-अनिल अनूप
राहत इंदौरी साहब का एक शेर है –
सफलता यूँ ही नहीं मिलती लेनी पड़ती हे,
मेहनत के आगे झुकना और लोगो से लड़ना पड़ता हे,
यूँ बैठे रहोगे तो नाकामयाबी ही हाथ आएगी,
कामयाबी पानी हे तो उठना भी पड़ता हे।
सफलता अपेक्षाओं की एक परिभाषित सीमा को पूरा करने की अवस्था या स्थिति है। इसे विफलता के विपरीत के रूप में देखा जा सकता है। सफलता के मानदंड संदर्भ पर निर्भर करते हैं, और किसी विशेष पर्यवेक्षक या विश्वास प्रणाली के सापेक्ष हो सकते हैं।
अपनी जिंदगी में कामयाब कौन नहीं बनना चाहता ! हर व्यक्ति का सपना होता है कि वह एक सफल इंसान बने और कामयाबी हासिल करे परंतु सफलता हासिल करना इतना आसान भी नहीं होता। लेकिन दृढ़ सकंल्प कर लिया जाए तो फिर इंसान हर मुकाम को हासिल कर सकता है क्योंकि दुनिया के हर व्यक्ति के अंदर कोई न कोई अच्छी आदतें जरूर होती हैं, जो सफलता पाने में उनकी मदद करती है। कुछ लोगों में ये आदतें पैदाइशी होती है तो कुछ लोग दूसरे लोगों से इंस्पायर होकर उन आदतों को अपने अंदर डालने करने की कोशिश करते हैं। तो आइए जानते हैं उस प्रसंग को जिसे पढ़ सुन कर आप भी कामयाब हो सकते हैं।
हर व्यक्ति को अपना एक लक्ष्य जरूर बनाना चाहिए क्योंकि कामयाब होने के लिए एक लक्ष्य का निर्धारित होना बेहद जरूरी होता है पर कभी लक्ष्य प्राप्त करने में समय लग जाए तो हिम्मत हारने की बजाय अपने इरादों को और भी मजबूत बना लें। जिसके बाद आपकी जीत अवश्य होगी। इसी सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ रहे जी एम एकेडमी सलेमपुर देवरिया के छात्रों ने समय समय पर नायाब उदाहरण पेश किए हैं।
मैं एक लेखक और पत्रकार की हैसियत से जब भी इस विद्यालय के छात्रों की उड़ानों की पैमाईश करना चाहता हूं तो (ये अमूमन दो चार बार हुआ है कि) मेरा पैमाना असफल हो गया। अगरचे इन बच्चों के संदर्भ या विद्यालय के विषय पर लिखने या गुनने का अवसर मुझे मिला तो नहीं लेकिन गलती मैं मानता हूं कि पेशागत प्रवृत्ति के तहत मुझे इन मौकों को स्वयं तलाश करनी चाहिए थी।
कल (१२/०९/२०२२) जब जेईई एडवांस परीक्षा में उक्त विद्यालय के छात्रों के कामयाबी की सूचना मिली तो मन आह्लादित हो उठा और दिल ने दुआएं की थी कि इस विद्यालय प्रबंधन को ऐसी जीत का सेहरा हमेशा पहने रहने का अवसर मिलता रहे।
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बच्चे समाज देश और वातावरण के नियंता होते हैं तो विद्यालय उसका संरक्षक और शिल्पकार की भूमिका का एकलौता पात्र। मुझे एक बार औचक उक्त विद्यालय परिसर में जाने का एकांत अवसर मिला है। एकांत इसलिए कहना मजबूरी में पड़ा कि जब गया था तो वह समय विद्यालय का समय नहीं था। मेरे प्रिय अनुज मोहन द्विवेदी जी एकलौते उस वक्त उक्त विद्यालय परिसर में उपलब्ध प्राणी थे। खैर, मंदिर में चाहे जब जाएं आपको अलौकिकता का आभास हो ही जाता है, सो उस वक्त मुझे भी यही अनुभव हुआ कि मैं किसी अद्भुत स्थान पर आया हूं। उसके बाद से तो उक्त अद्भुत अनुभूति के बहुत सारे प्रमाण अनुज द्विवेदी जी द्वारा समाचार विचार के माध्यम मिलता रहा। आज चंद शब्दो मे ही सही जीएम एकेडमी के संदर्भ को अपनी लेखनी का विषय बनाते हुए मैं धन्य हो गया हूं।
जेईई एडवांस में सफल सभी छात्रों को मेरी दिली शुभकामनाएं तो है ही साथ साथ विद्यालय प्रबंधन को बहुत बहुत आभार कि उनका यह अनवरत योगदान देश हित में काफी महत्वपूर्ण माना जा सकता है। विद्यालय के सभी विद्वान अध्यापकों को मेरा कोटि कोटि नमन जिन्होंने अपनी अद्भुत शैक्षणिक कौशल को इस प्रकार प्रदर्शन करने में समर्पित कर दिया है कि वह लाखों करोड़ों के लिए प्रेरणास्रोत हैं।
विद्यालय प्रबंधक श्रीप्रकाश मिश्र जी से रुबरु होने का मौका मिला तो नहीं लेकिन उनके कुशल प्रशासनिक प्रबंध के नमूने ही कम नहीं उनको जानने के लिए ! उन्होंने अपनी बौद्धिक और व्यावहारिक कौशल का विकास इस तरह किया है जो किसी केवड़े की खुशबू की तरह यत्र तत्र सर्वत्र महकता रहता है और मेरे पास जीएम एकेडमी की यह खुशबू सलेमपुर देवरिया से चलकर हजारों किलोमीटर दूर पंजाब में पंहुच रहा है, ये भी किसी खास परिचय से कम नहीं।
विद्यालय की विदुषि प्रधानाध्यापिका डाक्टर संभावना मिश्रा जी भी कम बधाई की पात्रता नहीं रखती जिनके कुशल मार्गदर्शन में छात्रों का समुचित शिक्षा विकास का परिणाम सामने आ रहा है । मैं श्रीमती मिश्रा साहिबा को भी दिल से साधुवाद देता हूं।
छात्र अक्षय विश्वकर्मा और अंकित पांडेय इस विद्यालय के दो खुशबूदार फूल को मैं आत्मिक अनुभूति से गले लगा रहा हूं जिसने अपने विद्यालय और गुरुजनों की मेहनत का परिणाम बनकर जनपटल पर अपने नाम को अंकित किया है। धन्यवाद आपका और धन्यवाद जीएम एकेडमी सलेमपुर का। आप दोनों को बस इतना ही कहना चाहूंगा कि
कामयाबी चाहते हो तो मौका देने वाले को कभी धोखा,
और धोखा देने वाले को कभी मौका न देना।
(नोट – अनुभूतियां वर्णन करने वाले अनिल अनूप समाचार दर्पण 24 परिवार के संस्थापक संपादक हैं और देश के प्रतिष्ठित अखबारों और पत्रिकाओं के स्थापित स्तंभकार, समीक्षक और टिप्पणीकार हैं – संपादकीय विभाग)
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."