कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट
उत्तराखंड में किसानों के हित के लिए बनाई गई प्रादेशिक को-ऑपरेटिव यूनियन (पीसीयू) में करोड़ों रुपए के घोटाले का मामला सामने आया है। इस घोटाले ने न केवल राज्य के प्रशासनिक ढांचे पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि किसानों की मेहनत की कमाई को दुरुपयोग करने की शर्मनाक तस्वीर भी पेश की है।
पीसीयू का गठन किसानों और सहकारिता से जुड़े जनप्रतिनिधियों को ट्रेनिंग व स्किल डेवलपमेंट के लिए किया गया था। इसके तहत किसानों से धान की खरीद के लिए बैंकों से ओवरड्राफ्ट के जरिए पैसे लिए गए। लेकिन, इन पैसों का उपयोग धान खरीद के बजाय अफसरों और जनप्रतिनिधियों की ऐशो-आराम और निजी खर्चों में किया गया।
अफसरों और जनप्रतिनिधियों के खर्चों पर उड़े किसानों के पैसे
जांच में खुलासा हुआ है कि अफसरों और सहकारिता से जुड़े जनप्रतिनिधियों ने इन पैसों का जमकर दुरुपयोग किया। टूर और हवाई यात्रा के नाम पर बड़ी राशि खर्च की गई। यहां तक कि कुछ अफसरों ने निजी खर्चों के लिए भी इन पैसों का उपयोग किया।
धान खरीद के लिए लिए गए पैसों में से करीब 2 करोड़ रुपए किसानों को डबल भुगतान के रूप में दे दिए गए। इसके अतिरिक्त, 1.40 करोड़ रुपए एक निजी कंपनी के खाते में डायवर्ट कर दिए गए।
घोटाले का खुलासा और कार्रवाई
पीसीयू बोर्ड के अस्तित्व में आने के बाद इन वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा शुरू हुआ। इन घोटालों को देखते हुए पीसीयू के मैनेजर की सेवाएं समाप्त कर दी गईं। हालांकि, अब तक केवल कुछ ही राशि की रिकवरी हो पाई है। बड़ी रकम अभी भी बकाया है।
पीसीयू प्रबंधन ने पूरे मामले की जांच के लिए देहरादून के एसएसपी को पत्र लिखकर मुकदमा दर्ज करने की मांग की है। वहीं, रजिस्ट्रार कोऑपरेटिव सोनिका ने कहा है कि मामले की जांच जारी है और रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
जांच के घेरे में कई बड़े नाम
इस घोटाले की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया है। समिति में अपर निबंधक ईरा उप्रेती, संयुक्त निबंधक मंगला प्रसाद त्रिपाठी और सहायक निबंधक राजेश चौहान शामिल हैं। संभावना जताई जा रही है कि जल्द ही कई बड़े चेहरे बेनकाब होंगे।
जांच में यह भी पाया गया है कि जिन किसानों का निधन हो गया है, उनके खातों में किए गए डबल भुगतान को वापस लेना मुश्किल हो गया है। वहीं, जिन किसानों ने डबल भुगतान के बाद पैसा वापस नहीं किया, उनके खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।
निजी कंपनी को भारी भुगतान
एक टूर एंड ट्रेवल कंपनी को 1.40 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया, जिसमें से केवल 55 लाख रुपए की रिकवरी हो पाई है। बाकी रकम की वसूली अब तक अधूरी है।
सरकार और प्रशासन पर उठे सवाल
इस घोटाले ने उत्तराखंड के प्रशासनिक और सहकारी ढांचे पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। किसानों के अधिकारों और उनके पैसे की सुरक्षा सुनिश्चित करने में सरकार की नाकामी ने राज्य के लोगों में आक्रोश पैदा कर दिया है। इस मामले में कड़ी कार्रवाई की मांग की जा रही है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
(नोट: यह समाचार घटना की गंभीरता और इससे जुड़े तथ्यात्मक विवरण को ध्यान में रखते हुए लिखा गया है।)