ओम प्रकाश पाण्डेय की रिपोर्ट
बलिया। अलविदा जुम्मा के शुभ अवसर पर सदर क्षेत्र के चंद्रशेखर उद्यान पार्क में एपीजे अब्दुल कलाम बाल शिक्षा सेवा समिति के संस्थापक जाकिर हुसैन के नेतृत्व में दर्जनों लोगों में वस्त्र का किया गया वितरण! साथ ही उन्होंने बताया कि पूरे देश में आज आखिरी जुमा या अलविदा जुमा मनाया गया आखिरी जुमा को लेकर बाजारों में रौनक दिखने को मिली ।
इस्लाम धर्म में रमजान के महीने में हर साल आखिरी जुमा या अलविदा जुमा मनाया जाता है. रमजान का ये दिन बेहद ही खास है. इस दिन नमाज (Worship) और खुदा (Allah) की इबादत का बहुत महत्तव है।
अलविदा जुम्मा का नमाज मे महत्त्व
अलविदा जुमा या आखिरी जुमा रमजान के खत्म होने और नए महीने की शुरूआत होने का प्रतीक है. दुनिया भर के सभी मुसलमान इस दिन को बेहद ही खास मानते हैं. इस दिन को जुमा- तुल-विदा (Jumma Tul Wida) के नाम से भी जाना जाता है।
ऐसे मनाया जाता है रमजान का आखिरी जुम्मा
इस दिन सभी मुसलमान अल्लाह से प्रार्थना करते हैं और कुरान -पाक की इबादत करते हैं. इस दिन सभी मुसलमान गरीबों और जरूरतमंदो की मदद करते हैं रमजान का पवित्र महीना इस बार 3 अप्रैल को शुरू हुआ और ये 2 मई को खत्म हो रहा है. दुनिया भर के मुसलमान 3 मई को ईद-उल-फितर की नमाज अदा करेंगे। बता दें कि रमजान इस्लामिक कैलेंडर का नौवां महीना है, रमजान का त्योहार पूरे एक महीने चलता है।
इस्लाम में हर जुम्मे का है खास महत्तव
बता दें कि सप्ताह का हर शुक्रवार इस्लाम में बेहद ही खास माना गया है। इस दिन सभी मुसलमान नमाज अदा करते हैं। कुरान के चेप्टर नंबर 62 के नौवें सुरा (वर्स) में नमाज़ का जिक्र है। साथ ही उन्होंने बताया कि हर लोगों को हमेशा अपनी खुशी पर गरीबों की मदद करनी चाहिए जिससे कि हर गरीब व्यक्ति को खुशी मिल सके।
वितरण के दौरान पारस नाथ, बूटी गुप्ता ,अमरनाथ पासवान, बुद्धू राम, गोपाल गुप्ता व दर्जनों लोग रहे मौजूद।
Author: samachar
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