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November 22, 2024 3:50 pm

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गरबा देख रही 11 साल की इस बच्ची के सिर से अचानक खून का फब्बारा फूट पड़ा, पढ़िए क्या हुआ ऐसा कि वो मौत के पल्ले पड़ गई ?

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सुहानी परिहार की रिपोर्ट

इंदौर । 11 साल की बच्ची की सिर में गोली लगने से मौत हो गई। बच्ची मां की गोद में बैठकर गरबा देख रही थी। तभी उसके सिर से अचानक खून का फव्वारा फूट पड़ा। मां को कुछ समझ नहीं आया और वह बेटी को लेकर सीधे अस्पताल पहुंची। घटना मंगलवार रात करीब 10.30 बजे की है। बच्ची ने 12 घंटे तड़पने के बाद अस्पताल में दम तोड़ दिया। गोली किसने चलाई अबतक इसका पता नहीं चल पाया है।

मां ने कहा- गोद में बैठी गरबा देख रही थी बेटी

हीरानगर थाना क्षेत्र के शारदा नगर में रहने वाली रक्षा शिंदे ने बताया- मैं बेटी माही और बेटे हार्दिक को लेकर कॉलोनी में चल रहे गरबा देखने के लिए गई थी। बेटी मेरी गोद में बैठी थी। कुछ देरा बाद अचानक पटाखे चलने जैसी आवाज आई। मैं कुछ समझ पाती इससे पहले ही मेरी गोद में बैठी बेटी के सिर से खून का फव्वारा फूट गया। मैं घर से 500 मीटर दूर थी। बेटी माही का सिर दबाकर मैं घर की ओर भागी। मुझे लगा किसी ने पत्थर मारा होगा। मैं पति संतोष के साथ बेटी को लेकर बापट चौराहा स्थित बारोड़ अस्पताल पहुंची। अस्पताल ने हमें बच्ची को वहां से ले जाने को कहा। तब हम उसे लेकर स्कीम 54 स्थित राजश्री अस्पताल ले गए। वहां सबसे पहले बेटी का सिटी स्कैन किया गया। वहां पता चला कि इसे सिर में गोली लगी है।

पिता बोले-किसी ने गोली चलते नहीं देखी

माही के पिता संतोष किराने की दुकान चलाते हैं। वे मूल रूप से महाराष्ट्र के अहमदनगर के रहने वाले हैं। उन्होंने बताया कि बेटी माही हर साल इसी पंडाल में गरबा करने जाती थी। लेकिन वह इस साल यहां गरबा करने नहीं गई थी। वहीं 6वीं क्लास में पढ़ रही थी। गरबा पंडाल में कई लोग मौजूद थे। किसी ने गरबे के दौरान गोली चलते नहीं देखी।

दुश्मनी या विवाद का एंगल सामने नहीं आया

एसआई कमल किशोर सोलंकी के मुताबिक घटना शारदा नगर के पास की है। सुबह तक उसका उपचार चलता रहा। लेकिन 9 बजे बाद तबीयत बिगड़ने लगी। सुबह 10.30 बजे उसकी मौत हो गई। पुलिस एसआई सोलंकी ने बताया हमने पूछताछ की पर किसी ने गोली चलते नहीं देखी है। इलाके के सीसीटीवी फुटेज भी चेक कर रहे हैं। मामले की जांच की जा रही है। पुलिस के मुताबिक परिवार की कोई दुश्मनी या विवाद का एंगल भी सामने नहीं आया है।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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