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19 January 2025 12:06 am

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आपने सुनी नींबू घोटाले की खबर ! नहीं न..तो पढ़िए, हम बता रहे हैं इस अजीबोगरीब घोटाले का खुलासा

37 पाठकों ने अब तक पढा

हरनेक सिंह जैनपुरी की रिपोर्ट

कपूरथला। अब तक जिस नींबू को आसमान छूती कीमतों के कारण आम आदमी खरीदने से गुरेज करता रहा, उसे 200 रुपये किलो के भाव से कपूरथला माडर्न जेल के कैदियों को ‘खिलाया’ गया। जेल सुपरिंटेंडेंट के आदेश पर गर्मी में आधा क्विंटल नींबू मंगवाए गए। हालांकि ये नींबू कैदियों को कभी नसीब नहीं हुए। सारी हेराफेरी की पोल उस समय खुली जब कैदियों की शिकायत जांच पैनल निरीक्षण करने पहुंचा। कैदियों ने स्पष्ट कह दिया, उन्होंने राशन में नींबू कभी नहीं खाए। इसके बाद जेल मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने कपूरथला जेल अधीक्षक गुरनाम लाल को निलंबित कर दिया है। जांच में गबन और कुप्रबंधन सहित कई अनियमिताएं भा सामने आई हैं।

15 दिन में दस हजार रुपये के नींबू खरीदे

कपूरथला से आठ किलोमीटर दूर स्थित थेह काजला में जालंधर व कपूरथला जिलों के लिए बनी केंद्रीय माडर्न जेल के अधीक्षक गुरनाम ने 15 से 30 अप्रैल के बीच 50 किलोग्राम नींबू की खरीद दिखाई थी। उस समय नींबू की कीमतें 200 रुपये प्रति किलो से ऊपर मंडरा रही थीं। दूसरी ओर से कैदियों ने दावा किया है कि रसोई में नींबू का कभी इस्तेमाल किया ही नहीं गया। जेल मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने कपूरथला जेल अधीक्षक गुरनाम लाल को कुप्रबंधन और कैदियों के लिए कथित तौर पर राशन की हेराफेरी के लिए निलंबित करने का आदेश दिया है।

जेल अधिकारी ने अन्य अनियमिताओं के बीच, 50 किलोग्राम नींबू की खरीद दिखाई थी जबकि कैदियों ने दावा किया था कि नींबू जेल की रसोई में कभी इस्तेमाल नहीं किया गया था। इस नींबू की खरीद को 15 से 30 अप्रैल के बीच दिखाया गया था, उस समय नींबू की कीमतें 200 प्रति किलोग्राम से उपर चल रही थी।

आटा खरीद में भी गबन की भी आशंका

कैदियों की कई शिकायतों के बाद एडीजीपी (जेल) वीरिंदर कुमार ने एक मई को जेल में औचक निरीक्षण करने के लिए एक डीआईजी (जेल) और लेखा अधिकारी को भेजा था। जांच पैनल ने अपनी रिपोर्ट में पाया कि कैदियों को दिए जाने वाले भोजन की गुणवत्ता खराब थी और जेल नियमावली में तय की गई मात्रा पर्याप्त नहीं थी।

चपाती का वजन 50 ग्राम से कम

उदाहरण के लिए प्रत्येक चपाती का वजन 50 ग्राम से कम था, जिससे संकेत मिलता था कि कई क्विंटल आटे का भी गबन किया गया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि जेल अधिकारी की तरफ से सब्जियों की खरीद में भी गड़बड़ी की गई है। जेल अधीक्षक ने पांच दिनों के लिए सब्जियां खरीदी दिखाई लेकिन कैदी कम दिनों के लिए सब्जियां खरीदने का दावा कर रहे हैं।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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