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28 December 2024 1:41 pm

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‘वर्तमान परिवेश में हिंदी पत्रकारिता का महत्व’ विषय गोष्ठी आयोजित

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राकेश तिवारी की रिपोर्ट

देवरिया/बरहज : हिंदी पत्रकारिता दिवस के अवसर सोमवार को स्थानीय बीआरडी बीडी पीजी कालेज आश्रम में ‘वर्तमान परिवेश में हिंदी पत्रकारिता का महत्व’ विषय गोष्ठी आयोजित हुआ।

संगोष्ठी को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि समाजसेवी श्वेता जायसवाल ने कहा कि पूरे विश्व में हिंदी को जो सम्मान मिला है, उसमें हिंदी पत्रकारिता की अहम भूमिका रही है, फिर चाहे वह भारत के स्वतंत्रता संग्राम में हो या स्वतंत्रता के पश्चात जो एक नए राष्ट्र के निर्माण के लिए संघर्ष रहा, उसके लिए हो या आपातकाल में तानाशाही के विरोध का हो। हिंदी पत्रकारिता का जो इतिहास है, उसे स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जा सकता है।

मुख्य वक्ता डा. अरविन्द पाण्डेय ने कहा कि हिंदी पत्रकारिता जन सरोकार की पत्रकारिता है। हिंदी पत्रकारिता में मिट्टी की खुशबू आती है। वो ग्रामीण अंचलों से, हमारे खेत-खलिहानों से हम तक समाचार पहुंचाती है। जन-जन के, जिसमें गरीब, निर्धन, संघर्षशील, मजदूर सभी के मुद्दों को राष्ट्र के सामने, सरकार के सामने लाती है और सरकार व जनता के बीच में एक मजबूत सेतु का कार्य करती रही है।

विशिष्ट अतिथि प्राचार्य प्रोफेसर शम्भु नाथ तिवारी ने कहा कहा कि हिंदी पत्रकारिता का भविष्य डिजिटल युग में भी बहुत ही उज्जवल है। आज बहुत बड़ी संख्या में युवा पाठक, दर्शक, श्रोता डिजिटल मीडिया की ओर आकर्षित हुए हैं और यदि आप आंकड़े देखेंगे तो हिंदी पत्रकारिता ने भारत में सबसे ज्यादा युवा पीढ़ी को अपनी ओर आकर्षित किया है। अध्यक्षीय भाषण में परमहंसाश्रम के पीठाधीश्वर आंजनेय दास महाराज ने कहा कि पत्रकारिता में पवित्रता, ईमानदारी एवं निष्पक्षता का ध्यान रखना चाहिए। संयोजक सत्य प्रकाश पांडेय ने सभी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।

कार्यक्रम को पूर्व प्रधानाचार्य मंगल मणि त्रिपाठी, रमेश तिवारी अनजान, प्रदीप चौरसिया, उदय प्रताप सिंह, सत्य प्रकाश पांडेय, राम सिंह, रवि तिवारी, गोविंद मिश्र, पंडित विनय मिश्रा, सुनील यादव, अमित जायसवाल, ने संबोधित किया। इस दौरान अभय पांडेय, अजय पांडेय, पवन पांडेय, बंधन प्रसाद ,राम लखन साहनी, अमित सिंह आदि मौजूद रहे। संचालन संगठन के प्रदेश अध्यक्ष उदय प्राप्त सिंह ने किया।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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