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8 January 2025 3:45 pm

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कल्याण कला मंच द्वारा नववर्ष एवं मकरसंक्रांति पर कला कलम संगोष्ठी का आयोजन

49 पाठकों ने अब तक पढा

सुरेंद्र मिन्हास की रिपोर्ट

बिलासपुर, हिमाचल। कल्याण कला मंच, बिलासपुर ने नववर्ष और मकरसंक्रांति के उपलक्ष्य में साकेत इको गार्डन, बामटा में एक भव्य कला कलम संगोष्ठी का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में साहित्य, कला और सांस्कृतिक भावनाओं का समागम देखने को मिला।

कार्यक्रम की मुख्य अतिथि भंज्वानी की दसवीं कक्षा की छात्रा लता कुमारी थीं, जिन्होंने अपनी प्रतिभा से सभी को प्रभावित किया। अध्यक्षता भराड़ी के वरिष्ठ साहित्यकार बृज लाल लखनपाल ने की। कार्यक्रम का संचालन मंच की महासचिव तृप्ता कौर मुसाफिर ने किया, जिन्होंने गुरु गोविंद सिंह जी के बलिदान और त्याग का उल्लेख करते हुए संगोष्ठी का शुभारंभ किया।

रचनात्मक प्रस्तुतियां और सांस्कृतिक समर्पण

संगोष्ठी में विभिन्न क्षेत्रों के कवियों, लेखकों और कलाकारों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत कीं। दनोह के पूर्व शिक्षक रविंदर शर्मा ने “वर्षा आई, वर्षा आई, सबके लिए खुशियां लाई” शीर्षक से अपनी कविता सुनाई, जो प्रकृति के सौंदर्य को दर्शाती थी।

रौड़ा के वयोवृद्ध राम पाल डोगरा ने “हर साल हम नया साल मनाते हैं, पर अपने विक्रमी संवत क्यों भूल जाते हैं” सुनाकर पारंपरिक मूल्यों और परंपराओं को सजीव किया। वहीं भंज्वानी की पूजा कुमारी ने पहाड़ी बोली में “लन्घी गई बर्खा, आई गया शीत, ऐबे छोड़े आइजा ओ बिछड़े प्रीत” गीत गाकर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया।

अमरपुर के युवा शिक्षक राजकुमार कौंडल ने “देखा नवां साल आई गया, नवियां मिदां ल्याई गया” कविता सुनाई, जिसमें नववर्ष का उल्लास झलकता था। रौड़ा के पूर्व प्रधानाचार्य जितराम सुमन ने “भई इक दिन घूमदा-घुमांदा, हां पुज्जी ग्या भटेड़ा” सुनाकर पहाड़ी जीवन के सरल पक्ष को उजागर किया।

दनोह के पूर्व प्रिंसिपल अमरनाथ धीमान ने पहाड़ी में अपनी कविता “कीनी रोकणे अंजु, कीनी पुन्झाने भवें पेंही रे होए जोड़े” प्रस्तुत की। रौड़ा के संयुक्त निदेशक शिक्षा सुशील पुंडीर ने “ये दुनिया के नजारे, तू भी देख दुनिया के नजारे” सुनाकर सभी को प्रेरित किया।

मंच संचालक तृप्ता कौर मुसाफिर ने “सुखी बसेया नंद पुरिये, असां तैनू छड़ चलणा” गाकर एक आध्यात्मिक संदेश दिया। पत्रकार और लेखक सुरेंद्र मिन्हास ने “ए मेघ कजरारे आसमां निहारे, पथरा गई ये अखियां, ना भीगी सखियां” सुनाकर समाज में अनावृष्टि की त्रासदी को बखूबी चित्रित किया।

अध्यक्ष और मुख्य अतिथि का योगदान

कार्यक्रम के अध्यक्ष बृज लाल लखनपाल ने “बेईमानी खान्दी जाननी, खरे थे से जमाने” जैसी कविताओं के माध्यम से सामाजिक और नैतिक मूल्यों पर प्रकाश डाला।

मुख्य अतिथि छात्रा लता कुमारी ने “डुगी-डुगी नदियां, बड़ी तेज धारां हो” गीत सुनाकर सभी का मन मोह लिया। उनकी मधुर आवाज और आत्मविश्वास ने उन्हें कार्यक्रम का आकर्षण बना दिया।

संगोष्ठी का समापन

मंच के संयोजक अमरनाथ धीमान ने संगोष्ठी में भाग लेने वाले सभी कलाकारों और विद्वानों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने इस कार्यक्रम को सफल बनाने में सभी की सहभागिता की प्रशंसा की।

कल्याण कला मंच द्वारा आयोजित यह संगोष्ठी साहित्य, कला और संस्कृति का अनुपम संगम बनी, जिसमें नववर्ष और मकरसंक्रांति के उल्लास को शब्दों और सुरों के माध्यम से अभिव्यक्त किया गया।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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