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November 1, 2024 10:59 pm

यहां कश्मीर की वादियों जैसा मिलता है आनंद,  दिल को मिलता है सकून और आंखें निहाल हो जाती अलौकिक शक्तियों को महसूस कर 

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दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट 

चित्रकूट,  अनेक आश्चर्यों की पहाड़ियां ‘चित्रकूट’ वास्तव में प्रकृति और देवताओं दिया एक अद्वितीय उपहार है। यहां के पहाड, जंगल और झरने आदिकाल से देवी, देवताओं, ऋषि, मुनियों को साधना के लिए शांति प्रदान रहे हैं।

प्रकृति की मनोरम वादियों के बीच भगवान श्रीराम ने वनवास के साढ़े 11 साल बिताए थे। भगवान राम को जननायक बनाने वाले महर्षि वाल्मीकि का आश्रम और संत तुलसीदास की जन्मस्थली राजापुर यहीं है।

अगर आप ने चित्रकूट घूमने का मन बनाया है तो यही सबसे उपयुक्त समय है। बरसात ने पहाड़ियों का श्रृंगार कर दिया है तो नदी, जल प्रपात भी जलराशि से लबालब हैं।

चित्रकूट है ब्रह्मा, विष्णु व महेश की नगरी

उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश सीमा पर मंदाकिनी नदी के किनारे बसे चित्रकूट के स्थलों पर शोध करने वाले गायत्री शक्तिपीठ के डा. रामनारायण बताते हैं कि कर्वी रेलवे स्टेशन से 10 किमी दूर चित्रकूट धाम सबसे प्राचीन पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है।

यहां पर भगवान विष्णु ने राम के रूप में नर लीला करने के साथ पत्नी सीता और अनुज लक्ष्मण का निवास किया था। वहीं ब्रह्मा जी ने सृष्टि रचना के लिए रामघाट के यज्ञवेदी मंदिर में अनुष्ठान किया था। यज्ञ से एक शिवलिंग प्रगट हुआ जो इसी मंदिर के बगल में मत्तगजेंद्रनाथ के नाम से विराजमान है भगवान शिव चित्रकूट के राजाधिराज है।

यहीं गोस्वामी तुलसीदास की गुफा में तोतामुखी हनुमानजी विराजमान हैं जिन्होंने तुलसीदास को भगवान राम लक्ष्मण के दर्शन कराए थे। सैलानी रामघाट पर भरत मंदिर में भरतजी के भंडारे का प्रसाद भी ग्रहण कर सकते हैं।

एक हजार फीट ऊंचाई पर लक्ष्मण जी चौकी

तपोभूमि के 84 कोस में फैले सती अनुसुइया आश्रम, स्फटिक शिला, जानकीकुंड, गुप्त गोदावरी, रामशैय्या आदि तमाम स्थान साक्षात भगवान आने का गवाही देते हैं।

चित्रकूट में भगवान राम और भरत का मिलाप देख पत्थर भी पिघल गए थे। परिक्रमा मार्ग में भरत मिलाप मंदिर में देखा जा सकता है। इसी के ठीक सामने लक्ष्मण पहाड़ी है एक हजार फीट ऊंचाई पर लक्ष्मण जी चौकी है।

यहीं से वह भगवान राम व भाभी सीता की सुरक्षा के लिए पहरा देते थे। अब यहां पर सीढ़ियों के अलावा रोप-वे से भी पहुंचा जा सकता है। कामदगिरि के ठीक पूर्व में एक पहाड़ है पर भगवान हनुमान ने श्री राम रक्षा स्त्रोत का 1008 बार पाठ किया था।

वहीं एक जलधारा प्रकट हुई थी जिससे हनुमान जी के शरीर को शीतलता प्राप्त हुई। उसको हनुमानधारा कहते हैं। सैलानी यहां पर अब आसानी से रोपवे से पहुंचते हैं। उससे थोड़ी दूर पर सीता रसोई है। सूर्यकुंड भी देखने योग्य स्थान है।

नयनाभिराम है चित्रकूट की प्राकृतिक छटा

पाठा का प्राकृतिक सौंदर्य देश और दुनिया के पर्यटन के लिए नयनाभिराम है। चित्रकूट प्रभु श्रीराम की तपोभूमि है। पौराणिक महत्व रखने वाले रामायण युग के धार्मिक स्थलों की छटा वर्षाकाल में देखते ही बनती है।

वर्षा के बाद यहां की हरियाली अनुपम होती है। देवांगना घाटी कश्मीर और शिमला में होने का अहसास कराती है। शबरी और राघव जल प्रपात लोगों को एकटक निहारने को मजबूर कर देते हैं। धारकुंडी आश्रम, सरभंग आश्रम, मार्कंडेय आश्रम, अमरावती आश्रम से तो सैलानियों का लौटने का मन नहीं करता।

ऋषियन आश्रम की पहाडी पर आदिकाल के मानव निर्मित शैल चित्रों के साथ ही बौद्ध मूर्तियों के भग्नावशेष भी देखने योग्य हैं। दो प्राकृतिक गुफाएं हैं एक गुफा में पांच अद्वितीय शिवलिंग विराजमान हैं। इस गुफा में शिवलिंग को स्पर्श करती अविरल जलधारा बहती रहती है।

ऋषियन में पाताल नरेश बाणासुर के अलावा तमाम ऋषियों ने तपस्या की थी। इसी के पास बाणासुर की मां बरहा के नाम पर एक गांव बरहा कोटरा है। जहां पर प्रख्यात शिव मंदिर के ध्वंसावशेष दिखेंगे। यहां से थोड़ी दूर पर बरियारी कला के लेटे हनुमान जी हैं। लौरी का किला, योगिनी मंदिर और दशरथ घाट भी देख सकते हैं।

गणेश बाग के मंदिर में खजुराहो की झलक

मुख्यालय से सटा मिनी खजुराहो के नाम से प्रसिद्ध गणेश बाग में सात खंडों की बावली दर्शनीय है। पेशवा नरेश विनायक राव ने एक किलोमीटर में इसका निर्माण कराया था। एक खूबसूरत तालाब है। नागर शैली के षठकोणी पंच मंदिर हैं।

दीवारों पर सात अश्वों के रथ पर सवार सूर्यदेव हैं, कहीं विष्णु हैं तो कहीं अन्य देवी देवताओं का समूह है। यहां के मंदिर और खजुराहो के मंदिर में बनी मूर्तियां एक जैसी हैं। मडफा किला और चर सोमनाथ मंदिर भी देखने योग्य हैं।

दक्षिण भारत के सोमनाथ के मंदिर की तर्ज पर बना शिल्प कला का अद्भुत नमूना चर सोमनाथ मंदिर है। यहां पर शिव लिंग के अनेको प्रकार हैं। गर्भगृह में एक शिवलिंग स्थापित है। यहीं पर वाल्मीकि नदी भी बहती है। इसी के पास बरकोट का किला भी है।

मंदाकिनी आरती और लेजर शो

शाम को मंदाकिनी तट में बैठने का आनंद ही कुछ और है। मंदाकिनी गंगा आरती, लेजर शो और फसाड़ लाइट में पता नहीं चलता है कि कब शाम से रात हो गई। वहीं परिक्रमा मार्ग में रामायण दर्शन भी लोगों को लुभाता है।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."