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30 January 2025 11:22 pm

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40 महिलाओं का एक ही पति, नाम है “रुप चंद” ; पूरा मामला आपका दिमाग घुमा देगा

116 पाठकों ने अब तक पढा

प्रशांत झा की रिपोर्ट

अरवल। बिहार में जारी जातिगत जनगणना के दौरान एक बेहद अनोखी और हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है। यह मामला बिहार के अरवल जिले से जुड़ा है, जहां जनगणना करने पहुंचे अधिकारियों को उस समय गहरा आश्चर्य हुआ जब उन्होंने पाया कि एक ही इलाके की 40 महिलाओं ने अपने पति के नाम के तौर पर ‘रूपचंद’ दर्ज करवाया है। यही नहीं, कुछ महिलाओं ने अपने बेटे और पिता के नाम की जगह भी ‘रूपचंद’ लिखवाया।

जब यह बात अधिकारियों को पता चली, तो वे चकित रह गए और इस अजीबोगरीब मामले की तह तक जाने की कोशिश करने लगे। हालांकि, हैरान करने वाली बात यह रही कि जब अधिकारियों ने रूपचंद नाम के व्यक्ति को खोजने की कोशिश की, तो वह कहीं नहीं मिला। इस घटना की सूचना मिलते ही प्रशासन में भी हड़कंप मच गया, और इस मामले को समझने के लिए अधिकारी गहराई से जांच में जुट गए।

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, जिस इलाके में यह घटना सामने आई है, वह एक रेड लाइट एरिया है। इस मोहल्ले में रहने वाली कई महिलाएं वर्षों से नाच-गाकर अपना जीवन यापन कर रही हैं, जबकि कुछ महिलाएं सेक्स वर्कर के रूप में कार्य कर रही हैं। इनके लिए सबसे बड़ी समस्या यह थी कि जब जनगणना अधिकारी उनसे उनके पति का नाम पूछ रहे थे, तो वे क्या जवाब दें।

इस मुश्किल स्थिति से बचने के लिए इन महिलाओं ने ‘रूपचंद’ नाम को ही अपना पति मान लिया। यहां तक कि कुछ महिलाओं ने इसे अपने बेटे और पिता के रूप में भी लिखवा दिया। गहराई से जांच करने पर अधिकारियों को समझ आया कि ये महिलाएं दरअसल ‘रूपचंद’ कहकर रुपये की बात कर रही थीं। उनके लिए ‘रूपचंद’ पैसा ही है, जो उनके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है। यही वजह थी कि उन्होंने जनगणना के दौरान पति, बेटा और पिता के नाम की जगह ‘रूपचंद’ दर्ज कराया।

प्रशासन और समाज के लिए गंभीर सवाल

यह मामला न केवल प्रशासन के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए भी एक महत्वपूर्ण सवाल खड़ा करता है। यह घटना उन महिलाओं की स्थिति को दर्शाती है, जो समाज के हाशिये पर हैं और जिनकी पहचान तक उनके पेशे की वजह से खो चुकी है।

बिहार सरकार द्वारा 15 अप्रैल से शुरू की गई जातिगत जनगणना के दौरान विभिन्न जातियों के लोगों की जानकारी इकट्ठी की जा रही है। इस प्रक्रिया के तहत अधिकारियों द्वारा लोगों से 17 तरह के सवाल पूछे जा रहे हैं। इनमें परिवार की सामाजिक-आर्थिक स्थिति से लेकर उनके रिश्तों तक की जानकारी शामिल है। इसी दौरान जब अधिकारियों ने महिलाओं से उनके पति का नाम पूछा, तो यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ।

यह घटना केवल एक तकनीकी त्रुटि नहीं है, बल्कि यह समाज के एक अनदेखे और उपेक्षित हिस्से की असलियत को सामने लाती है। यह बताती है कि समाज के कुछ वर्ग अब भी आर्थिक और सामाजिक असुरक्षा में जी रहे हैं, जहां उनके लिए पैसा ही सबकुछ बन गया है। इस मामले के सामने आने के बाद प्रशासन भी इस मुद्दे को गंभीरता से ले रहा है और इसे एक व्यापक सामाजिक समस्या के रूप में देखने की जरूरत है।

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