कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट
लखनऊ के काकोरी क्षेत्र में एक दिल दहलाने वाली घटना सामने आई है, जहां मदरसा में पढ़ने वाली 12 वर्षीय छात्रा मारिया को होमवर्क न कर पाने के कारण उसके शिक्षक द्वारा अमानवीय सजा दी गई। यह घटना क्षेत्र के मौलवी मोहल्ले में स्थित दारुल फरुकिया मदरसा की है, जिसमें टीचर अब्दुल कारी माबूद पर गंभीर आरोप लगे हैं।
पढ़ाई के नाम पर यातना
मारिया, जो मदरसे की कक्षा 2 की छात्रा है, रविवार को रोजाना की तरह पढ़ाई के लिए मदरसा पहुंची थी। शिक्षक अब्दुल कारी माबूद ने उससे सबक सुनाने को कहा, लेकिन मारिया पाठ याद नहीं कर पाई। शिक्षक का गुस्सा इस कदर फूटा कि उन्होंने पहले मारिया को डांटा और फिर उसके कपड़े उतरवाकर सबके सामने उसकी पिटाई शुरू कर दी। इस दौरान टीचर ने मारिया का सिर सीट पर जोर से मारा, जिससे वह बेहोश हो गई।
छात्रा की आपबीती
बेहोश होने के बाद जब मारिया को अस्पताल ले जाया गया और उसे होश आया, तो उसने रोते हुए अपनी आपबीती बताई। उसने कहा, “टीचर ने मुझे सबक न याद करने पर कपड़े उतारकर मारा। मना करने पर उन्होंने डंडे से मारा और मेरा सिर बेंच पर लड़ा दिया। वे अक्सर धमकी देते हैं कि अगर पाठ याद नहीं किया तो क्लास में उल्टा टांग देंगे।”
अन्य बच्चों ने भी की शिकायत
मदरसे के अन्य बच्चों ने भी बताया कि शिक्षक अक्सर उन्हें शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना देते हैं। एक छात्र ने कहा कि उन्हें कई बार मुर्गा बनाकर कक्षा के बाहर खड़ा किया जाता है। कुछ दिन पहले एक और बच्ची को इतनी बुरी तरह पीटा गया कि वह रोते हुए घर चली गई थी।
पिता का दर्द और प्रशासन की उदासीनता
मारिया के पिता रजी अहमद का कहना है, “जब मुझे पता चला कि मेरी बेटी बेहोश हो गई है, तो मेरी दुनिया ही उजड़ गई। हम गरीब लोग हैं, लेकिन बच्चों को अच्छी तालीम देना चाहते हैं। अगर ऐसे शिक्षक मदरसों में रहेंगे, तो हम कैसे बच्चों को पढ़ने भेजें?”
रजी अहमद ने बताया कि मामले की शिकायत काकोरी थाना के कस्बा चौकी में की गई, लेकिन पुलिस ने पहले दोनों पक्षों को समझौता करने का दबाव बनाया। जब इस खबर को मीडिया में प्रमुखता से प्रकाशित किया गया, तब जाकर पुलिस ने गंभीरता दिखाई और FIR दर्ज कराई।
मदरसा प्रशासन की चुप्पी
दारुल फरुकिया मदरसा, जिसमें 200 से अधिक बच्चे पढ़ते हैं, इस घटना के बाद से पूरी तरह चुप्प है। स्थानीय लोगों का कहना है कि ऐसे शिक्षकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
जनाक्रोश और पुलिस की कार्रवाई
इस घटना की खबर जब सोशल मीडिया पर वायरल हुई, तो लोगों में गुस्सा भड़क गया। X (पूर्व में ट्विटर) पर इस मुद्दे को लेकर कड़ी आलोचना हुई। बढ़ते दबाव के कारण पुलिस ने आखिरकार FIR दर्ज कर छात्रा का मेडिकल परीक्षण कराया।
यह घटना एक बार फिर से यह सोचने पर मजबूर करती है कि शिक्षा संस्थानों में बच्चों के साथ इस तरह की हिंसा और अमानवीय व्यवहार क्यों हो रहे हैं। यह न केवल बच्चों के शारीरिक स्वास्थ्य के लिए खतरा है, बल्कि उनके मानसिक विकास पर भी गहरा असर डालता है।