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November 2, 2024 4:56 pm

कोरे कागज पर बच्चों ने उकेरी आधी आबादी की हकीकत  

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 विशेष संवाददाता

बस्ती। जिले के राजकीय कन्या इंटर कालेज व बेगम खैर गर्ल्स इन्टर कालेज की बच्चियों नें अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस सप्ताह के क्रम में पेंटिंग्स के जरिये कोरे कागज पर आधी आबादी की महत्ता और उनकी उपलब्धियों को रेखांकित किया वहीँ बच्चियों नें हाथों में स्लोगन लेकर लैंगिक समानता का शपथ भी लिया। विश्व युवक केंद्र, नई दिल्ली,युवा विकास समिति व रूद्र रक्षा फाउन्डेशन की ओर से सोमवार को लैंगिक समानता के मुद्दे पर आयोजित पेंटिंग प्रतियोगिता में भाग लिया। जिसमें दोनों स्कूलों के 300 छात्राओं ने प्रतियोगिता में भाग लेकर समाज में महिलाओं की महत्ता और उनके अधिकार के लिए एक से बढ़कर एक पेंटिंग बनाकर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। वही स्कूलों से आए शिक्षकों ने बच्चों द्वारा बनाई जा रही पेंटिंग को निहारते हुए उनका हौसला बढ़ाया।

इस प्रतियोगिता में सभी बच्चे नें पेंटिंग के जरिए समाज में स्त्रियों का हाल बयां किया। सभी की कोशिश रही कि उनकी पेंटिंग सबसे बेहतर हो। बेगम खैर की छात्रा स्मृति, रुपाली आर्या, सना, गीता श्रीवास्तव, गायत्री ने पेटिंग के जरिए समाज में हो रहे लिंग भेद को रेखांकित करते हुए बेटे और बेटियों को एक तराजू के जरिए दिखाया। मां की आंखों से निकलते आंसू पेंटिंग को आकर्षक बना रहे थे। राजकीय कन्या इंटर कालेज की छात्राओं नें पेंटिंग के साथ आकर्षक स्लोगन भी कोरे कागज पर उकेरकर सभी का ध्यान आकर्षित किया। छात्राओं नें  ने ‘मां चाहिए, बहन चाहिए, पत्‍‌नी चाहिए तो बेटियों को अधिकार दो’ स्लोगन के जरिए समाज को संदेश देने की कोशिश की। बच्चियों नें ‘जब है नारी में शक्ति सारी, तो फिर क्यों डरे बेचारी’ स्लोगन के जरिए नारी शक्ति के अलग-अलग स्वरूपों को पेश किया। प्रतियोगिता में शामिल बच्चों ने समाज में नारी शक्ति के साथ हो रहे भेदभाव तो दूसरी ओर उसकी बाजू में ताकतों को भी आकृति में रंग भर उनके जीवन को रंगीन बनाने का संदेश दिया।

इस मौके पर मुख्य वक्ता डॉ. नवीन सिंह ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रकार के आयोजन होने से बच्चों के मानसिक पटल पर बेटियों और महिलाओं के प्रति सम्मान का भाव जगने के साथ उनकी महत्ता समझ में आएगी। उन्होंने कहा की लैंगिक समानता को स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाना चाहिए ।

बेगम खैर गर्ल्स इन्टर कालेज की प्रिंसिपल मुस्लिमा खातून नें कहा की लड़कियों के लिए सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक क्षेत्र में लैंगिक समानता से ही बदलाव संभव है। कार्यक्रम के दौरान मुख्य रूप से आयोजन से जुडी शुभ्रा सिंह नें कहा की शैक्षणिक संस्थाओं, सरकारी संस्थाओं, कर्मचारियों और सभी सम्बंधित लोगो को लैंगिक संवेदनशीलता और महिलाओं के सम्मान के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने के लिए कदम उठाना चाहिए।

लैंगिक समानता को लेकर आयोजित इस प्रतियोगिता में बेहतर करने वाले छात्राओं को पुरस्कृत भी भी किया गया। इसमें बेगम खैर गर्ल्स इंटर कालेज व राजकीय कन्या इन्टर कालेज की छात्राओं को की प्रमाणपत्र व पुरस्कार प्रदान किया गया। कार्यक्रम के दौरान कहकशा बानो, नुसरत फातमा, हेमलता यादव, रीता मौर्य, सावित्री उपाध्याय, अलका पाण्डेय, नजमा नजीर अब्बासी, जीनत जहाँ, सईस्ता अफरोज, अपर्णा, पूर्णिमा श्रीवास्तव, सावित्री, रीता मौर्य सहित तमाम शिक्षिकाएं मौजूद रहीं।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."