जीशान मेंहदी की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में लगातार दूसरी बार प्रचंड बहुमत के साथ जीत दर्ज करने वाली भारतीय जनता पार्टी का लक्ष्य विधान परिषद सदस्य की 36 सीट है। नौ अप्रैल को मतदान के बाद मंगलवार को परिणाम आएंगे। भाजपा ने 36 में से नौ पर निर्विरोध जीत दर्ज की है जबकि भाजपा को बाकी 27 में से भी कम से कम 25 सीट पर जीत की उम्मीद है।
भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश विधान परिषद में सबसे बड़ा दल बनकर इतिहास रचने जा रही है। भाजपा अभी भी 35 सदस्यों के साथ विधान परिषद में सबसे बड़ा दल है। नौ को चुनाव से पहले ही नौ सीट पर भाजपा की जीत तय हो गई थी। नौ सीटों पर तो भाजपा पहले ही निर्विरोध जीत हासिल कर चुकी है।
2022 के विधानसभा चुनावों में 273 सीटों के साथ प्रचंड बहुमत में आई भाजपा ने नौ सीटें तो बिना लड़े ही अपने पाले में कर ली हैं। अब बाकी बची 27 में से दो सीटों को छोड़कर बाकी सब भाजपा के खाते में जानी तय है।
भाजपा को 36 में से 34 सीट पर जीत मिलेगी तो 100 सदस्य वाले विधान परिषद में भाजपा के पास 71 सदस्य होंगे।
योगी आदित्यनाथ 2017 में जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे, उस समय समाजवादी पार्टी विधान परिषद में सबसे बड़ा दल था। उसके बाद तो जैसे-जैसे चुनाव होते गए भाजपा आगे निकलती रही। कई बार तो कार्यकाल पूरा होने के कारण तो कभी सपा के सदस्यों के इस्तीफा देने की वजह से विधान परिषद में सीटें खाली होती रहीं जिस पर भाजपा जीतती गई। प्रदेश में 1990 से पहले कांग्रेस विधान सभा के दोनों सदनों में सबसे बड़ी पार्टी हुआ करती थी। अब यह तमगा भाजपा के पास है।
आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि स्थानीय निकाय प्राधिकार क्षेत्र के इस चुनाव में सत्ता पक्ष की ही जीत होती है। 2004 में मुलायम सिंह यादव जब मुख्यमंत्री थे तब समाजवादी पार्टी 36 में से 24 सीटों पर जीती थी। इसके बाद 2010 में मायावती के शासनकाल में बसपा ने 36 में से 34 सीटों पर कब्जा किया था। अखिलेश यादव के समय भी कुछ नहीं बदला था, 2016 में अखिलेश की समाजवादी पार्टी ने भी 36 में से 31 सीटें जीती थीं।
विधान परिषद में 38 सीटें निर्वाचन क्षेत्र की है, 36 सीटें स्थानीय प्राधिकार क्षेत्र की जबकि 8 सीटें शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से आती हैं। इतनी ही सीटें यानि आठ स्नातक निर्वाचन क्षेत्र की और दस सीटों पर राज्यपाल मनोनीत करते हैं। अप्रैल और मई में राज्यपाल द्वारा मनोनीत छह सदस्यों का कार्यकाल पूरा हो रहा है। इनमें से मधुकर जेटली, बलवंत सिंह, जाहिद हुसैन, राजपाल कश्यप, संजय लाठर और अरविंद सिंह समाजवादी पार्टी के विधान परिषद सदस्य हैं। इसके बाद भाजपा के ही छह सदस्य ही मनोनीत होंगे। संजय लाठर को अखिलेश यादव ने विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष बनाया है तो ऐसे में पार्टी लाठर को एक बार और विधान परिषद भेज सकती है।
Author: samachar
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