दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
झांसी। कर्मयोगी संस्था के अध्यक्ष पंडित संतोष कुमार गौड़ एवं संस्था के सभी सहयोगी साथियों का विगत बरसों से निरंतर प्रयास है कि वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई के 18 जून को संपन्न होने वाले बलिदान दिवस (श्रद्धांजलि कार्यक्रम) एवं 19 नवंबर को आयोजित होने वाले जन्मोत्सव आदि कार्यक्रमों की गूंज स्थानीय स्तर एवं प्रदेश स्तर तक ही सीमित न रहकर राष्ट्रीय स्तर पर संपन्न हो और रानी झांसी की गाथाएं पुनः भारत के जन जन तक पहुंचे और पुनः वीरांगना की ऐतिहासिक नगरी झांसी का संपूर्ण भारत वर्ष में एक नया गौरव स्थापित हो।
इसके लिए कर्म योगी संस्था द्वारा झांसी से दिल्ली जाकर इंडिया गेट से प्रधानमंत्री कार्यालय तक झांसी रानी की सूक्ष्म शौर्य यात्रा का आयोजन किया गया, और तत्पश्चात प्रधानमंत्री एवं केंद्रीय गृहमंत्री की व्यस्ततावश, उनके नाम से संबोधित झांसी रानी के स्मृति सम्मान पृथक-पृथक उनके संबंधित अधिकारियों को प्रस्ताव पत्र के साथ प्रेषित किए गए।
प्रेषित प्रस्ताव मांग पत्र में प्रधानमंत्री एवं केंद्रीय गृहमंत्री के समक्ष प्रस्ताव के माध्यम से आग्रह किया गया कि गणतंत्र दिवस राजपथ नई दिल्ली से निकलने वाली झांकियों में वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई की झांकी भी समायोजित हो। इस प्रस्तावित विषय पर एसीपी पार्लियामेंट दिनेश कुमार जी ने प्रशंसा व्यक्त की और प्रतिउत्तर में संपूर्ण प्रस्ताव तैयार कर पार्लियामेंट स्ट्रीट नई दिल्ली आने का आमंत्रण दिया।
उक्त विषय को प्रस्तावित हेतु एसीपी पार्लियामेंट संबंधित मंत्रालयों को पारित हेतु प्रस्तुत करेंगे। जिस पर पंडित संतोष कुमार गौड़ ने सुरेंद्र राय, डॉ आर के चतुर्वेदी, डॉ एस के गुप्ता, डॉ राकेश कुमार, सुनील हिरवानी भगवानदास बसरानी, आर के शर्मा, श्रीमती सरिता शुक्ला, श्रीमती विष्णुप्रिया शुक्ला, श्रीमती तारा केसवानी, अरुण हिंगबासिया, अजय खुराना, ए. के. कनोजिया, जय किशन प्रेमानी, संजय कनोडिया, नीलेश चतुर्वेदी, सुधीर कुमार द्विवेदी आदि की ओर से भी अपना आभार व्यक्त किया।
सुरेंद्र राय, डॉ आर के चतुर्वेदी, डॉ एस के गुप्ता, डॉ राकेश कुमार, सुनील हिरवानी भगवानदास बसरानी, आर के शर्मा, श्रीमती सरिता शुक्ला, श्रीमती विष्णुप्रिया शुक्ला, श्रीमती तारा केसवानी, अरुण हिंगबासिया, अजय खुराना, ए. के. कनोजिया, जय किशन प्रेमानी, संजय कनोडिया, नीलेश चतुर्वेदी, सुधीर कुमार द्विवेदी का भी सहयोग लिया गया।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."