रामू यादव की रिपोर्ट
देवरिया। “लड़की हुई तो क्या हुआ, लड़कों से किसी मामले में कम नहीं” जी हां। परंपराओं की रुढ़िवादी लकीर को लांघकर अगर कर्मशीलता की सीमा पार कर रही कोई युवती दिखाई देती है तो आरंभिक अवस्था में कुछ ताने और आलोचनाएं सहन करनी होती है लेकिन एकलव्य की भांति जीवन में कभी पीछे नहीं देखने को दृढ़प्रतिज्ञ इरादा इन सबको भी रौंद देती हैं।
देवभूमि देवरिया जनपद के दक्षिणाचल मे स्वरोजगार की शुरुआत करते हुए एक यूवती ने रोजगार के नए आयाम स्थापित कर दिखाए हैं इस लड़की ने ये बात साबित कर दी है कि देखिए हम लड़की हैं तो क्या हुआ हम किसी से भी कम नहीं हैं बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ का नारा तो सरकार देती है ।
जिस लड़की की आज हम बात कर रहे हैं उसने अपने बिकलांग बीमार लाचार पिता बिरजाभार चौहान व नौ साल की छोटी बहन गुड्डी का ख्याल रखते हुए घर व परिवार के लोगों का पेट पालने का फैसला लेते हुए ई रिक्शा चलाने का निर्णय लिया है लगभग 22 वर्षीय युवती संगीता चौहान खूखून्दु थाना क्षेत्र के जिगनी सोनौली के चौहान टोला मगहरा के समीप की रहने वाली है, वह सुबह 9 बजे से मगहरा चौराहा बरठा चौरहा , मईल,तेलिया तक शाम के 5 बजे तक ई-रिक्शा चलाती है जिसमें दो सौ से तीन सौ रुपये तक बचा लेती हैं जिससे उसके परिवार का भरण पोषण होता है। संंगीता एक मेहनती और परिश्रमी लड़की है जिसने लोक लाज को किनारे रखते हुए ई रिक्शा चलाने का निर्णय लेने जैसा अदम्य साहस दिखाया है।
संगीता अपने हर सवारी को उसके सही स्थान पर पहुंचाती है। संंगीता को ई-रिक्शा चलाता देख यात्री काफी हैरान होते हैं। परिवार का पेट पालने के लिए ई-रिक्शा चलाने की राय चाचा ने दिया।
संगीता कहती है कि वो इस काम से बहुत खुश है। उसका मानना है कि कोई काम छोटा बड़ा नहीं होता, लड़की हैं तो क्या हुआ, मैं भारत की बेटी हूं’ आज भारत की महिलाएं देश के सर्वोच्च पदों पर हैं। महिलाएं किसी क्षेत्र में पुरुषों से कम नहीं है। प्राचीन समय से महिलाओं ने समाज के विकास व संरक्षण मे महत्वपूर्ण योगदान दिये हैं।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."