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18 January 2025 2:28 pm

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106 वीं जयंती के उपलक्ष्य में ; पण्डित दीनदयाल उपाध्याय की कीर्तियों की चर्चा की गई

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इरफान अली की रिपोर्ट 

देवरिया। अंत्योदय के प्रणेता पण्डित दीनदयाल उपाध्याय की 106 वीं जयंती के उपलक्ष्य मे पं. दीन दयाल उपाध्याय के व्यक्तित्व व कृतित्व पर आधारित गोष्ठी कार्यक्रम का आयोजन नेहरू युवा केन्द्र देवरिया कार्यालय पर किया गया।

कार्यक्रम का शुभारंभ पण्डित दीनदयाल उपाध्याय के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर सेवा समिति बनवारी लाल इंटर कॉलेज देवरिया के प्रधानाचार्य व भाजपा नेता डॉ. अजय मणि त्रिपाठी ने गोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि पं.दीनदयाल उपाध्याय जी द्वारा सम्पूर्ण विश्व को दी गई एकात्म मानव दर्शन विश्व कल्याण की राह बताता है। आज के जनमानस के लिए आर्थिक संपन्नता आवश्यक है लेकिन दीनदयाल जी ने जीवन मे धन के प्रभाव व धन के अभाव दोनों को गलत माना है। युवाओ के लिए आज के दौर में समझ और समझ का भ्रम दोनों में अंतर करना होगा।

दीनदयाल जी द्वारा दी गई अवधारणा हर हाथ को काम और हर खेत को पानी अर्थव्यवस्था को सुदृढ करने के साथ रोजगार सृजन का आधार है। वास्तव में सामान्य जन के लिए भारतीय लोक कल्याण की सूत्रों को पढ़ना असम्भव है लेकिन दीनदयाल उपाध्याय जी के एकात्म मानव दर्शन को पढ़ लेना उन सूत्रों को समझने जैसा है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे जिला युवा अधिकारी विकास तिवारी ने अतिथि का आभार व्यक्त करते कहा कि उपाध्याय जी की जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए। बाल्यकाल से लेकर युवा अवस्था तक अपने स्वजनों को खोकर विभिन्न पारिवारिक दु:खो का आघात भी भारत माता की सेवा करने से बाधित नही कर सकी। प्रखर विचारक के रूप में राष्ट्रधर्म,पांचजन्य जैसी कालजयी पत्रिका का संपादन, विभिन्न समाचार पत्रों के माध्यम से लेखन के विभिन्न आयाम को स्थापित करना और अध्ययन के दौरान शैक्षणिक संस्थाओ में मेधा के दम पर शीर्ष स्थान पर काबिज होने के साथ जनसंघ जैसे राष्ट्रवादी संगठन के कुशल महामंत्री के रूप में कार्य करना उनके व्यक्तित्व और कृतित्व को दर्शाता है। उनकी कार्य के प्रति समर्पण एवम राष्ट्र के प्रति भक्ति भावना से प्रभावित होकर डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कहा था कि यदि मुझे दीनदयाल उपाध्याय जैसे दो व्यक्तित्व वाले कार्यकर्ता मिला जाए तो मैं देश की दशा और दिशा दोनों बदल सकता हूँ।

राष्ट्रीय युवा स्वयंसेवक देवव्रत पाण्डेय ने पण्डित दीनदयाल उपाध्याय को एक लेखक के रूप में प्रकाश डालते हुए कहा कि दीनदयाल उपाध्याय के अन्दर की पत्रकारिता तब प्रकट हुई जब उन्होंने लखनऊ से प्रकाशित होने वाली मासिक पत्रिका राष्ट्रधर्म में वर्ष 1940 के दशक में कार्य किया। अपने आर0 एस0 एस0 के कार्यकाल के दौरान उन्होंने एक साप्ताहिक समाचार पत्र पांचजन्य और एक दैनिक समाचार पत्र स्वदेश शुरू किया था। उन्होंने नाटक चंद्रगुप्त मौर्य और हिन्दी में शंकराचार्य की जीवनी लिखी। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ0 के0 बी0 हेडगेवार की जीवनी का मराठी से हिंदी में अनुवाद किया। उनकी अन्य प्रसिद्ध साहित्यिक कृतियों में सम्राट चंद्रगुप्त, जगतगुरू शंकराचार्य, अखंड भारत क्यों हैं , राष्ट्र जीवन की समस्याएं , राष्ट्र चिंतन और राष्ट्र जीवन भी है।

कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रीय युवा स्वयंसेवक शुभम त्रिपाठी के द्वारा किया गया।

उक्त अवसर पर सतेंद्र मणि त्रिपाठी, गुलजार त्यागी ( जिला समन्वयक यूनिसेफ ), विकास कुमार यादव (पूर्व राष्ट्रीय युवा स्वयंसेवक), शाइस्ता परवीन (पूर्व राष्ट्रीय युवा स्वयंसेवक),
देवव्रत पाण्डेय, राहुल मल्ल, शशांक पाण्डेय, कंचन मौर्या, दीपक पाल, अवनीश शाही, नागेंद्र यादव, लक्ष्मी मिश्रा, कंचन मौर्या, मोनी विश्वकर्मा, मनोरमा सिंह, गरिमा पाण्डेय, अमिता तिवारी, नेहा राव, नीरज यादव, शाहजहा खातून समेत अनेक युवा मण्डल दल के पदाधिकारी व सदस्यों की उपस्थिति रही।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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