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7 January 2025 5:18 pm

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2024: विदाई और आत्ममंथन का अवसर

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अनिल अनूप

2024 का अंतिम आलेख है। उसके बाद नए साल 2025 का सूर्योदय होगा, नई हवाएं चलेंगी, फिजाएं खिलेंगी, तो उनके साथ नए उल्लास और नई उम्मीदें भी जगेंगी। उनके विश्लेषण भी साथ-साथ करेंगे, लेकिन 2024 की खूबसूरत विदाई और 2025 के भावुक, हार्दिक स्वागत की सजावटी तैयारियां पूरे यौवन पर हैं। घर और बाजार चमकने लगे हैं। खरीददारी बढ़ रही है, तो देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी सकारात्मक संकेत है कि आम उपभोक्ता की मांग बढऩे लगी है। युवा पीढ़ी कुछ ज्यादा ही खुश और सक्रिय दिख रही है। युवा लोग छोटे-छोटे समूहों में पार्टियों का आनंद ले रहे हैं। अलग-अलग किस्म और तरह-तरह के कोणों से रील्स बनाई जा रही हैं। सोशल मीडिया पर इन रील्स की बहार है। 

लोग व्हाट्सऐप, फेसबुक, इंस्टाग्राम, एक्स और टिकटॉक सरीखे सोशल मीडिया मंचों पर एक-दूसरे को, नववर्ष की, शुभकामनाएं दे रहे हैं। उनके सुनहरे आगत की कामनाएं कर रहे हैं। दुआएं दे रहे हैं। बेशक इसे सोशल मीडिया का ‘फैशन’ करार दिया जाए अथवा एक जमात ऐसी रील्स और शुभकामना-संदेशों को ‘फिजूल संस्कृति’ मानती रहे। यह उनकी सोच, उनके पूर्वाग्रह हो सकते हैं, लेकिन औपचारिक तौर पर शुभकामनाएं देने या भेजने के वैज्ञानिक, मनोवैज्ञानिक, चिकित्सीय और भावनात्मक प्रभाव भी पड़ते हैं, यह विभिन्न शोधों के जरिए सामने आ रहा है। जब आप किसी को शुभकामनाएं देते हैं, तब मानव-मस्तिष्क में ‘डोपामाइन’ और ‘ऑक्सीटोसिन’ सरीखे रसायनों का उत्पादन बढ़ता है। यह तनाव कम करने और खुशियों को बढ़ाने में मदद करते हैं।

जो लोग हररोज या नियमित तौर पर शुभकामनाएं भेजते हैं, उनमें अवसाद के लक्षण अपेक्षाकृत कम देखे गए हैं। लोग तनाव और अवसाद के इलाज पर ही लाखों रुपए फूंक देते हैं और फिर भी स्थायी चैन नहीं मिलता। क्यों न नियमित रूप से शुभकामनाएं भेजी जाएं? अमरीकी साइकोलॉजिकल एसोसिएशन के एक अध्ययन का निष्कर्ष है कि शुभकामनाएं देने से हृदय गति और रक्तचाप को नियंत्रित करने में भी मदद मिलती है। एक शोध यह भी है कि शुभकामनाएं देने और सकारात्मक भावनाओं से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। कोरोना वैश्विक महामारी के दौरान लोगों को रोग प्रतिरोधक क्षमता का महत्व समझ में आया, जिसकी कमी के कारण असंख्य असामयिक मौतें हुईं। यह सोशल मीडिया का युग है, लिहाजा लोग प्रत्येक पर्व, विशेष दिन या अवसर, उपलब्धि आदि पर आपस में बधाई देते हैं और शुभकामनाएं देते हैं। कुछ तो हररोज की शुभकामनाएं भेजते हैं, ‘राम-राम’ कहते हैं, ‘नमस्कार’ के चित्र के साथ अभिवादन भी साझा करते हैं। ऐसा मानवीय व्यवहार ‘फिजूल’ या ‘निरर्थक’ कैसे हो सकता है? शुभकामनाओं के आदान-प्रदान से लोगों में आपसी विश्वास बढ़ता है, भावनात्मक जुड़ाव भी मजबूत होता है। हम सबके लिए यह नववर्ष का मौका है, लिहाजा खूब शुभकामना-संदेश भेजिए, लिखिए और अपनी रचनात्मकता का परिचय भी दें। 

