गोरखपुर के चर्चित तिवारी परिवार के पूर्व विधायक विनय तिवारी को ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग और बैंक धोखाधड़ी के गंभीर आरोपों में गिरफ्तार किया। हरिशंकर तिवारी की विरासत और गोरखपुर की राजनीति में बाहुबल की भूमिका पर फिर उठे सवाल।
गोरखपुर: पूर्वांचल की राजनीति में लंबे समय तक प्रभावशाली रहे तिवारी परिवार एक बार फिर से सुर्खियों में है। इस बार कारण है पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी की प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा गिरफ्तारी, जो मनी लॉन्ड्रिंग और बैंक धोखाधड़ी के गंभीर आरोपों के तहत की गई है।
कौन हैं विनय तिवारी?
विनय तिवारी, गोरखपुर की राजनीति के एक कद्दावर नाम हरिशंकर तिवारी के बेटे हैं। हरिशंकर तिवारी को उत्तर प्रदेश की राजनीति में बाहुबल और अपराध के प्रवेश के लिए जाना जाता है।
राजनीति और अपराध का मिला-जुला दौर
हरिशंकर तिवारी ने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत चिल्लूपार विधानसभा से की थी। उनकी और वीरेंद्र शाही के बीच चली दुश्मनी ने गोरखपुर और पूर्वांचल की राजनीति को अपराध के रंग में रंग दिया। कहा जाता है कि इसी टकराव के चलते गोरखपुर को ‘शिकागो ऑफ ईस्ट’ कहा जाने लगा था।
बलवंत सिंह और रवींद्र सिंह जैसे नाम उसी दौर में उभरे, लेकिन जल्द ही इनकी हत्या हो गई। इन घटनाओं के पीछे अक्सर उंगलियां तिवारी खेमे की ओर उठती रहीं। वहीं, वीरेंद्र शाही को ठाकुर समुदाय का और हरिशंकर तिवारी को ब्राह्मण समुदाय का नेता माना जाता था।
तिवारी परिवार पर लगातार विवाद
‘तिवारी बाबा का हाता’, जो तिवारी परिवार का निवास है, उस पर पुलिस ने कई बार छापेमारी की। एक आरोपी की तलाश में हुई छापेमारी को लेकर समर्थकों ने विरोध प्रदर्शन भी किया।
इसके बाद, 2020 में CBI ने विनय तिवारी और उनकी पत्नी रीता तिवारी के खिलाफ केस दर्ज किया। गंगोत्री इंटरप्राइजेज के नाम पर बैंकों से लोन लेकर उसका दुरुपयोग करने और प्रोजेक्ट्स में निवेश की बजाय अन्यत्र पैसे लगाने के आरोप में बैंक धोखाधड़ी का मामला सामने आया।
अब क्या आगे?
ED की गिरफ्तारी के बाद यह मामला और तूल पकड़ सकता है। बैंकों को हुए भारी नुकसान के चलते अब केंद्रीय एजेंसियां भी गहराई से जांच में जुट गई हैं।
➡️संजय कुमार वर्मा की रिपोर्ट

Author: samachardarpan24
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