Explore

Search
Close this search box.

Search

November 22, 2024 10:58 am

लेटेस्ट न्यूज़

अस्पताल में पांच पदस्थापित डाक्टर फिर भी मरीज चिकित्सा के अभाव में तोड़ रहे दम ; बड़ा सवाल

12 पाठकों ने अब तक पढा

संवाददाता- विवेक चौबे

गढ़वा : रोगियों के साथ खिलवाड़ कर रहे थे झोलाछाप डॉक्टर। अब तो सरकारी अस्पताल में भी रोगियों की जान चली जा रही है। आखिर इसका जिम्मेवार कौन है?

उपायुक्त के निर्देश पर जिले के कांडी प्रखण्ड में अवैध चल रहे कई निजी क्लिनिक पर छापेमारी कर सील कर दिया गया। झोलाछाप डॉक्टरों में इतनी हड़कम्प मच गई कि उनकी हिम्मत एक टैबलट भी नहीं देने की हो रही है। झोलाछाप डॉक्टर लगातार गरीब रोगियों की जान ले रहे थे। इसलिए उपायुक्त ने कांडी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में समय सारणी के अनुसार अस्थायी रूप से ही सही, लेकिन 5 चिकित्सकों को पदस्थापित करने का निर्देश दिया। कुछ दिन तो बिल्कुल ठीक-ठाक इलाज चल रहा था।

सरकारी डॉक्टरों की पदस्थापना से प्रखण्ड की जनता में खुशी की लहर दौड़ गई थी, किन्तु उक्त अस्पताल व स्वास्थ्य व्यवस्था की लापरवाही के कारण गरीब रोगियों की जान चल रही है। स्वास्थ्य विभाग पर यह बड़ा सवाल खड़ा होता है।

मामला है कि जिले के कांडी प्रखण्ड क्षेत्र अंतर्गत सड़की गांव के 65 वर्षीय नंदकिशोर पाल को अचानक पेट मे दर्द हुआ। मंगलवार की रात्रि में तकरीबन 11 बजे परिजनों द्वारा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कांडी लाया गया, जिन्हें पेट में गैस की शिकायत थी। पेट फूलता गया, पीड़ित व्यक्ति दर्द से कराहता रहा। हास्यपद तो यह कि उक्त अस्पताल में एक भी सरकारी चिकित्सक मौजूद नहीं थे। रोगी को एक गोली तक नहीं दी गई। अंतिम समय में नर्स व गार्ड के द्वारा बोला गया कि मझिआंव रेफरल अस्पताल ले जाइए। वहीं 108 एम्बुलेंस को कॉल किया गया, लेकिन एम्बुलेंस नहीं आया। इसके बाद निजी वाहन से मझिआंव रेफरल अस्पताल ले जाया जाने लगा कि रास्ते में ही पीड़ित व्यक्ति की मौत हो गई। इसके बाद भी परिजनों को सांत्वना नहीं हुआ। मझिआंव रेफरल अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इसके बाद शव को घर पर लाया गया। परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है। मृतक अपने पीछे पत्नी, दो पुत्र सहित भरा-पूरा परिवार छोड़ गया। मृतक के दोनों पुत्र गुजरात में सरिया सेंट्रिंग में मजदूरी करते हैं।

वहीं मृतक का भतीजा दिलीप पाल ने आरोप लगाते हुए कहा कि प्रखण्ड में अवैध चल रहे अस्पताल से भी बदतर है उक्त सरकारी अस्पताल की हालात। उसने बताया कि इलाज के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कांडी में ले जाया गया था, जहां कोई चिकित्सक नहीं थे। कोई दवा तक नहीं दी गई। यदि चिकित्सक होते व समय पर दवा दी जाती तो सम्भवतः पीड़ित की जान बच सकती थी।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

लेटेस्ट न्यूज़