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21 March 2025 9:52 am

रामनगर गांव में पेयजल संकट गहराया, जिम्मेदारों की अनदेखी से ग्रामीण बेहाल

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संजय सिंह राणा की रिपोर्ट

चित्रकूट। ब्लॉक मुख्यालय के गांव रामनगर में पेयजल की भारी किल्लत बनी हुई है, जिससे ग्रामीणों को पानी के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। खासकर, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पानी की भयंकर समस्या के कारण कर्मचारी ब्लॉक परिसर के अन्य स्रोतों से जैसे-तैसे काम चला रहे हैं।

हैंडपंप खराब, शिकायतों के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं

गांव में हैंडपंपों की स्थिति बेहद खराब है। ब्लॉक गेट के सामने स्थित हैंडपंप, जो राहगीरों और स्थानीय निवासियों के लिए पेयजल का मुख्य स्रोत था, कई दिनों से खराब पड़ा है। स्थानीय निवासियों ने कई बार शिकायत की, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया।

इतना ही नहीं, शिकायत दर्ज होने के बावजूद हैंडपंप को चालू बताया गया, जबकि हकीकत में वह अभी भी खराब पड़ा है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ग्रामीणों की समस्याओं को लेकर प्रशासन इतना उदासीन क्यों बना हुआ है?

हैंडपंप री-बोर और मरम्मत में भारी घोटाला

गांव के कई हैंडपंप सूख चुके हैं या जलस्तर इतना नीचे चला गया है कि वे पानी देने में असमर्थ हैं। हैरानी की बात यह है कि जिले के पांचों ब्लॉकों में हैंडपंप री-बोर और मरम्मत के नाम पर लाखों रुपये निकाले जा रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है।

ग्राम प्रधान और सचिव फर्जी बिल तैयार कर सरकारी धन का गबन कर रहे हैं। कई ग्राम पंचायतों में हैंडपंप री-बोर का भुगतान तो हो गया, लेकिन मौके पर कोई काम ही नहीं हुआ। इसका नतीजा यह है कि ग्रामीण अब भी बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं।

‘हर घर नल योजना’ भी विफल, ग्रामीणों को नहीं मिल रहा पानी

पेयजल संकट को दूर करने के लिए सरकार ने जल जीवन मिशन – हर घर नल योजना शुरू की थी, लेकिन यह योजना भी रामनगर और आसपास के गांवों में सही तरीके से लागू नहीं की गई। पाइपलाइन तो बिछा दी गई, लेकिन पानी की नियमित आपूर्ति नहीं हो रही है, जिससे ग्रामीणों की परेशानी जस की तस बनी हुई है।

गर्मी से पहले ही संकट, आगे क्या होगा?

गर्मी का मौसम अभी ठीक से शुरू भी नहीं हुआ है, और हालात पहले से ही इतने खराब हैं। ऐसे में, भीषण गर्मी में यह संकट और विकराल रूप ले सकता है। अगर प्रशासन ने जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो हालात और बिगड़ सकते हैं।

अब देखने वाली बात यह होगी कि जिला प्रशासन इस गंभीर समस्या को सुलझाने के लिए कोई ठोस कार्रवाई करता है या फिर ग्रामीण इसी तरह पानी के लिए भटकते रहेंगे।

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