चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के करीमुद्दीनपुर में गौशालाओं से जुड़ा गंभीर भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। सरकार द्वारा गौशाला में निराश्रित मवेशियों के रखरखाव और चारे की व्यवस्था के लिए दिए गए 22 लाख रुपये का दुरुपयोग किया गया। यह धनराशि ग्राम प्रधानों के खातों में भेजी गई थी, लेकिन इसे मवेशियों के चारे पर खर्च करने के बजाय अन्य कामों में खर्च कर दिया गया।
बृहद गौशाला योजना और फंड का आवंटन
गौरतलब है कि प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना “बृहद गौशाला” के तहत बेसहारा पशुओं के संरक्षण की व्यवस्था की जाती है। इसके तहत करीमुद्दीनपुर में एक बड़ी गौशाला का निर्माण किया गया, जहां आसपास के कई गांवों से निराश्रित मवेशियों को रखा गया। 2022 में तत्कालीन एसडीएम ने बाराचव ब्लॉक के लगभग 20 से 25 ग्राम प्रधानों के साथ बैठक कर तय किया था कि उनके सरकारी खातों से पशुओं के चारे के लिए हर महीने धनराशि ट्रांसफर की जाएगी। इसके तहत कुल 20 से 25 लाख रुपये चारे के लिए आवंटित किए गए।
फंड का दुरुपयोग और आरोप
लेकिन, जब यह रकम ग्राम प्रधानों के खातों में आई तो इसका उपयोग मवेशियों के चारे की व्यवस्था में नहीं किया गया। ग्राम प्रधानों द्वारा इस रकम का बंदरबांट करने का मामला सामने आया। गांव के ही निवासी जयंत राम ने अक्टूबर 2024 में इस भ्रष्टाचार की शिकायत जिलाधिकारी से की। उन्होंने आरोप लगाया कि गौशाला संचालित करने वाली संस्था को केवल कुछ लाख रुपये ही दिए गए, जबकि बाकी धनराशि प्रधानों ने अपने रिश्तेदारों की फर्मों में भेज दी। इन फर्मों का काम फर्नीचर और कोल्ड ड्रिंक बेचना है, जिनका गौशाला से कोई लेना-देना नहीं है।
जांच में लापरवाही
शिकायत मिलने पर जिलाधिकारी ने एडीओ पंचायत राम अवध राम को मामले की जांच सौंपी। हालांकि, राम अवध राम ने शिकायतकर्ता को बिना सूचना दिए और बिना गहराई से जांच किए ही मामले को निपटा दिया। इस प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता का पूरी तरह अभाव रहा।
दोबारा जांच की मांग
अब, इस भ्रष्टाचार के खिलाफ एक और आवाज उठी है। करीमुद्दीनपुर के नित्यानंद राय ने जिलाधिकारी को दोबारा जांच के लिए पत्र सौंपा है। पत्र सौंपे हुए 10 दिन से अधिक हो चुके हैं, लेकिन अभी तक शिकायतकर्ता को जांच की कोई सूचना या कार्रवाई की जानकारी नहीं दी गई है।
सवाल और सरकार की जिम्मेदारी
यह मामला न केवल सरकारी फंड के दुरुपयोग का है, बल्कि प्रशासन की कार्यशैली और भ्रष्टाचार पर नियंत्रण में ढिलाई को भी उजागर करता है। सरकार द्वारा आवंटित धन का सही उपयोग सुनिश्चित करना प्रशासन की जिम्मेदारी है। यदि समय रहते उचित कार्रवाई नहीं की गई तो यह योजना अपने मूल उद्देश्य से भटक जाएगी, और निराश्रित मवेशियों की दुर्दशा बनी रहेगी।
शिकायतकर्ता और स्थानीय लोग मांग कर रहे हैं कि मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।