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December 3, 2024 2:21 am

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“चाट बेचना मेरा व्यवसाय है और चुनाव लड़ना मेरी मजबूरी” ; संघर्ष के पर्याय बने सुनील गुप्ता 

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अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट 

प्रयागराज। वह चुनाव खुद के साथ-साथ दूसरों को न्याय दिलाने के लिए लड़े थे और चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। सुनील के जीवन में एक हादसा होता है कि वह चुनाव लड़ने को मजबूर हो जाते हैं। 2016 में विराेधियों ने जमीन विवाद को लेकर उनके ऊपर जानलेवा हमला किया। न्याय के लिए सुनील दर-दर भटकते रहे, लेकिन न्याय नहीं मिला। अंत में 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने शहर उत्तरी से विधायकी का चुनाव लड़ा।

आनंद भवन से करीब 100 मीटर की दूरी पर एक चाट की दुकान है, जहां चाट खाने वालों की भीड़ रहती है। दुकानदार का नाम है सुनील, जिसे लोग सुनील चाट के नाम से जानते हैं। 5 बरस पहले विधायकी का चुनाव लड़ने वाले सुनील आज लोगों को चाट खिला रहे हैं। सुनील कहते हैं कि चाट बेचना मेरा व्यवसाय है और चुनाव लड़ना मेरी मजबूरी।

सुनील कहते हैं कि वर्ष 2017 के पहले UP में इतनी गुंडागर्दी थी कि वह तंग आ चुके थे। दबंग उन्हें बहुत परेशान कर रहे थे। इस गुंडागर्दी के खिलाफ मैंने चुनाव लड़ा। लोग मेरे साथ थे, लेकिन कोई बड़ी राष्ट्रीय पार्टी का उम्मीदवार न होने के नाते मुझे हार का सामना करना पड़ा था। उन्होंने कहा कि यदि किसी राष्ट्रीय पार्टी से टिकट मिलता है तो वह 2027 के विधानसभा चुनाव में फिर उतरेंगे।

सुनील गुप्ता कहते हैं कि जब से प्रदेश में योगी की सरकार बनी है तब से यहां गुंडाराज पूरी तरह से खत्म हो चुका है। सुनील को उम्मीद है कि योगी सरकार में उन्हें न्याय मिलेगा। वह कहते हैं कि योगी सरकार आने के बाद से वह अपना बिना किसी भय के अपनी दुकान चला रहे हैं। उनके शरीर के हिस्सों में आज भी गोली लगने के निशान साफ दिखते हैं। सुनील तो खुद हाईस्कूल तक की पढ़ाई किए हैं, लेकिन अपनी तीनों बेटियां को डॉक्टरी और इंजीनियरिंग की पढ़ाई करा रहे हैं।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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