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24 January 2025 2:39 am

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…आप सुन रहे हैं “जेल रेडियो” ; गीतों के माध्यम बंदियों की तन्हाई बांटने का प्रयास

41 पाठकों ने अब तक पढा

दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट

हेलो! आप सुन रहे हैं जेल रेडियो बुलंदशहर…। फरमाइशी गीतों का गुलदस्ता लेकर हाजिर हैं देवेंद्र कुमार। लीजिए पेश है एक और फरमाइशी गीत जिसे सुनना चाहा है…। जिला कारगार में सुबह और शाम कुछ ऐसे ही एनाउंसमेंट जेल रेडियो पर सुनने को मिलते हैं। कैदी व बंदियों की फरमाइश पर जाकी के रूप में बंदी जाकी बन कर फरमाइशी गीतों के माध्यम से बंदियों तन्हाई बांट रहे हैं।

जिला कारागार में चाहे-अनचाहे में लोग कानून हाथ में लेकर सलाखों के बंद बंदियों को समाज की मुख्य धारा में लाने के लिए सरकार और जेल प्रशासन द्वारा रचनात्मक कार्य किए जा रहे हैं। बंदी सुधार कार्यक्रम तहत ही जेल रेडियो के माध्यम से गीत-संगीत के शौकीन बंदियों को रेडियो जाकी का काम कराया जा रहा है। सुबह और शाम के समय जेल की दुनिया में रहने वाले बंदियों को अपनी पसंद के गीत, गजल व कव्वाली जेल रेडियो पर सुनने को मिल रहे हैं। जिला कारागार में पिछले साल अगस्त के माह में जेल रेडियो की शुरूआत की गई थी लेकिन जेल अधीक्षक मिजाजीलाल ने जेल रेडियो को पूरी तरह से हाइटेक कर दिया है।

बंदी देवेन्द्र पुत्र सोमदत्त व बंटी पुत्र ब्रहमपाल तथा कौशल पुत्र सतवीर जेल रेडियो के जाकी की भूमिका निभा रहे हैं। जो बंदियों की फरमाइश के गीत जेल रेडियो पर प्रसारित करते हैं।

बैरकों से कागजों पर लिख कर बंदियों की मनचाहा गीत सुनने की फरमाइश कागज पर लिख कर आती हैं। इसके अलावा इंटरकाम के माध्यम से रेडियो जाकी के पास बंदियों की फरमाइश पहुंचती हैं।

जेल रेडियो से बंदी हित का भी होता है प्रसारण

छह अप्रैल को जिला कारागार से 136 बंदियों की रिहाई से पूर्व होमागार्ड एवं जिला कारागार मंत्री धर्मवीर प्रजापति ने जेल रेडियो के माध्यम से इसकी जानकारी बंदियों को दी थी।

इन्होंने कहा…

बंदियों को समाज की मुख्यधारा में लाने को बंदी सुधार कार्यक्रम के तहत नए-नए काम किए जा रहे हैं। जेल रेडियो पर बंदियों को उनकी फरमाइश के गीत, गजल, कव्वाली बंदी जाकी पेश करते हैं। कागज तथा इंटरकाम के माध्यम से बंदी जाकी बंदियों की फरमाइश पूरी कर रहे हैं।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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