जावेद अंसारी की रिपोर्ट
लखनऊ। राजधानी में दुकानदार बच्चों को बेच रहे मौत का सामान। अधिकांश दुकानों पर धड़ल्ले से बेचा जाता है व्वाईटनर। नाबालिक बच्चे हो रहे व्वाईटनर नशे के आदी। आज एलेक्ट्रोनिक मीडिया पत्रकार एसोसिएशन के साथियो ने किया प्रयास। एक बच्चे को व्वाईटनर पीने से क्या होता है समझाने का किया प्रयास। बच्चे ने लोगो की बात मानकर व्वाईटनर की बोतल को नाली में फेंका। ऐसे बच्चों को व्वाईटनर बेचने वालों पर जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन को करनी चाहिए कार्यवाई।
इन दिनों किशोरों की कौन कहे नाबालिग बच्चों में भी नशे की लत रही है। जो चिंता का विषय बनता जा रहा है।
जागरूकता के अभाव के कारण नाबालिग बच्चे भी सस्ते नशे के आदी होते जा रहे हैं। अभी तक किशोर पान-चाय की दुकानों पर उपलब्ध गुटखा, सिगरेट या प्रतिबंधित गांजा, भांग का चोरी छुपे उपयोग करते थे। लेकिन अब सबसे सस्ता नशा व्हाईटनर है।
यह केमिकल व्हाइटनर के रूप में बाजार में उपलब्ध है। जिससे कागज पर किसी लिखे चीज को मिटाया जाता है। नाबालिग इसे कपड़े पर उड़ेल कर उसे सूंघते हैं। बताया जाता है कि एक अजीब सा नशा सूंघने वाले पर तारी हो जाता है। इसमें किसी प्रकार की गंध नहीं होने के कारण बच्चों के अभिभावक की नजर में यह नहीं आ पाता है।
इसके अलावे नशे के लिए एक दूसरी तरकीब है, जिसे बच्चे अपना रहे हैं। वे नशे के लिए बाजार में उपलब्ध सनफिक्स, बैंड फिक्स इत्यादि के धड़ल्ले से उपयोग करते देखे जा रहे हैं। कई बच्चे सनफिक्स के इस कदर आदी हो चुके हैं कि वे दिन भर में 5-6 पैक तक सनफिक्स को सूंघकर खत्म कर देते हैं।
नशे के रूप में सनफिक्स का प्रयोग कर रहे एक 8 वर्षीय बच्चे से पूछने पर बताया कि इसे सूंघने काफी आनंद मिलता है। यदि इसे न सूंघे तो शरीर में अकड़न सी हो जाती है।
अधिकतर किराना दुकान व किताब एवं स्टेशनरी के दुकान में धडल्ले से बिक रही है। हालांकि बच्चों को ऐसी चीजें देने से दुकानदार परहेज करते हैं। फिर भी बच्चे किसी न किसी बात या काम का का बहाना बना कर इसे खरीद लेते हैं।
दूसरी तरफ पान दुकानदार छोटे-छोटे बच्चे भी गुटखा, सिगरेट आराम से दे देते हैं। सामग्री खुलेआम परोसे जा रहे हैं। गुटखा का प्रचलन फैशन बन चुका है छोटी सी उम्र में बच्चों को यूं नशे की लत में पड़ जाना उनके स्वास्थ्य की दृष्टिकोण से भी काफी खतरनाक है।
शहर की सड़कों पर कचरा बीनने वाले निर्धन परिवारों के बच्चे इन दिनों घातक व्हाइटनर के नशे की लत के शिकार हो रहे हैं। व्हाइटनर पुस्तक विक्रेताओं या स्टेशनरी की दुकान पर आसानी से उपलब्ध हो जाता है। साथ ही खरीदने वाले से बेचने वाला खरीदने का कारण भी नहीं पूछता। व्हाइटनर की शीशी बाजार में 28 से 30 रुपए में मिल जाती है, जिसे कपड़े में डालकर ये बच्चे सूँघते रहते हैं।
शहर की निर्धन बस्तियों के 10 से 16 वर्ष की उम्र के बच्चे व्हाइटनर व पेट्रोल के नशे के आदी हो रहे हैं। ये बच्चे पैसे होने पर व्हाइटनर खरीद लेते हैं, अन्यथा वाहनों से पेट्रोल चुरा लेते हैं। व्हाइटनर का नशा अधिक समय तक रहने के कारण अधिकांश बच्चे इसी का नशा करते हैं।
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Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."