मिश्रीलाल कोरी की रिपोर्ट
भारत और नेपाल के बीच दशकों पुराने रोटी-बेटी के रिश्ते में नए-नए नियमों की दीवार खड़ी हो रही है। पड़ोसी देश से रिश्तों के कायदे बदलने का असर दोनों के मध्य होने वाले कारोबार पर भी पड़ा है। खासकर पिछले तीन वर्षों में काफी बदलाव आया है। तल्खी का ही असर था कि नेपाल सरकार ने पोरस बॉर्डर की खुली सीमा को आर्म्ड पुलिस फोर्स के हवाले कर दिया।
सीमा पर बसे भारतीय क्षेत्र नवाबगंज के पूर्व मुखिया अरविंद यादव बताते हैं, पहले बड़े पैमाने पर सीमा के उस पार भी खेतीबाड़ी के लिए लोग आते-जाते थे। नेपाल में कई लोगों ने जमीन खरीद रखी है। जैसे-जैसे नेपाल में कानून सख्त होते चले गए, खेतीबाड़ी का सिलसिला थमता चला गया। पिछले दो-तीन सालों में यह परिस्थिति तेजी से बदली।
खासकरहा निवासी मदन ठाकुर का कहना है कि तीन साल पहले तक बेटी-रोटी के रिश्ते में काफी प्रगाढ़ता थी। नागरिकता कानून में बदलाव के चलते अब नेपाल के बजाय भारतीय क्षेत्र में ही अपनी बेटियों की शादी करना चाहते हैं।
महज 2020 और 2021 में शादी विवाह में 90 फीसदी तक की गिरावट आयी। जोगबनी बॉर्डर स्थित कस्टम अधिकारी एवं इमीग्रेशन चेक पोस्ट के अधिकारी बताते हैं फरवरी से जून तक चार से पांच सौ की संख्या में दूल्हा-दुल्हन का प्रवेश होता था। अब वैसा नजारा बिल्कुल नहीं देखने को मिलता है। 40-50 शादियां बमुश्किल इस साल हुई।
करोड़ों का कारोबार लाखों में सिमटा
दो-तीन साल पहले दोनों देशों की सीमा से सटे बड़े बाजारों में प्रतिदिन करोड़ों का कारोबार होता था। अब लाखों में सिमट गया है। जोगबनी (भारत) और विराटनगर (नेपाल) जैसे बाजार एक-दूसरे के लोगों से पटा रहता था। नेपाल के लोग भारत से चावल, खाद, दूध आदि ले जाते थे तो भारतीय श्रृंगार की सामग्री, कपड़े और चाइनीज सामान लाकर अपनी रोजी-रोटी चलाते थे। जोगबनी के कपड़ा व्यवसयी किशन अग्रवाल बताते हैं कई व्यवसायी यहां से पलायन कर गये। कई ने रोजगार बदल लिये। परिणास्वरूप दोनों तरफ के बाजारों की रौनक में कमी आयी है।
आयात शुल्क और नागरिकता कानून
करीब दो साल पहले नेपाल में नया कानून बना नेपाल में शादी होने के बाद महिला के साथ-साथ उनकी होने वाली संतान पर भी नेपाली नागरिकता पर पूर्ण रूप से पाबंदी लगा दी गयी है। इस वजह से दोनों देशों के बीच होने वाले रिश्तों में लगातार गिरावट आ रही है। अररिया जिला चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष उद्योगपति मूलचंद गोलछा ने बताया कि नेपाल की टैक्सेशन नीति से भारतीयों का कारोबार प्रभावित हुआ है। नेपाल ने पिछले साल आयात शुल्क थोप दिया है। धान एवं गेहूं पर आयात शुल्क 3 प्रतिशत कर दिया हैं, वहीं चावल आटा आदि पर 8 प्रतिशत। नेपाल तीन प्रतिशत आयात शुल्क पर धान और गेहूं की खरीदारी कर खुद आटा चावल का उत्पादन कर अपने देश में आपूर्ति कर रहा है।
क्या कहते हैं डीसी कस्टम एके दास
टैक्सेशन नेपाल सरकार का आंतरिक मामला है। इसमें भारत सरकार कुछ भी नहीं कर सकती है। जहां तक व्यवसाय प्रभावित होने की बात है तो इंडियन एक्सपोर्टर और नेपाल इंपोर्टर के बीच समन्वय रहता है। इस समन्वय के आधार पर ही किसी तरह का समाधान फिलहाल निकाला जा सकता है।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."