ्तारी नहीं हुई थी। वहीं अदालत ने दशहरा कमेटी ईस्ट के प्रधान सौरभ मदान मिट्ठू के अलावा महासचिव राहुल कल्याण, कोषाध्यक्ष दीपक कुमार, सचिव करण भंडारी, काबल सिंह और प्रैस सचिव दीपक गुप्ता के अलावा कमेटी के कार्यकारिणी के सदस्य भूपिंदर सिंह के खिलाफ आरोप तय किए थे।
‘रावण’ की भी हुई थी मौत
जौड़ा फाटक के पास कृष्णा नगर निवासी दलबीर की भी मौत हो गई थी। वह यहां होनेवाली रामलीला में रावण की भूमिका निभाते थे। वह रामलीला में रावण की भूमिका निभाने के बाद हादसे से कुछ मिनट पहले ही घर पर कपड़े बदलकर मेले का आनंद लेने गए थे। दलबीर उत्सव स्थल पर लौट रहे थे तो तभी पुतलों का दहन शुरू हो गया और इसी दौरान वह ट्रैक पार करने लगे तो डीएमयू ट्रेन आ गई।
उन्होंने ट्रेन को देख लिया और लोगों को बचाने लगे, लेकिन उनका खुद का पैर ट्रेन के नीचे आ गया। इसके बाद उनका सिर ट्रेन से टकराया और उनकी मौत हो गई। दलबीर के बड़े भाई अब परिवार का पालन पोषण कर रहे हैंं। दलबीर की मां स्वर्ण कौर का कहना है कि पीड़ित परिवारों के आश्रितों को नौकरी दे दी गई, लेकिन उसके परिवार के किसी भी सदस्य को नौकरी नहीं दी गई। सरकार से उन्होंने मांग की है कि उनके भी परिवार के किसी सदस्य को नौकरी दी जाए।
मारे गए करीब 34 लोगों के आश्रितों को मिली नौकरी
जौड़ा फाटक रेल हादसे में अपनी जान गंवाने वाले 59 लोगों में से 34 के करीब के आश्रितों को नौकरी मिल चुकी है। पंजाब तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के समय इन लोगों को सरकारी नौकरियां दी थीं। इन परिवारों को पंजाब सरकार की तरफ से पांच-पांच लाख रुपये और केंद्र सरकार की तरफ से दो-दो लाख रुपये की आर्थिक सहायता भी की जा चुकी है। इसमें सिर्फ एकाध परिवार ऐसा है, जिसे पंजाब सरकार की तरफ से सरकारी सहायता राशि नहीं मिल सकी है। उनका परिवार में आपसी झगड़ा होने के कारण यह राशि नहीं मिल सकी।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."