आर के मिश्रा की रिपोर्ट
गोंडा। कायदे कानून से बेफिक्र गांव की सरकार कितनी बेफिक्री से पंचायत समिति को निजि फायदे तक सीमित कर सकते हैं इसकी बानगी हमने कल से शुरू की है।
चर्चा शुरू किया गया था गोंडा जिले के दुलहापुर बनकट पंचायत की। पंचायत के प्रधान को मोहरा बना कर कथित प्रधान प्रतिनिधि और सचिव महोदय की मिली भगत ने किस तरह पंचायत का बंटाधार करना शुरू किया है? इस कड़ी में आज हम आपको बताते हैं उक्त पंचायत के विकास कार्यों की एक झलक।
उक्त पंचायत के कुछ जागरूक नागरिकों ने अब सरकार से इस पंचायत में विकास कार्यों का हिसाब मांगने का मन बना लिया है। पूरे पंचायत में अब तक कहीं भी किसी मुहल्ले में न तो कोई सड़क निर्माण किया गया है और ना ही किसी सड़क चौड़ीकरण का काम ही हुआ है। अलबत्ता कुछ लिंक रोड पर बिना किसी मानकों की परवाह करते हुए सड़कें ठीक ठाक कर दी गई है।
हम बताना आवश्यक समझते हैं कि पंचायत के स्वघोषित प्रधान प्रतिनिधि का अपना ईंट भट्टा के अलावा रेता सिमेंट की दुकान चल रहा है और पंचायत में जो भी कोई आधा अधूरा काम किया गया है उसमें बिना किसी मानकों के तमाम ईंटों की सप्लाई इन्हीं के भट्ठे से की जाती रही है। लोग कहते हैं कि अगर किए गए कार्यों की जांच की जाए तो किसी भी कार्य में सरकारी मानकों के हिसाब से ईंटों का प्रयोग इसलिए नहीं किया गया है कि प्रतिनिधि पर माननीय सचिव महोदय की कृपा बनी रहती है। रही बात प्रधान जी की तो उन्हें इन बातों से कोई मतलब होता ही नहीं।
“पंचायत सरकार बनी तो लोगों को गांवों में विकास की उम्मीदें भी जगी लेकिन दुलहापुर बनकट पंचायत के लोग आखिर कब तक सिर्फ इंतजार करें ” ऐसा कहना है दुलहापुर बनकट के ग्रामीणों का। आगे लोगों ने कहा कि अब पंचायत के लोग चुप चाप नहीं रहेंगे और पंचायत में एक एक सरकारी योजनाओं का हिसाब संबंधित उच्च अधिकारियों से और ग्राम प्रधान के साथ ग्राम सचिव से लेंगे।
दुल्हापुर मुखिया, मिश्रन पुरवा, ऊजारी डिहवा, अहिरनपुरवा मदरहवा , बाल पुरवा, रामगढ़वा, दूबेपुरवा, खेवनडापुर, रेहरवा, अवदानपुरवा, कोइरीपुर, लालकसिरिया, दिलालिक पुरवा, आदि मजरों में विकास कार्य शून्य है” ऐसा मीडिया कर्मियों को विशेष निरीक्षण के दौरान पता चला। ग्रामीणों से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि प्रधान को तो ये भी पता नहीं है कि इन मजरों में क्या कमी है?
‘सबका विकास सबका साथ’ इसमें सबका साथ मिला तो प्रधान को चुन लिया गया लेकिन अब विकास हो रहा है प्रधान प्रतिनिधियों का और सचिव महोदय के साथ प्रधान के अगली बगली करने वालों का। ऐसी व्यवस्था और ऐसा सिस्टम कब तक चलेगा? ये प्रश्न अब पंचायत के सजग लोगों को कुरेदने लगा है।
हो हल्ला मचाया जाता है तो आनन फानन में प्रधान प्रतिनिधि और सचिव महोदय सुरखुरु हो जाते हैं जिसका जीता जागता उदाहरण परसों यानि 23 अगस्त 2022 से पंचायत भवन में सीसीटीवी कैमरे की सेटिंग और उसे व्यवस्थित करने में सचिव महोदय की सांसें फूल रही है।
विकास कार्यों की जानकारी अद्यतन रखने के लिए ही सरकारी स्तर पर पंचायत भवन में कंप्यूटर दिया गया है लेकिन क्या उच्च अधिकारियों को ये जानकारी है कि उक्त पंचायत में कंप्यूटर में कितना डाटा अपलोड किया गया है? अब तक कंप्यूटर का पंचायत समिति के कार्यों में कितना उपयोग किया गया है, आज इस सवाल पर भी पंचायत निवासी मनन करने में लगे हैं।
सफाई कर्मचारी का अचानक प्रकट होना
बताते हैं कि अब तक गांव में एक बार भी किसी भी सफाई कर्मचारी के दीदार किसी भी ग्रामीणों को नहीं हुए लेकिन सबकुछ गोलमाल की जब खुलती पोल से अधिकारियों के पंचायत में औचक दौरे की आशंका हुई तो कल यानी 23 अगस्त को अचानक दो सफाई कर्मचारी पंचायत भवन में अवतरित हुए। लोग पूछते है कि ये सफाई कर्मचारी सिर्फ पंचायत भवन की सफाई के लिए हैं या गांव की सफाई व्यवस्था को ध्यान रखने के लिए ?
हम उक्त पंचायत की और भी कुव्यवस्थाओं से आपको सिलसिले वार वाकिफ कराएंगे कल के अंक में….
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."