मुरारी पासवान की रिपोर्ट
श्री बंशीधर नगर: अच्छी सेहत हर कोई चाहता है। इसके लिए सभी चिंतित भी है। लेकिन यह चिंता खुद तक सिमट रही है।
जहां एक तरफ स्वास्थ्य विभाग मरीजों को 24 घंटे सेहत सुविधाएं मुहैया करवाने के दावे कर रही है। वहीं कई गरीब लोगों को इलाज के लिए अभी भी सरकारी अस्पतालों में भटकना पड़ रहा है।
ऐसा ही मामला प्रकाश में आया है, जहां लगभग एक घंटे से अधिक समय तक चिलचिलाती धूप में अस्पताल के बाहर मानसिक रूप से पीड़ित अज्ञात महिला तड़पती रही लेकिन आने वाले अनेक व्यक्ति व अस्पताल के कर्मचारी मरीज को तड़पते देखते रहे, लेकिन किसी ने उसका उपचार नहीं करवाया। यह घटना शनिवार को दोपहर तकरीबन 12:45 बजे की है।
जानकारी के अनुसार मानसिक रूप से पीड़ित अज्ञात महिला शहर के मुख्य बाजार में सड़क के किनारे तड़प रही थी। इसके बाद आसपास के लोगों ने 108 एंबुलेंस पर फोन लगाकर उसे अनुमंडलीय अस्पताल में भेज दिया, लेकिन उस समय अमानवीय व्यवहार देखने को मिला, जब 108 एंबुलेंस कर्मियों ने अनुमंडलीय अस्पताल के वार्ड कक्ष में रखने की वजाय महिला को अस्पताल गेट के किनारे (नीचे) चिलचिलाती धूप में उतार कर फरार हो गया। महिला धूप में घंटों समय तक तड़पती रही लेकिन महिला मरीज को अनुमंडलीय अस्पताल के कोई भी स्वास्थ्य कर्मी उसे अस्पताल के वार्ड कक्ष में इलाज के लिए नहीं ले जाया गया।
हालांकि महिला का नाम और पता कुछ नहीं मिल सका क्योंकि वह महिला बोलने की हालत में नहीं थी। कारण यह था कि वह महिला मानसिक रूप से बीमार थी।
अनुमंडलीय अस्पताल में ड्यूटी पर मौजूद चिकित्सक डॉक्टर अनुपमा ने बताया कि अज्ञात महिला का दिमागी हालत खराब है। उसे 108 एंबुलेंस द्वारा अस्पताल में लाया गया है।108 एंबुलेंस कर्मियों की लापरवाही दर्शाता है, कि वह मरीज को अस्पताल के बाहर ही छोड़ कर चल दिया। हालांकि मरीज को सदर अस्पताल गढ़वा के लिए रेफर कर दिया है। लेकिन 108 एंबुलेंस द्वारा मरीज के साथ कोई नहीं रहने के कारण उसे गढ़वा ले जाने से इंकार कर दिया गया। उन्होंने बताया की महिला को अस्पताल के वाहन से भेजा जा रहा है।
क्या कहते हैं प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी…
इस मामले में अनुमंडल अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी आयुष चिकित्सक डॉ कैसर आलम ने बताया कि घटना की पूरी जानकारी नहीं मिली है जिसके कारण इस मामले में कुछ भी बोलने से असमर्थ हूं।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."