कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट
पीलीभीत में हाल ही में हुई मुठभेड़ में मारे गए तीन खालिस्तानी आतंकियों से जुड़े एक महत्वपूर्ण खुलासे ने सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया है। जांच में पता चला है कि इन आतंकियों को होटल में रुकवाने के लिए इंग्लैंड से एक कॉल की गई थी। यह कॉल हरियाणा के एक युवक सिद्धू ने की थी, जो फिलहाल यूके में रह रहा है।
स्थानीय युवकों का इस्तेमाल
20 दिसंबर को सिद्धू ने पीलीभीत के दो युवकों, सनी और मनोज, से संपर्क किया और होटल में आतंकियों के ठहरने की व्यवस्था करने का निर्देश दिया। पुलिस जांच में होटल के सीसीटीवी फुटेज से इन दोनों की पहचान की गई। सनी और मनोज, जो पूरनपुर के गजरौला जप्ती के निवासी हैं, को पुलिस ने हिरासत में लेकर पूछताछ की। दोनों ने स्वीकार किया कि सिद्धू ने उनसे यह काम करवाया था।
सिद्धू का संदिग्ध नेटवर्क
पता चला है कि सिद्धू करीब 18 महीने पहले पीलीभीत आया था और यहां 10 महीने तक रहा। इसके बाद वह ग्रीस चला गया। हालांकि, पीलीभीत छोड़ने के बाद भी वह इन युवकों से लगातार संपर्क में था। पुलिस इस नेटवर्क की तह तक पहुंचने के लिए जांच तेज कर रही है।
ब्रिटेन का खंडन
इस घटना के बाद पंजाब के डीजीपी गौरव यादव ने गुरदासपुर में एक चौकी पर हुए हमले में भी यूके कनेक्शन का संकेत दिया था। पंजाब पुलिस की जांच में यह बात सामने आई कि खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स (KZF) का संचालन रणजीत सिंह नीता करता है, जो ग्रीस में रह रहे जसविंदर सिंह मन्नू के साथ मिलकर इसे चलाता है। इसके अलावा, ब्रिटिश सेना के पूर्व कर्मी जगजीत सिंह का नाम भी संगठन के नियंत्रण में सामने आया है। हालांकि, ब्रिटेन के अधिकारियों ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है।
सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने की साजिश
पंजाब पुलिस का दावा है कि जगजीत सिंह और उसके सहयोगी राज्य में सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने के लिए युवाओं की भर्ती कर रहे हैं। इन युवकों को पैसे और विदेश भेजने के प्रलोभन देकर संगठन में शामिल किया जा रहा है। नवंबर 2021 में तरनतारन के सोहल गांव से रणजीत सिंह की गिरफ्तारी के बाद से इस साजिश का खुलासा हुआ। उससे पूछताछ में जगजीत सिंह का नाम सामने आया, जिसके बाद पुलिस ने यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया है।
आगे की कार्रवाई
पंजाब पुलिस ने इस मामले में जल्द ही ब्रिटिश अधिकारियों से पत्राचार करने की बात कही है। भारत और ब्रिटेन के बीच बढ़ते खालिस्तानी नेटवर्क को लेकर यह मामला गंभीर चिंता का विषय बन गया है। सुरक्षा एजेंसियां इस नेटवर्क को जड़ से खत्म करने के लिए विभिन्न पहलुओं पर काम कर रही हैं।