कमलेश कुमार चौधरी के साथ दुर्गा प्रसाद शुक्ला की खास रिपोर्ट
हर तरफ चीत्कार… सिसकियां…सड़क किनारे खंती में भरे पानी में उफनाता मौत का ‘समंदर’ और आंसुओं के ‘ज्वार भाटे’। टार्च और वाहनों की रोशनी के बीच पानी से बाहर निकल रहे लोगों के हाथों में गंभीर हालात में कोई बच्चा या महिला थी तो कुछ लुंज-पुंज स्थिति में शव लिए सड़क किनारे रख रहे थे।
ऐसा खौफनाक मंजर देखकर कुछ की रो-रोकर आंखें सूख गईं तो सैकड़ों लोगों के दिल दहल उठे। बच्चे के मुंडन संस्कार में शामिल होकर लौटते समय खुश करीबी, परिचित और रिश्तेदारों के एक पल में ट्रैक्टर-ट्राली सड़क किनारे खंती में पलटने से जलसमाधि में चले जाने का यह दर्दनाक दृश्य देखकर आसपास गांवों के लोग, प्रशासनिक अधिकारी और पुलिसकर्मी भी सिहर उठे।
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साढ़ से घाटमपुर मार्ग पर डेढ़ साल पहले खोदा गया गड्ढा शनिवार को मौत के समंदर के रूप में कई जिंदगियों को निगल गया। छह फीट गहरी खंती में वर्षा के दौरान ही पानी भरा था। जब बच्चे का मुंडन संस्कार कराने के बाद कोरथा गांव के लोग खुशी के पलों को संजोते हुए लौट रहे थे, तभी उन्हें बड़ा दर्द मिल गया।
अपनों को खोकर बची सिर्फ आंसुओं की धार
घाटमपुर-साढ़ मार्ग पर ट्रैक्टर हादसे में 26 लोगों की मौत ने कोरथा गांव में हर किसी को जख्म दिया है। गांव में किसी के घर का चिराग बुझा तो किसी ने जीवन संगिनी को खो दिया है। उनपर तो दुखों का पहाड़ टूटा है, जिनका पूरा परिवार हादसे की भेंट चढ़ गया है। गांव में हर ओर चीत्कार की गूंज है और करुण क्रंदन देखने वालों की आंखें नम हो रही हैं। गांव पहुंचीं केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति तो फफक फफक कर रो पड़ीं।
हादसे का शिकार हुआ पूरा परिवार
गांव में रहने वाली तारा देवी का भरा पूरा परिवार था। दो बेटे, बहुएं और तीन बच्चे उनके घर की जान थे। हंसता खेलता यह परिवार हादसे का शिकार हुआ तो भाई को भाई के ही कंधे का सहारा बचा था। 70 वर्षीय तारा देवी अपने बड़े बेटे राम दुलारे उनकी पत्नी कलावती, 17 वर्षीय बेटी मनीषा, नौ वर्षीय बेटे छोटू और छोटे बेटे शिवराम उसकी पत्नी जय देवी और बेटे रवि के साथ ट्रैक्टर पर सवार थीं। हादसा हुआ तो इसमें राम दुलारे और शिवराम ही जीवित बचे जबकि परिवार के अन्य सभी सदस्यों की मौत हो गई।
सूख गए राम दुलाने के आंसू
रामदुलारे के परिवार में सबसे ज्यादा सदस्यों की मौत हुई है। उनकी पत्नी लीलावती, बेटी मनीषा, बेटा रोहित, मां फूलमती हादसे का शिकार हुईं और अब इस दुनयां में नहीं हैं। उनके भाई शिवराम की पत्नी जयदेवी और बेटे रवि ने भी हादसे में जान गंवाई है। रामदुलारे के आंसू अब सूख चुके हैं। उसके घर में अब सूरज, बेटी संगीता और शिवराम के दो बेटे रोहित और छोटू हैं।
गांव में दूसरा सबसे ज्यादा कल्लू काे हादसा दुख दे गया है। कल्लू की पत्नी विनीता, बेटी सानवी और बेटे शिवम की मौत के बाद कल्लू ही अकेले बचे हैं। तीनों के शव गांव पहुंचे तो वह बदहवास हो गए और सिर पर हाथ रखकर रोने लगे। ग्रामीणों ने उन्हें ढांढस बंधाया है।
एक रामसजीवन ने खोई पत्नी तो दूसरे ने बेटी
कोरथा गांव में रामसजीवन नाम के दो लोग हैं। इसमें एक राजसजीवन की पत्नी मिथलेश और दूसरे रामसजीवन की बेटी अंजली की मौत हादसे में हुई है। दोनों ही घरों में मातम छाया और उस पल को कोस रहे हैं जब वे घर से निकले थे।
मां की मौत के बाद अनाथ हो गए तीन बच्चे
हादसे में गांव की ऊषा की मौत के बाद 10 वर्षीय अजय, 12 वर्षीय लक्ष्मी और 15 वर्षीय प्रदीप अनाथ हो गए हैं। ऊषा के पति बृजलाल की बीमारी से कुछ समय पहले मौत हो गई थी। गांव वाले और परिवार के लोग तीनों बच्चों को ढांढस बंधाते रहे।
कोरथा गांव में रहने वाले राजू ही बेटे का मुंडन कराने चंडिका देवी मंदिर गए थे। हादसे में उनकी बेटी रिया और मां रामजानकी की मौत हुई है। उनकी पत्नी और बेटा एलएलआर अस्पताल में भर्ती हैं, जहां हालत गंभीर बनी हुई है।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."