सोनू करवरिया की रिपोर्ट
बांदा जिले के नरैनी ब्लॉक अंतर्गत ग्राम पंचायत तुर्रा की अस्थायी गौशाला में हालात इस कदर खराब हैं कि देखने वाले का दिल दहल जाए। गौशाला में मौजूद गौवंश भूख से बिलखते हुए एक-एक तिनका बीनकर खाने को मजबूर हैं। इन्हें पराली खिला दी जा रही है, जो पोषण के लिए पर्याप्त नहीं है। इससे गौवंश अत्यंत कमजोर होकर मौत के कगार पर पहुंच रहे हैं।
भूख से तड़पते गौवंश, पानी में फेंकी गई गाय
गौशाला में निरीक्षण के दौरान चार गौवंश मरणासन्न स्थिति में मिले, जिनमें से एक को जिंदा पानी के गड्ढे में फेंक दिया गया था। वह तड़पती रही, लेकिन किसी ने उसे बचाने की जहमत नहीं उठाई। यह अमानवीय दृश्य न केवल ग्रामीणों बल्कि हर संवेदनशील व्यक्ति को झकझोर देता है।
ग्राम प्रधान और सचिव की मनमानी
गौशाला में व्याप्त अनियमितताओं को लेकर स्थानीय लोग कई बार उच्च अधिकारियों से शिकायत कर चुके हैं। लेकिन ग्राम प्रधान और सचिव के खिलाफ अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। उनकी मनमानी और लापरवाही के कारण गौवंश ठंड और भूख से दम तोड़ रहे हैं।
कागजों पर ही पूरी हो रही जिम्मेदारी
गौशाला में केवल दिखावे के लिए भूसा और चारे की व्यवस्था कागजों पर दिखाई जा रही है। असल में गौवंश को पर्याप्त भोजन और देखभाल नहीं मिल पा रही है। इस भीषण ठंड में गौशाला का निरीक्षण करने कोई जिम्मेदार अधिकारी नहीं पहुंचा।
मुख्यमंत्री के आदेशों की अनदेखी
ग्राम पंचायत के जिम्मेदार लोग मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गौवंश संरक्षण के आदेशों को नजरअंदाज कर रहे हैं। उनकी लापरवाही न केवल गौवंशों के लिए घातक है, बल्कि शासन की छवि को भी नुकसान पहुंचा रही है।
प्रशासन की जवाबदेही पर सवाल
बांदा जिले के अधिकारियों और ग्राम पंचायत के जिम्मेदारों की चुप्पी सवाल खड़े करती है। आखिरकार कब तक गौशाला में ऐसी दुर्दशा होती रहेगी? क्या दोषियों पर कोई कार्रवाई होगी, या हमेशा की तरह इसे भी रफा-दफा कर दिया जाएगा?
यह स्थिति केवल तुर्रा की गौशाला तक सीमित नहीं है, बल्कि ऐसी अव्यवस्था अन्य गौशालाओं में भी देखने को मिल रही है। यह प्रशासन के लिए एक गंभीर चेतावनी है कि यदि जल्द ही उचित कदम नहीं उठाए गए, तो यह अमानवीयता और बढ़ सकती है।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."