समय के प्रवाह को कोई नहीं रोक सकता। हर गुजरता दिन, हर बीतता वर्ष हमें एक नई सुबह का आभास कराता है। 2024 अब समाप्ति की ओर है। यह वर्ष भी अपने साथ अनेक स्मृतियां, उपलब्धियां और सीख लेकर हमें छोड़ने को तैयार है। लेकिन जैसे हर विदाई एक नई शुरुआत की प्रस्तावना होती है, वैसे ही 2024 को अलविदा कहते हुए हमें 2025 का स्वागत न केवल उत्साह से, बल्कि आत्ममंथन की गहरी भावना के साथ करना होगा।

पिछले 2024 वर्षों में मानवता ने अकल्पनीय प्रगति की है। पत्थरों से आग पैदा करने वाले इंसान ने आज कृत्रिम बुद्धिमत्ता, अंतरिक्ष अन्वेषण, और चिकित्सा विज्ञान में वह ऊंचाईयां छू ली हैं, जो कभी केवल कल्पनाओं में थी। लेकिन क्या यह विकास संपूर्ण और सन्तुलित है? इस प्रश्न का उत्तर खोजने के लिए हमें अतीत के साथ-साथ वर्तमान पर भी विचार करना होगा।

यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि 2024 तक मानव जाति ने विज्ञान, तकनीक और जीवन के अन्य क्षेत्रों में अद्भुत उपलब्धियां हासिल की हैं। चिकित्सा के क्षेत्र में नई-नई बीमारियों का इलाज संभव हो गया है। कृत्रिम अंगों और जीन एडिटिंग जैसी तकनीकों ने विकलांगता को नई परिभाषा दी है। अंतरिक्ष विज्ञान में भारत, अमेरिका, चीन और अन्य देशों ने अभूतपूर्व सफलता पाई है। चंद्रयान और मंगल मिशनों ने हमें ब्रह्मांड को बेहतर ढंग से समझने का अवसर दिया।

तकनीक ने हमारे जीवन को आसान बना दिया है। स्मार्टफोन, इंटरनेट, और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) ने संचार, शिक्षा, और मनोरंजन के क्षेत्र में क्रांति ला दी है। आज हम घर बैठे दुनिया के किसी भी कोने से जुड़ सकते हैं। लेकिन यह प्रगति एकतरफा नहीं है। इसकी एक कीमत भी है।

प्रगति की छाया में चुनौतियां

जहां 2024 तक तकनीक ने हमारे जीवन को सरल बनाया है, वहीं इसके कारण कई नई समस्याएं भी उत्पन्न हुई हैं। जलवायु परिवर्तन आज सबसे बड़ी वैश्विक चुनौती है। औद्योगिक विकास, प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन, और प्लास्टिक का बढ़ता उपयोग हमारी धरती को नुकसान पहुंचा रहा है। ग्लेशियर पिघल रहे हैं, समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है, और असामान्य मौसम परिस्थितियां हर साल गंभीर होती जा रही हैं।

साथ ही, डिजिटल युग में मानसिक स्वास्थ्य एक नई चुनौती बनकर उभरा है। सोशल मीडिया और इंटरनेट के अति प्रयोग ने हमें भले ही भौतिक रूप से जोड़ दिया हो, लेकिन भावनात्मक रूप से हम पहले से ज्यादा अकेले हो गए हैं। अवसाद, तनाव और चिंता जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं।

बीते समय का आत्ममंथन

2024 हमें यह सिखाता है कि केवल भौतिक प्रगति से जीवन का उद्देश्य पूरा नहीं होता। हमें अपने भीतर झांकना होगा और यह समझना होगा कि कहां हमसे चूक हुई है। मानवता की सबसे बड़ी ताकत उसकी सोचने और बदलने की क्षमता है। यह समय है कि हम अपने पर्यावरण, समाज और व्यक्तिगत जीवन में संतुलन बनाना सीखें।

