अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव का बिगुल बज चुका है, और इसके साथ ही प्रदेश की राजनीति का पारा चढ़ने लगा है। यह उपचुनाव सिर्फ एक सीट तक सीमित नहीं है, बल्कि राज्य की राजनीति की दिशा और दशा तय करने में अहम भूमिका निभाएगा। इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और समाजवादी पार्टी (सपा) के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है। दोनों ही दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है, जिससे यह चुनाव दिलचस्प मोड़ ले चुका है।
भाजपा का ‘हर बूथ जीतें’ अभियान
भाजपा इस उपचुनाव को एक बड़े मौके के रूप में देख रही है। लोकसभा चुनाव में मिली चुनौतियों के बाद पार्टी इसे अपनी खोई साख को वापस पाने का अवसर मान रही है। संगठन ने इस सीट पर पांच मंडलों को अलग-अलग मंत्रियों के हवाले कर दिया है। ये मंत्री न केवल संगठन को मजबूत कर रहे हैं बल्कि अनुसूचित जाति के मतदाताओं के बीच संवाद स्थापित करने के लिए “संविधान गौरव अभियान” भी चला रहे हैं।
मंडलवार जिम्मेदारियां:
अमानीगंज मंडल: सहकारिता मंत्री जेपीएस राठौर
हैरिंग्टनगंज मंडल: खेल मंत्री गिरीश चंद्र यादव
कुचेरा मंडल: खाद्य और रसद राज्य मंत्री सतीश शर्मा
कुमारगंज मंडल: चिकित्सा राज्य मंत्री मयंकेश्वर शरण
मिल्कीपुर मंडल: आयुष राज्य मंत्री दयाशंकर मिश्र “दयालु”
प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और संगठन महासचिव धर्मपाल सिंह इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी कर रहे हैं। बूथ स्तर पर समीक्षा और मतदाताओं को मतदान केंद्र तक लाने के लिए रणनीतियां बनाई जा रही हैं।
सपा का मोर्चा: मजबूत गढ़ बचाने की कोशिश
समाजवादी पार्टी इस सीट को अपनी प्रतिष्ठा के लिए बेहद अहम मान रही है। पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अयोध्या के वरिष्ठ नेताओं को लखनऊ बुलाकर चुनावी रणनीति तैयार की। हालांकि, परिवार में एक निधन के कारण बैठक स्थगित करनी पड़ी।
सपा ने बूथ और सेक्टर स्तर पर अपने कार्यकर्ताओं को सक्रिय कर दिया है। मतदाता सूची का गहन निरीक्षण किया जा रहा है ताकि किसी भी मतदाता को नजरअंदाज न किया जाए।
बसपा के वोट बैंक पर नजर
इस उपचुनाव को और रोचक बनाने का काम बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के चुनाव न लड़ने के फैसले ने किया है। बसपा का यह निर्णय भाजपा और सपा दोनों के लिए संभावनाओं का नया द्वार खोलता है। अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़े वर्गों के वोटों पर दोनों ही दल अपनी निगाहें जमाए हुए हैं। भाजपा ने इन वर्गों को साधने के लिए अपने मंत्रियों को विशेष जिम्मेदारी दी है।
चुनाव कार्यक्रम और सीएम योगी की सक्रियता
नामांकन प्रक्रिया 10 जनवरी से शुरू हो चुकी है और 17 जनवरी तक चलेगी। नामांकन पत्रों की जांच 18 जनवरी को होगी और नाम वापसी की अंतिम तिथि 20 जनवरी है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस उपचुनाव को लेकर व्यक्तिगत रूप से बेहद सक्रिय हैं। यह सीट भाजपा के लिए “नाक का सवाल” बन चुकी है। योगी आदित्यनाथ अब तक मिल्कीपुर के पांच दौरे कर चुके हैं, जिसमें उन्होंने मंत्रियों और संगठन के पदाधिकारियों को बूथ मजबूत करने और मतदाताओं को मतदान केंद्र तक लाने के लिए विशेष निर्देश दिए हैं।
मिल्कीपुर का यह उपचुनाव केवल भाजपा और सपा की प्रतिष्ठा की लड़ाई नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश की राजनीति का अहम संकेतक बन सकता है। जहां भाजपा इसे अपने लिए जीत के नए अवसर के रूप में देख रही है, वहीं सपा इसे अपने गढ़ को बचाने की चुनौती मान रही है।
आने वाले दिनों में यह देखना बेहद दिलचस्प होगा कि जनता का विश्वास किसके पक्ष में जाता है और यह चुनाव प्रदेश की राजनीति में क्या नया मोड़ लाता है।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."