ब्रजकिशोर सिंह की रिपोर्ट
मथुरा,वृंदावन: वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज की रात्रि पदयात्रा को लेकर उठा विवाद आखिरकार सुलझ गया। एनआरआई ग्रीन सोसाइटी के लोगों द्वारा पदयात्रा के विरोध के बाद यह मामला गरमा गया था, जिससे महाराज ने अपनी पदयात्रा को स्थगित कर दिया था। हालांकि, अब एनआरआई ग्रीन सोसाइटी के अध्यक्ष स्वयं महाराज की शरण में पहुंचे और अपनी गलती स्वीकार करते हुए उनसे क्षमा याचना की।
क्या था विवाद?
प्रेमानंद महाराज हर रात 2 बजे छटीकरा रोड स्थित अपने श्रीकृष्ण शरणम आवास से श्रीराधा केलिकुंज आश्रम तक पदयात्रा करते थे। इस दौरान उनके हजारों भक्त भजन-कीर्तन, बैंड-बाजे और आतिशबाजी के साथ इस पदयात्रा में सम्मिलित होते थे। हालांकि, इस शोरगुल से प्रभावित होकर एनआरआई ग्रीन सोसाइटी के निवासियों ने विरोध जताया और इसे बंद कराने की मांग की।
सोसाइटी के लोगों का कहना था कि इस यात्रा के दौरान लाउडस्पीकर और पटाखों की आवाज से उनकी दिनचर्या प्रभावित हो रही थी। उन्होंने प्रशासन से भी इस मुद्दे पर शिकायत की, जिसके बाद संत प्रेमानंद महाराज ने पदयात्रा को स्थगित करने का निर्णय लिया और यात्रा का मार्ग बदलकर प्रेम मंदिर के सामने से निकालने लगे।
भक्तों का विरोध और बाजार में बहिष्कार
जैसे ही संत प्रेमानंद महाराज की पदयात्रा के विरोध की खबर फैली, उनके भक्तों में नाराजगी बढ़ गई। वृंदावन के स्थानीय दुकानदारों ने एनआरआई ग्रीन सोसाइटी के लोगों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और कई दुकानों पर बोर्ड लगा दिए, जिनमें लिखा था— “एनआरआई ग्रीन वालों को यहां सामान नहीं मिलेगा।”
दुकानदारों और स्थानीय निवासियों का कहना था कि यदि सोसाइटी के लोगों को महाराज की पदयात्रा से कोई समस्या थी, तो उन्हें पहले संत से संवाद करना चाहिए था, न कि सीधे विरोध प्रदर्शन करना चाहिए था।
एनआरआई ग्रीन सोसाइटी के अध्यक्ष पहुंचे प्रेमानंद महाराज की शरण में
बढ़ते विरोध और भक्तों की नाराजगी को देखते हुए एनआरआई ग्रीन सोसाइटी के अध्यक्ष प्रेमानंद महाराज के पास पहुंचे और अपनी गलती स्वीकार की। उन्होंने संत से माफी मांगते हुए कहा कि सोसाइटी के लोगों का उद्देश्य महाराज का अपमान करना नहीं था, बल्कि वे केवल शोरगुल से परेशान थे।
अध्यक्ष ने कहा, “महाराज जी, मैं आपको पिछले 12-14 वर्षों से जानता हूं। पहले मैं हर दिन आपके दर्शन करता था, लेकिन भीड़ बढ़ने के कारण अब कम आ पाता हूं। इस विवाद को कुछ यूट्यूबरों ने गलत तरीके से प्रस्तुत किया और भ्रम फैलाया।”
प्रेमानंद महाराज का बड़ा दिल, सभी को दिया प्रेम का संदेश
महाराज प्रेमानंद ने अध्यक्ष की बात को धैर्यपूर्वक सुना और प्रेमपूर्वक उत्तर दिया, “हमारा कोई विरोधी नहीं है। हमारा काम सबको सुख देना है। जैसे ही हमें पता चला कि किसी को परेशानी हो रही है, हमने यात्रा का मार्ग बदल लिया। हमारा किसी से वैर-विरोध नहीं है।”
उन्होंने आगे कहा कि सोसाइटी के अन्य लोग भी बिना हिचकिचाहट के उनसे मिलने आ सकते हैं। उन्होंने प्रेम और भाईचारे का संदेश देते हुए कहा, “हम सबको प्रेम से जोड़ने आए हैं। हम किसी का अहित नहीं चाहते और न ही कभी किसी के विरोध में कुछ कहेंगे।”
भविष्य में पुनः शुरू हो सकती है पदयात्रा
एनआरआई ग्रीन सोसाइटी के अध्यक्ष ने आग्रह किया कि महाराज अपनी रात्रि पदयात्रा दोबारा शुरू करें। उन्होंने कहा कि वे स्वयं इस यात्रा में सम्मिलित होकर सभी संतों की सेवा करेंगे और इस बार सुनिश्चित करेंगे कि किसी को कोई परेशानी न हो।
इस पर प्रेमानंद महाराज ने कहा, “अगर किसी को कोई परेशानी हो तो वे सीधे हमारे पास आएं। हम सबका स्वागत करते हैं। हमें किसी से कोई शिकायत नहीं है और हम सभी के लिए प्रेमभाव रखते हैं।”
इस विवाद के बाद एक बार फिर प्रेमानंद महाराज की आध्यात्मिकता और उनका बड़ा हृदय देखने को मिला। उन्होंने बिना किसी आक्रोश के इस पूरे विवाद को प्रेमपूर्वक सुलझा दिया और सभी को आपसी प्रेम और समझदारी का संदेश दिया। भक्तों में अब उम्मीद है कि जल्द ही उनकी प्रिय पदयात्रा फिर से आरंभ होगी और वृंदावन की गलियों में प्रेम और भक्ति का संचार पहले की तरह होता रहेगा।
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Author: जगदंबा उपाध्याय, मुख्य व्यवसाय प्रभारी
जिद है दुनिया जीतने की