गुंजन परिहार की रिपोर्ट
परदा ऊपर उठता है। रसोई घर से धीरे धीरे पैर घसीटती हुई नानी बाहर आती है। रंगमंच आर्ट ऑफ ड्रामा की इस प्रस्तुती में संध्या छाया’ एक ऐसे परिवार की कहानी है जिसमें दिखाया गया है कि आज के युवा अपने माता-पिता की जरा भी फिक्र नहीं करते हैं। इस नाटक में 8 कलाकारों ने बेहतरीन मंचन किया। नाटक में दिखाया गया कि लोग अपने को सु़खी रखने के लिए माता-पिता को भी छोड़ देते हैं। 90 मिनट का नाटक देखकर लोग भावुक हो गए।
नाटक के माध्यम से कलाकारों ने पेश किया कि एक नाना नाम के व्यक्ति के पास दो बेटे हैं। नाटक के माध्यम से आज के युवाओं का अपने पैरेंट्स पर ध्यान नहीं देने पर कटाक्ष किया गया है। नाटक के मुख्य पात्र अप्पा नानी जी के दो बेटे हैं। बड़ा बेटा अमेरिका में इंजीनियर है। वह शादी करने के बाद अमेरिका में ही बस गया है, जबकि छोटा बेटा एयरफोर्स में पायलट है। यह 1971 के युद्ध में शहीद हो जाता है। बूढ़े मां-बाप घरेलू नौकर के सहारे रोजमर्रा की समस्याओं से लड़ते हुए बड़े बेटे की वापसी का इंतजार करते हैं। कई दृश्यों के साथ नाटक समापन की ओर बढ़ता है, लेकिन बूढ़े मां-बाप के पास अमेरिका से बेटा नहीं लौट पाता।
नाटक के निर्देशक संदीप दुबे हैं। अलग-अलग पात्रों की भूमिका संदीप दुबे, डिंपल अग्रवाल, पंकज उपाध्याय, डॉ. अतुल बण्डी, नीरजा जैन, अमित मेहता, राजीव रायकवार, निर्मल जैन ने निभाई।
Author: samachar
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