कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट
लखनऊ। उत्तर प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को तत्काल बंद करने की सिफारिश की है। इसके लिए आयोग ने अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को पत्र लिखा है। आयोग का कहना है कि ऐसे मदरसों में बच्चों का मानसिक और लैंगिक शोषण हो रहा है।
बाल अधिकार एवं संरक्षण आयोग की सदस्य सुचिता चतुर्वेदी की तरफ से भेजे गए पत्र में हालही की घटना का हवाला दिया गया है। लखनऊ के गोसाईगंज में संचालित मदरसे में दो बच्चों के पैरों में बेड़ियां डालकर उन्हें बंधक बनाने की घटना सामने आई थी। इसके बाद सुचिता चतुर्वेदी ने मदरसे का निरीक्षण किया तो पता चला कि वहाँ बच्चों पर जुल्म ढाए जाने के साथ उन्हें कट्टरता सिखाई जा रही है। जो बच्चे स्कूल में पढ़ने की इच्छा जाहिर करते हैं उन्हें प्रताड़ित किया जाता है।
बच्चों के बचपन का हक छीन रहे अवैध मदरसे
आयोग की तरफ से कहा गया है कि गरीब मुस्लिम परिवार के बच्चों को लालच देकर ऐसे मदरसों में उन्हें जबरन रखा जा रहा है। इसकी वजह से इन बच्चों को स्कूली शिक्षा के साथ सरकारी योजनाओं का लाभ नही मिल पा रहा। इन्हें न तो मिड डे मील, पुष्टाहार का लाभ मिल रहा न ही इनका जरूरी टीकाकरण हो पा रहा है।
कोई विभाग नही लेता मदरसों के बच्चों की जिम्मेदारी
अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि अवैध मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों की निगरानी कोई विभाग नही करता है। इसलिए इनके साथ होने वाले जुल्म की जिम्मेदारी भी कोई विभाग नही लेता है। जबकि जांच से स्पष्ट हो चुका है कि मदरसों में बच्चों को कट्टरता सिखाने के साथ उनसे बाल श्रम करवाया जा रहा है। उन्हें मानसिक यातनाएं देकर उनका यौन शोषण हो रहा है।
मदरसों के लिए देश भर में हो रही बच्चों की तस्करी
सुचिता चतुर्वेदी ने बताया कि इसी साल मार्च में बाराबंकी से 6 बच्चियों को रेस्क्यू किया गया था। ये सभी बिहार से दिल्ली ले जाई जा रही थी। सभी मुस्लिम परिवार की थी। इन्हें ले जाने वाले ब्रोकर से पूछताछ में पता चला कि बच्चियां दिल्ली के एक मदरसे में पहुँचाईं जानी थी। उन्होंने बताया कि यूपी में 16461 मदरसे संचालित हो रहे जिसमे 558 ही सरकार की तरफ से अनुदानित हैं। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को कहा गया है कि गैर मान्यता वाले मदरसों को चिन्हित करके उन्हें तत्काल बंद कराया जाए।
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Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."