कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट
लखनऊ: विधानसभा चुनाव के दौरान राजनीतिक हलचलें तेज हो गई हैं, और नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है। इसी बीच, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता रमेश बिधूड़ी ने एक विवादित बयान देकर नया विवाद खड़ा कर दिया है। उनके इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मचा दिया है। विपक्षी दलों, खासकर कांग्रेस, ने इस बयान को लेकर बीजेपी पर तीखा हमला बोला है।
बीजेपी नेता रमेश बिधूड़ी ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी पर एक अमर्यादित टिप्पणी की, जिसके बाद उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने इसे बीजेपी की “वास्तविक मानसिकता” करार दिया। अजय राय ने कहा, “रमेश बिधूड़ी का यह बयान उनकी मानसिक दिवालियेपन और कुंठित सोच का प्रतीक है। यह भाजपा के असली चरित्र और चेहरा को उजागर करता है।”
कांग्रेस का तीखा पलटवार
प्रियंका गांधी पर की गई टिप्पणी को लेकर अजय राय ने कहा, “यह सिर्फ प्रियंका गांधी का अपमान नहीं है, बल्कि हर उस महिला का अपमान है जो समाज की सेवा में समर्पित है और देश के विकास में अपना योगदान दे रही है। बिधूड़ी का बयान महिलाओं के प्रति उनकी हीन भावना और भाजपा की नारी विरोधी सोच को दर्शाता है।”
प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने कहा, “पूरा देश इस घटिया बयान से स्तब्ध है। यह बयान महिलाओं की गरिमा पर हमला है और इसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हम मांग करते हैं कि बीजेपी रमेश बिधूड़ी के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करे।”
क्या था रमेश बिधूड़ी का बयान?
दिल्ली के कालकाजी विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी उम्मीदवार रमेश बिधूड़ी ने एक चुनावी रैली में कहा, “मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि जैसे मैंने ओखला और संगम विहार की सड़कें बनवाई हैं, वैसे ही कालकाजी में सभी सड़कें प्रियंका गांधी के गाल जैसी चिकनी बना दूंगा।” उनके इस बयान ने न सिर्फ कांग्रेस बल्कि आम जनता के बीच भी नाराजगी पैदा कर दी।
बिधूड़ी की सफाई
विवाद बढ़ने के बाद रमेश बिधूड़ी ने अपने बयान पर सफाई देते हुए कहा कि उनकी टिप्पणी का संदर्भ बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव द्वारा की गई एक टिप्पणी से था। उन्होंने कहा, “अगर मेरे शब्दों से किसी को ठेस पहुंची है, तो मैं खेद व्यक्त करता हूं और अपने बयान को वापस लेता हूं।”
राजनीतिक माहौल गरमाया
इस बयान के बाद राजनीतिक माहौल और अधिक गरम हो गया है। कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों ने इसे महिलाओं के प्रति बीजेपी की असंवेदनशीलता का उदाहरण बताया है। वहीं, बीजेपी अब तक इस मुद्दे पर कोई ठोस कार्रवाई करने से बचती नजर आ रही है।
यह विवाद इस बात की ओर इशारा करता है कि आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव न केवल विकास के मुद्दों पर बल्कि नैतिकता और राजनीतिक मर्यादा के स्तर पर भी परखा जाएगा।
Author: samachar
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