जगदंबा उपाध्याय की रिपोर्ट
महाकुंभ के दौरान हुई भगदड़ में बलिया जिले के अलग-अलग थाना क्षेत्रों की मां-बेटी सहित चार महिलाओं की दर्दनाक मौत हो गई। वहीं, मऊ जिले की एक महिला की भी जान चली गई। इस हृदयविदारक घटना से मृतकों के परिवारों में कोहराम मच गया और गांवों में मातम पसर गया। सूचना मिलते ही सभी परिवारजन प्रयागराज के लिए रवाना हो गए।
बलिया जिले के नगरा थाना क्षेत्र की दो महिलाओं की मौत
बलिया जिले के नगरा थाना क्षेत्र के चचया गांव की दो महिलाओं की मौत की खबर मिलते ही पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई। मृतकों की पहचान रिंकी सिंह (35) पत्नी छट्ठू सिंह और मीरा देवी (50) पत्नी बलजीत सिंह के रूप में हुई। दोनों महिलाएँ आपस में पड़ोसी थीं और एक साथ महाकुंभ स्नान के लिए गई थीं।
बुधवार की सुबह करीब 3 बजे परिजनों को इस दुखद घटना की जानकारी मिली। यह सुनते ही परिवार में चीख-पुकार मच गई। गाँव के लोगों ने शोक संतप्त परिवारों को ढांढस बंधाया, लेकिन किसी की भी आँखें आंसुओं से सूखी नहीं रह सकीं। मृत महिलाओं के घरों पर शोक संवेदना व्यक्त करने के लिए लोगों की भारी भीड़ जमा हो गई। परिजन तत्काल प्रयागराज के लिए रवाना हो गए।
फेफना थाना क्षेत्र में मां-बेटी की दर्दनाक मौत
बलिया जिले के ही फेफना थाना क्षेत्र के नसीराबाद गाँव में भी भगदड़ ने एक परिवार को उजाड़ दिया। यहाँ की निवासी रीना देवी (36) और उनकी 8 वर्षीय बेटी रोशनी पटेल की भगदड़ में दबकर मौत हो गई।
इस घटना की पुष्टि रीना देवी के पति दिनेश पटेल ने की। उन्होंने मोबाइल फोन पर अपने परिवार को सूचना दी और बताया कि शवों को लाने के लिए कोई इंतजाम नहीं है। यह सुनते ही गाँव में मातम छा गया। रोते-बिलखते परिजन घटनास्थल के लिए रवाना हो गए।
मऊ जिले की महिला भी भगदड़ की चपेट में आई
प्रयागराज हादसे में मऊ जिले की भी एक महिला की मौत हो गई। कोपागंज थाना क्षेत्र के फतेहपुर ताल नारजा गाँव की निवासी प्रभावती राजभर (50) पत्नी लाला राजभर भी महाकुंभ स्नान के लिए प्रयागराज गई थीं।
वह 28 जनवरी को अपने गाँव के कुछ लोगों के साथ निजी वाहन से मौनी अमावस्या पर स्नान करने पहुंची थीं। लेकिन मंगलवार को भगदड़ के दौरान वह इसकी चपेट में आ गईं और उनकी मौत हो गई।
गांवों में गम का माहौल, परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल
महाकुंभ जैसे पवित्र धार्मिक आयोजन में इस तरह की भगदड़ से हुई मौतों ने सभी को झकझोर कर रख दिया है। गांवों में मातम का माहौल है और परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। गाँव के लोग भी इस त्रासदी से स्तब्ध हैं और हर कोई पीड़ित परिवारों को सांत्वना देने में लगा है।
सरकार और प्रशासन की ओर से इस हादसे पर अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन मृतकों के शवों को घर लाने और उनके अंतिम संस्कार की तैयारियाँ की जा रही हैं। इस हृदयविदारक हादसे ने महाकुंभ की भीड़ प्रबंधन पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।