कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर आगामी उपचुनाव को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। समाजवादी पार्टी (सपा) ने चुनाव से पहले इस क्षेत्र के तीन थानेदारों को हटाने की मांग की है। पार्टी ने उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) को पत्र लिखकर प्रशासन पर सपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ फर्जी मुकदमे दर्ज कर उत्पीड़न करने का आरोप लगाया है।
थानेदारों को हटाने की मांग
समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्याम लाल पाल ने रविवार को सीईओ को लिखे पत्र में मिल्कीपुर के तीन थाना क्षेत्रों—कुमारगंज, इनायत नगर और खंडासा—के थानाध्यक्षों (SHO) को हटाने की मांग की है। पार्टी का आरोप है कि ये थानेदार सपा पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को झूठे मुकदमों में फंसा रहे हैं और उन्हें परेशान कर रहे हैं।
सपा सांसद का बयान
अयोध्या से सपा सांसद अवधेश प्रसाद ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस सपा कार्यकर्ताओं को दिनभर हिरासत में रखकर देर रात रिहा कर रही है। इसके अलावा, सपा के जिला महासचिव बख्तियार खान और जिला सचिव राम तेज यादव सहित 12 से अधिक सपा पदाधिकारियों पर मुकदमे दर्ज किए गए हैं। सांसद ने पुलिस पर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने और चुनाव को प्रभावित करने का आरोप लगाया है।
फर्जी मुकदमे और उत्पीड़न का आरोप
सपा प्रदेश अध्यक्ष द्वारा भेजे गए पत्र में दावा किया गया है कि चुनाव की घोषणा के बाद से ही पुलिस सपा समर्थकों को झूठे आरोपों में फंसा रही है। पार्टी ने आरोप लगाया कि थानेदारों के निर्देश पर बूथ अध्यक्षों, सेक्टर प्रभारियों और अन्य प्रमुख नेताओं के खिलाफ फर्जी मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं। पत्र में कहा गया है कि इन कार्रवाइयों से चुनाव प्रभावित होने का खतरा है। सपा ने इन तीनों थानेदारों को तत्काल अयोध्या से हटाने की मांग की है।
बीजेपी और सपा के बीच सीधा मुकाबला
मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर 5 फरवरी को मतदान होगा और नतीजे 8 फरवरी को घोषित किए जाएंगे। इस उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और समाजवादी पार्टी के बीच सीधा मुकाबला है। बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की सुप्रीमो मायावती ने उपचुनाव से दूरी बनाने का ऐलान किया है।
उम्मीदवारों की घोषणा
सपा ने इस सीट से अयोध्या सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को अपना प्रत्याशी बनाया है, जबकि बीजेपी ने चंद्रभानु पासवान को मैदान में उतारा है। दोनों ही दलों के लिए यह उपचुनाव बेहद अहम है, क्योंकि यह न सिर्फ क्षेत्रीय स्तर पर बल्कि प्रदेश की राजनीति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
सियासी समीकरण
मिल्कीपुर का उपचुनाव सत्तारूढ़ बीजेपी और विपक्षी सपा के बीच कांटे की टक्कर का गवाह बनेगा। दोनों दल अपनी-अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए जोर-शोर से तैयारी कर रहे हैं। सपा का आरोप है कि प्रशासनिक दबाव के जरिए बीजेपी चुनाव में लाभ उठाने की कोशिश कर रही है, जबकि बीजेपी ने इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की है।
इस उपचुनाव के नतीजे न केवल क्षेत्रीय राजनीति को प्रभावित करेंगे बल्कि आगामी विधानसभा चुनावों के लिए भी संकेत देंगे।