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23 February 2025 10:11 pm

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सपा के सजाए गुलदस्ते के फूल अब धीरे-धीरे खाली होते दिख रहे हैं, देखिए वीडियो ?आप भी समझ जाएंगे

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ज़ीशान मेहदी की रिपोर्ट 

पहले महान दल के अध्यक्ष केशव देव मौर्य फिर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के ओम प्रकाश राजभर और उसके बाद प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और अखिलेश यादव के सगे चाचा शिवपाल यादव उनसे अलग हुए। अब महान दल के अध्यक्ष केशव देव मौर्य ने पार्टी पर तंज कसा है। पिछले दिनों समाजवादी पार्टी के गठबंधन से अलग होने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि अखिलेश यादव ने स्वामी प्रसाद मौर्य को ज्यादा तरजीह दी। मुझसे ज्यादा भरोसा उन्होंने स्वामी प्रसाद पर किया। अब उनके सभी गठबंधन के साथी अलग हो चुके हैं अगर यही हाल रहा तो आगामी लोकसभा चुनाव में सपा को 2-4 सीटें ही मिलेंगी।

जब केशव देव मौर्य से पूछा गया कि अब जब लोग समाजवादी गठबंधन को छोड़कर जा रहे हैं तो आप सपा के प्रति एक थोड़ा सॉफ्ट दिखाई दे रहे हैं। इस सवाल के जवाब में केशव देव मौर्य ने कहा, ‘समाजवादी गठबंधन से मैं नाराज नहीं था, मैं अखिलेश यादव जी से नाराज नहीं था। मैं समाजवादी पार्टी के किसी भी नेता से नाराज नहीं था। मेरी नाराजगी इस बात को लेकर थी कि मेहनत मैंने की, सबसे पहला गठबंधन मैंने बनाया महान दल का। महान दल ने ठाना सपा सरकार बनान हमारे कार्यकर्ताओं ने मेहनत की जिसकी वजह से सपा के वोटिंग प्रतिशत 29फीसदी से बढ़कर 37 फीसदी तक जा पहुंचा।’

सपा 2024 के लोकसभा चुनाव 2-4 सीटों से ज्यादा नहीं पाएगी

वहीं जब उनसे ये पूछा गया कि अब तो सपा लोगों को पत्र जारी कर कह रही है कि जिसको जहां जाना है वो जाए। अब सब स्वतंत्र हैं। तो इस सवाल के जवाब में मौर्य ने कहा, ‘ये नौबत मैंने नहीं दी ये नौबत ओम प्रकाश राजभर ने दी कि अखिलेश जी को उन्हें स्वतंत्र करना पड़ा और शिवपाल जी ने उन्हें मौका दिया कि उन्हें स्वतंत्र करना पड़ा। मैं तो पहले ही स्वतंत्र हो गया था। जिस मैं नाराज हुआ अपने घर गया और बयान दिया कि मैं आज से समाजवादी पार्टी के गठबंधन का हिस्सा नहीं हूं। जिस तरह की सपा नेताओं की कार्यप्रणाली है वो आने वाले 2024 के लोकसभा चुनाव में 2-4 सीटों से ज्यादा नहीं पाने वाले हैं।’

इस वजह से केशव देव मौर्य हुए थे नाराज

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में हुए एमएलसी के चुनाव में सीट नहीं मिलने की वजह से नाराज महान दल के मुखिया केशव देव मौर्य ने सपा गठबंधन से अलग होने का एलान कर दिया था। वहीं अलग होते ही सपा ने उन्हें दी गई फॉर्च्यूनर गाड़ी को वापस मांग ली था। जब इस बात को लेकर मामला बढ़ा तो पता चला कि सपा ने ये गाड़ी उन्हें चुनाव के दौरान दी थी, जिसको गठबंधन तोड़ने के बाद सपा ने फिर वापस ले लिया था।

उत्तर प्रदेश में छोटे दलों को लेकर बीजेपी की 2024 के लिए रणनीति तैयार कर रही है। साल 2014 में बीजेपी ने यूपी में छोटे दलों की अहमियत को समझते हुए सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी और अपना दल (एस) जैसे दलों से गठबंधन किया था। नतीजा पूरे देश ने देखा था। बीजेपी को यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से 74 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। यूपी के पूर्वांचल में इन छोटे दलों का विशेष प्रभाव है। ये गठबंधन साल 2017 के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी के साथ बरकार रहा जिससे बीजेपी गठबंधन ने 403 में से रिकार्ड 325 सीटें जीती।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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