बलिया में स्वतंत्रता सेनानी की जमीन पर तेल का बड़ा भंडार मिलने की पुष्टि
बलिया में स्वतंत्रता सेनानी चित्तू पांडेय की जमीन पर तेल का भंडार मिलने की पुष्टि। ONGC ने खुदाई शुरू की, परिवार को सालाना 10 लाख रुपये का भुगतान। जानें पूरी खबर!
बलिया न्यूज: स्वतंत्रता संग्राम के महान सेनानी चित्तू पांडेय की भूमि अब “काला सोना” उगलेगी। जिस जमीन पर कभी उनका परिवार खेती करता था, वहां कच्चे तेल का विशाल भंडार मिला है। इस अहम खोज के बाद ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन लिमिटेड (ONGC) ने करीब साढ़े एकड़ जमीन को पट्टे पर लेकर खुदाई शुरू कर दी है।
इसके बदले, सेनानी परिवार को हर साल 10 लाख रुपये का भुगतान किया जा रहा है। यह पट्टा फिलहाल तीन साल के लिए हुआ है, लेकिन यदि तेल का उत्पादन संतोषजनक रहा, तो भविष्य में इस जमीन का अधिग्रहण कर प्लांट स्थापित किया जाएगा।
गंगा बेसिन में तेल की खोज का अहम हिस्सा है बलिया
तीन साल पहले सेटेलाइट सर्वेक्षण और अत्याधुनिक तकनीकों के जरिए बलिया से प्रयागराज तक फैले करीब 300 वर्ग किमी के गंगा बेसिन में कच्चे तेल का विशाल भंडार होने का अनुमान लगाया गया था। इसके बाद ONGC ने इस क्षेत्र में विस्फोट और अन्य भू-वैज्ञानिक परीक्षण किए, जिससे चार स्थानों पर तेल की संभावनाएं मजबूत हुईं।
इन चार स्थानों में से एक बलिया जिले के सागरपाली के पास वैना रत्तू चक है, जो नेशनल हाईवे और सागरपाली गांव के बीच स्थित है। ONGC ने केंद्र सरकार, राज्य सरकार और जिला प्रशासन से आवश्यक अनुमतियां (NOC) लेने के बाद खुदाई शुरू कर दी है।
चित्तू पांडेय के परिवार की जमीन पर खुदाई शुरू
बलिया को सबसे पहले स्वतंत्र कराने वाले नायक चित्तू पांडेय के पड़पोते मिंटू पांडेय और उनके परिवार के अन्य चार सदस्यों की करीब साढ़े एकड़ जमीन को ONGC ने पट्टे पर लिया है। इस जमीन पर बाड़ लगाकर खुदाई का कार्य तेज कर दिया गया है। खुदाई के लिए असम से अत्याधुनिक मशीनें और क्रेन मंगाई गई हैं।
परिवार के सदस्य नील पांडेय ने बताया कि फिलहाल यह पट्टा तीन साल के लिए दिया गया है, जिसके बदले उन्हें हर साल 10 लाख रुपये का भुगतान किया जाएगा। यदि जरूरत पड़ी, तो पट्टे की अवधि को एक साल और बढ़ाया जा सकता है।
3000 मीटर की गहराई में छिपा है तेल का खजाना
ONGC के अधिकारियों के अनुसार, यहां तेल का विशाल भंडार तो है, लेकिन यह बहुत गहराई में स्थित है। इसे निकालने के लिए 3,001 मीटर गहरी बोरिंग की जा रही है। खुदाई के दौरान रोजाना 25,000 लीटर पानी का इस्तेमाल किया जा रहा है।
अधिकारियों का कहना है कि काम बहुत तेजी से चल रहा है और उम्मीद है कि अप्रैल के अंत तक तेल की सतह तक बोरिंग पूरी हो जाएगी। अगर यहां से सकारात्मक परिणाम मिलते हैं, तो गंगा बेसिन में चिन्हित अन्य स्थानों पर भी इसी तरह के कुएं खोदे जाएंगे।
➡️जगदम्बा उपाध्याय की रिपोर्ट

Author: जगदंबा उपाध्याय, मुख्य व्यवसाय प्रभारी
जिद है दुनिया जीतने की