मोहन द्विवेदी की खास रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के एक झोले पर निशाना साधा, जिस पर “फिलस्तीन” लिखा हुआ था। प्रियंका गांधी इस झोले को लेकर संसद पहुंची थीं, और इस प्रतीक ने राजनीतिक हलचल मचा दी। यह विवाद भारत की विदेश नीति, राष्ट्रीय राजनीति और राजनीतिक दलों के एजेंडे को लेकर व्यापक चर्चा का केंद्र बन गया।
विवाद की शुरुआत और घटनाक्रम
प्रियंका गांधी एक साधारण झोलानुमा बैग लेकर संसद पहुंचीं, जिस पर “फिलस्तीन” लिखा हुआ था। यह झोला एक विशेष डिजाइनर ब्रांड का था, जो फिलस्तीन के समर्थन में सामान बनाता है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रतिक्रिया
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा, “कांग्रेस की एक नेत्री फिलस्तीन का बैग लेकर घूम रही थीं, और हम यूपी के युवाओं को इजराइल भेज रहे हैं।” योगी आदित्यनाथ ने बताया कि उत्तर प्रदेश से 5,000 से अधिक युवाओं को इजराइल में रोजगार के लिए भेजा गया है, जहां उनके रहने और खाने की मुफ्त व्यवस्था की गई है।
बीजेपी नेताओं के आरोप
भाजपा नेताओं ने प्रियंका गांधी के इस झोले को कांग्रेस की “विदेशी सोच” और “मुस्लिम तुष्टिकरण” की राजनीति का हिस्सा बताया। उनका कहना था कि यह कदम कांग्रेस की उस मानसिकता को दर्शाता है जो भारत की विदेश नीति के खिलाफ है।
प्रियंका गांधी ने विवाद पर पलटवार करते हुए कहा
“अब मैं क्या कपड़े पहनूंगी, यह कौन तय करेगा? यह तो आम पितृसत्ता है कि आप तय करते हैं कि महिलाएं क्या पहनें। मैं वहीं पहनूंगी जो मैं चाहती हूं।”
उन्होंने यह भी कहा कि उनके झोले को लेकर उनके विचार जानने के लिए लोग उनके सोशल मीडिया अकाउंट देख सकते हैं। कांग्रेस ने भाजपा पर आरोप लगाया कि असली मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए इस विवाद को जानबूझकर तूल दिया जा रहा है।
झोले पर “फिलस्तीन” क्यों लिखा था?
प्रियंका गांधी का यह झोला एक ऐसे डिजाइनर ब्रांड का था, जो फिलस्तीन के संघर्ष और मानवाधिकारों के समर्थन में उत्पाद बनाता है।
ऐसे झोले अक्सर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर “फिलस्तीन के संघर्ष के प्रति समर्थन” के प्रतीक के रूप में देखे जाते हैं।
विपक्ष की आलोचना
भाजपा और अन्य विपक्षी दलों ने इसे भारत की आधिकारिक विदेश नीति के खिलाफ बताया।
उनका कहना था कि संसद जैसे महत्वपूर्ण स्थान पर “फिलस्तीन” का झोला लेकर आना कांग्रेस की “राष्ट्रविरोधी मानसिकता” को दर्शाता है।
भाजपा ने इसे मुस्लिम वोटबैंक की राजनीति और तुष्टिकरण का उदाहरण बताया।
कांग्रेस का रुख
कांग्रेस ने इस विवाद को बेवजह बताते हुए कहा कि झोले पर “फिलस्तीन” लिखा होना महज एक फैशन का हिस्सा था।
पार्टी ने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह जनता के असली मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है।
भारत की विदेश नीति पर असर
भारत की विदेश नीति ऐतिहासिक रूप से फिलस्तीन और इजराइल के बीच संतुलन बनाए रखने की रही है।
ऐसे में प्रियंका गांधी के झोले पर “फिलस्तीन” लिखा होना कुछ लोगों ने भारत की विदेश नीति से भटकाव के रूप में देखा।
विरोधियों का हमला
भाजपा ने इसे कांग्रेस की “फिलस्तीन समर्थक” नीतियों के रूप में प्रचारित किया।
सोशल मीडिया पर इसे “राष्ट्रवाद बनाम विदेशी सोच” के एजेंडे से जोड़ा गया।
प्रियंका गांधी की प्रतिक्रिया
प्रियंका गांधी ने इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मुद्दा बताया और कहा कि किसी को यह तय करने का अधिकार नहीं है कि वे क्या पहनें।
साधारण घटना या रणनीतिक भूल
कुछ राजनीतिक विश्लेषकों ने इसे एक साधारण घटना बताया, लेकिन इसे रणनीतिक चूक के रूप में भी देखा गया।
ऐसे प्रतीक महत्वपूर्ण मंचों पर किसी नेता की छवि और पार्टी की नीतियों को प्रभावित कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का इजराइल संदर्भ
योगी आदित्यनाथ ने यह भी बताया कि इजराइल के राजदूत ने हाल ही में उत्तर प्रदेश का दौरा किया था और यूपी के युवाओं की कार्यकुशलता की तारीफ की थी।
उनका यह बयान स्पष्ट करता है कि भाजपा इजराइल के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने के पक्ष में है, और इसी संदर्भ में प्रियंका के “फिलस्तीन” झोले को निशाना बनाया गया।
प्रियंका गांधी के झोले पर “फिलस्तीन” लिखा होने का विवाद भारतीय राजनीति में प्रतीकों के महत्व को उजागर करता है। यह विवाद सिर्फ फैशन या झोले तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें भारत की विदेश नीति, कांग्रेस की रणनीति, भाजपा की राष्ट्रवाद की राजनीति और महिला स्वतंत्रता जैसे कई आयाम जुड़े हैं।
जहां कांग्रेस इसे मुद्दा न बनाने की अपील कर रही है, वहीं भाजपा इसे अपने राष्ट्रवादी एजेंडे से जोड़कर जनता के बीच ले जा रही है। यह घटना बताती है कि भारतीय राजनीति में छोटे-से प्रतीक भी बड़े राजनीतिक विमर्श का हिस्सा बन सकते हैं।