संतोष कुमार सोनी की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश की रहने वाली शहजादी खान को संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में फांसी दी जा चुकी है। केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट को सूचित किया कि शहजादी को 15 फरवरी 2025 को ही मृत्युदंड दे दिया गया था। अब उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार 5 मार्च को किया जाएगा।
दिल्ली हाईकोर्ट में केंद्र सरकार का बयान
दिल्ली उच्च न्यायालय में सरकार की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) चेतन शर्मा ने विदेश मंत्रालय का पक्ष रखते हुए बताया कि भारतीय अधिकारी इस मामले में हरसंभव सहायता कर रहे हैं। हाईकोर्ट में यह जानकारी शहजादी के पिता शब्बीर खान की याचिका पर सुनवाई के दौरान दी गई। शब्बीर खान ने अपनी बेटी की सजा पर केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की अपील की थी। हालांकि, सरकार के जवाब के बाद अदालत ने इस याचिका का निपटारा कर दिया।
पहले फांसी की खबर को बताया गया था गलत
इससे पहले 16-17 फरवरी को कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से दावा किया गया था कि शहजादी अब भी यूएई की जेल में बंद हैं और 24 घंटे के भीतर फांसी की खबरें गलत हैं। भारतीय दूतावास भी इस मामले पर लगातार नजर बनाए हुए था।
पिता ने छह महीने पहले जताई थी चिंता
शहजादी के पिता शब्बीर खान ने सितंबर 2024 की शुरुआत में कहा था कि उनकी बेटी ने जेल से फोन करके बताया था कि 20 सितंबर के बाद कभी भी उसे फांसी दी जा सकती है। इस पर शब्बीर ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ईमेल भेजकर बेटी की जान बचाने की गुहार लगाई थी। हालांकि, अब सरकार की ओर से आधिकारिक पुष्टि हो चुकी है कि शहजादी को 15 फरवरी को फांसी दी जा चुकी है।
सरकार की ओर से दी जा रही है हरसंभव सहायता
सरकार ने अदालत में यह भी स्पष्ट किया कि भारतीय दूतावास और विदेश मंत्रालय इस पूरे मामले में परिवार की मदद कर रहे हैं। अब 5 मार्च को शहजादी का अंतिम संस्कार किया जाएगा।
शहजादी खान के परिवार के लिए यह बेहद दुखद खबर है। छह महीने पहले से ही उनकी फांसी को लेकर आशंका जताई जा रही थी, लेकिन अब सरकार की ओर से आधिकारिक पुष्टि के बाद स्थिति स्पष्ट हो गई है।
आइए मामले की पृष्ठभूमि में झांकें,
उत्तर प्रदेश के बांदा जिले की रहने वाली 33 वर्षीय शहजादी खान को संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के अबू धाबी में फांसी की सजा दी गई थी। उन पर आरोप था कि उन्होंने अपनी देखरेख में रहने वाले चार महीने के बच्चे की हत्या की थी, जिसके लिए अबू धाबी की अदालत ने उन्हें दोषी ठहराया था।
विदेश यात्रा: शहजादी 19 दिसंबर 2021 को अबू धाबी गई थीं, जहां वे एक भारतीय परिवार के साथ घरेलू सहायिका के रूप में कार्यरत थीं।
आरोप: उन पर आरोप था कि उनकी देखरेख में रहने वाले चार महीने के बच्चे की हत्या हुई थी, जिसके लिए उन्हें गिरफ्तार किया गया था।
अदालती कार्यवाही: अबू धाबी की अदालत ने उन्हें दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई थी।
परिवार की प्रतिक्रिया:
शहजादी के पिता, शब्बीर खान, ने भारतीय अधिकारियों और सरकार से हस्तक्षेप करने की अपील की थी, यह दावा करते हुए कि उनकी बेटी निर्दोष है। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ईमेल भेजकर अपनी बेटी की जान बचाने का अनुरोध किया था।
आखिरी कॉल:
15 फरवरी 2025 को, फांसी से पहले, शहजादी ने अपने माता-पिता को फोन किया था, जिसे उन्होंने अपना “आखिरी कॉल” बताया था। इस कॉल में उन्होंने अपने माता-पिता से विदाई ली, जिससे उनका परिवार बेहद दुखी हुआ।
भारतीय दूतावास की प्रतिक्रिया:
भारतीय दूतावास ने यूएई अधिकारियों से मामले की पुष्टि की थी और शहजादी के लिए समीक्षा याचिका दायर की गई थी। दूतावास इस मामले पर लगातार नजर रख रहा था।
वदीमा कानून:
यूएई में बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए ‘वदीमा कानून’ लागू है, जो बच्चों के खिलाफ हिंसा और दुर्व्यवहार के मामलों में सख्त सजा का प्रावधान करता है। शहजादी पर लगे आरोप इसी कानून के तहत थे, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई थी।
यह मामला भारतीय नागरिकों के लिए विदेशों में कानूनी चुनौतियों और उनके अधिकारों की सुरक्षा के महत्व को उजागर करता है। शहजादी के परिवार ने उनकी बेगुनाही का दावा किया था, लेकिन कानूनी प्रक्रियाओं के चलते उन्हें न्याय नहीं मिल सका।
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