संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
चित्रकूट। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के तहत गरीब महिलाओं को सशक्त बनाने के उद्देश्य से चलाए जा रहे जनकल्याणकारी कार्यक्रमों में भारी फर्जीवाड़ा सामने आया है। स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के नाम पर योजनाओं को कागज़ों में ही पूरा दिखाया जा रहा है, जबकि जमीनी स्तर पर इनका कोई लाभ महिलाओं तक नहीं पहुंच रहा है।
फर्जीवाड़े के प्रमुख बिंदु
स्वयं सहायता समूह केवल कागजों में सक्रिय दिखाई देता है। सरकार द्वारा महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए बनाए गए स्वयं सहायता समूहों की गतिविधियां पूरी तरह से ठप हैं। अधिकांश समूह केवल दस्तावेज़ों में सक्रिय दिखाए जा रहे हैं। समूहों की नियमित बैठकें नहीं हो रही हैं और महिलाओं को योजनाओं का लाभ देने के नाम पर फर्जी भुगतान किया जा रहा है।
स्वतंत्रता दिवस पर झंडे बनाने में गड़बड़ी
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से झंडे सिलवाने का आदेश जारी किया गया था। 12-13 अगस्त को झंडे सिलने के आदेश जारी किए गए थे, लेकिन सवाल उठता है कि केवल दो दिनों में हजारों झंडे कैसे तैयार किए गए।
लक्ष्य: जिले में 86,000 झंडों का लक्ष्य निर्धारित किया गया।
भुगतान: प्रति झंडा 20 रुपये की दर से लगभग 1.60 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया।
धोखाधड़ी: झंडे सिलने का काम समूहों से न करवाकर सीधे बाजार से झंडों की खरीदारी की गई।
महिलाओं को केवल 2 रुपये प्रति झंडा का भुगतान किया गया।
रजिस्टर छपाई और बिक्री में हेराफेरी
रजिस्टरों की छपाई और वितरण में भी बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की गई।
छपाई का निर्धारित रेट 350 रुपये प्रति रजिस्टर था, लेकिन 800 रुपये प्रति रजिस्टर का फर्जी भुगतान किया गया।
स्वयं सहायता समूहों को प्रति रजिस्टर 1000 रुपये की दर से बेचा गया।
अधिकारियों की मिलीभगत
फर्जीवाड़े में बीएमएम (ब्लॉक मिशन मैनेजर) से लेकर डीएमएम (डिस्ट्रिक्ट मिशन मैनेजर) और डीसी एनआरएलएम (डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेटर) तक की भूमिका संदिग्ध है। सूत्रों के अनुसार, डीसी एनआरएलएम की सहमति से इस घोटाले को अंजाम दिया गया।
जांच और कार्रवाई की मांग
जिले के गरीब और पिछड़े वर्ग की महिलाओं के साथ हो रही इस धोखाधड़ी ने सरकार की योजनाओं की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की जा रही है। अब देखना यह है कि संबंधित विभाग इस मामले में जांच कर दोषियों पर कब तक कार्रवाई करता है।
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, जो गरीब महिलाओं के जीवन स्तर को सुधारने का सपना दिखाता है, भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है। इससे न केवल सरकारी योजनाओं की साख पर बट्टा लगा है, बल्कि महिलाओं के अधिकारों पर भी कुठाराघात हुआ है। जरूरत है कि इस फर्जीवाड़े की गहन जांच हो और दोषियों को सख्त सजा मिले।
Author: samachar
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