बीते समय का मंथन हमें यह बताता है कि गलतियां केवल गलतियां नहीं होतीं, वे हमारे भविष्य को संवारने के अवसर भी होती हैं। इतिहास हमें यह सिखाता है कि जिन्होंने अपनी गलतियों से सीखा, वे ही आगे बढ़े। चाहे वह महात्मा गांधी हों, जिन्होंने अपने जीवन में असत्य का त्याग कर सत्य की राह पकड़ी, या वैज्ञानिक थॉमस एडीसन, जिन्होंने हजारों असफलताओं के बाद बल्ब का आविष्कार किया।

परिवर्तन की आवश्यकता

परिवर्तन प्रकृति का नियम है। हर नए वर्ष के साथ हमें अपनी सोच और दृष्टिकोण में सुधार करना चाहिए। 2025 की दहलीज पर खड़े होकर हमें यह तय करना होगा कि हम केवल भौतिक प्रगति तक सीमित नहीं रहेंगे।

परिवर्तन केवल बाहरी नहीं, बल्कि आंतरिक भी होना चाहिए। हमें अपने भीतर के क्रोध, लोभ, और अहंकार को त्यागकर प्रेम, करुणा और सहानुभूति जैसे गुणों को अपनाना होगा। आने वाला समय केवल तकनीकी और वैज्ञानिक प्रगति का नहीं, बल्कि मानवीय मूल्यों के पुनर्जागरण का समय होना चाहिए।

2025 में प्रवेश करते हुए हमें कुछ संकल्प लेने चाहिए:

1. प्रकृति के प्रति सम्मान: पर्यावरण संरक्षण को अपनी प्राथमिकता बनाएं। छोटे कदम, जैसे पानी बचाना, प्लास्टिक का उपयोग कम करना, और पेड़ लगाना, बड़ा बदलाव ला सकते हैं।

2. सामाजिक उत्तरदायित्व: समाज के कमजोर वर्गों की मदद के लिए आगे आएं। शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को हर व्यक्ति तक पहुंचाना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।

3. स्वास्थ्य और कल्याण: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को महत्व दें। तकनीक का सही उपयोग करें, लेकिन उससे अपने व्यक्तिगत जीवन को प्रभावित न होने दें।

4. शांति और सद्भाव: व्यक्तिगत और वैश्विक स्तर पर शांति बनाए रखने के लिए प्रयास करें।

2025: एक नई शुरुआत

नया वर्ष केवल एक तारीख नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत का प्रतीक है। यह हमें बताता है कि हर बीतता पल हमें अपनी गलतियों को सुधारने और अपने सपनों को साकार करने का मौका देता है। 2024 के अनुभव और सीखें हमें 2025 में एक बेहतर इंसान बनने के लिए प्रेरित करेंगी।

आइए, इस नए वर्ष का स्वागत आत्मविश्लेषण, आत्मसुधार और नवसृजन की भावना के साथ करें। यह समय है कि हम केवल भौतिक उपलब्धियों पर गर्व न करें, बल्कि अपनी आत्मा, समाज और प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करें।

2025 हमारे लिए एक कोरे कागज की तरह है। हमें इस पर अपनी इच्छाओं, संकल्पों और सपनों को उकेरना है। यह नया साल केवल एक और वर्ष नहीं, बल्कि एक नई संभावना है। आइए, इसे एक उत्साह, आशा और सकारात्मकता के साथ अपनाएं।

बीता हुआ समय वापस नहीं आ सकता, लेकिन उसे समझकर, उससे प्रेरणा लेकर हम अपने भविष्य को बेहतर बना सकते हैं। 2024 को विदाई देते समय यह न भूलें कि हर अंत एक नई शुरुआत का अवसर है। तो आइए, अपने भीतर के अंधकार को दूर करें और 2025 के प्रकाश को गले लगाएं।

पाठकों को नववर्ष की शुभकामनाएं।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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