संजय कुमार वर्मा की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में मिलावटखोरों द्वारा पुराने आलू को अमोनिया के घोल में डुबोकर नया जैसा बनाने और उसे बाजार में ऊंचे दामों पर बेचने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। फूड सेफ्टी विभाग के अधिकारियों ने छापेमारी में इस गड़बड़ी को उजागर किया और करीब 180 क्विंटल मिलावटी आलू को नष्ट कर दिया।
मामला कैसे उजागर हुआ?
सहायक आयुक्त खाद्य, डॉ. सुधीर कुमार सिंह ने बताया कि उन्हें सूचना मिली थी कि सहजनवा रेलवे स्टेशन के पास एक बाजार में अमोनिया केमिकल से तैयार किए गए आलू को नया बताकर बेचा जा रहा है। इसी तरह, गोरखपुर मंडी में भी मिलावटी आलू बेचने की शिकायत मिली थी। फूड सेफ्टी टीम ने जब दोनों स्थानों पर छापा मारा, तो सच्चाई सामने आ गई।
सहजनवा में 60 किलो और गोरखपुर मंडी में एक क्विंटल 20 किलो मिलावटी आलू जब्त किया गया। अधिकारियों ने इन सभी आलुओं को नष्ट करवा दिया। पूछताछ के दौरान व्यापारी ने स्वीकार किया कि उसने ये आलू संत कबीर नगर से खरीदे थे। उसने बताया कि एक क्विंटल आलू में 10 किलो नया और 90 किलो पुराना आलू मिलाकर बेचा जा रहा था। पुराने आलू को अमोनिया के घोल में डालकर नया जैसा बना दिया जाता था।
अमोनिया से कैसे नया बनता है आलू?
जानकारों के मुताबिक, अमोनिया बाजार में 50 रुपए प्रति किलो के हिसाब से मिलता है। इसका घोल तैयार कर पुराने आलू को उसमें करीब 14 घंटे के लिए डुबो दिया जाता है। इस प्रक्रिया से आलू का छिलका मुलायम हो जाता है। इसके बाद, आलू को मिट्टी में रगड़ा जाता है, जिससे वह देखने में नया जैसा लगता है।
मिलावटी आलू के सेवन से स्वास्थ्य को खतरा
डॉक्टर सोहन गुप्ता का कहना है कि शरीर में अमोनिया का प्राकृतिक स्तर 15 से 45 माइक्रोग्राम प्रति डेसीलीटर तक होता है।
लेकिन अमोनिया युक्त आलू खाने से यह स्तर बढ़ सकता है, जिससे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं:
मस्तिष्क पर असर: दिमाग का संतुलन बिगड़ सकता है।
लिवर डैमेज: जिगर की कार्यक्षमता प्रभावित होती है।
पाचन संबंधी समस्याएं: पेट में सूजन, कब्ज, भूख न लगना जैसी बीमारियां हो सकती हैं।
थकान और कमजोरी: शरीर में थकान और कमजोरी बढ़ जाती है।
जानलेवा खतरा: अत्यधिक अमोनिया का स्तर जानलेवा भी साबित हो सकता है।
कैसे पहचानें केमिकल से तैयार आलू?
मिलावटी आलू की पहचान करना मुश्किल नहीं है। आप इन तरीकों से आसानी से पता लगा सकते हैं:
1. मिट्टी की सफाई: नया आलू पानी से धोने पर उसकी मिट्टी आसानी से साफ नहीं होती, जबकि मिलावटी आलू की मिट्टी तुरंत साफ हो जाती है।
2. काटने पर लक्षण: केमिकल से तैयार आलू काटने पर पानी छोड़ता है और स्पंजी जैसा होता है।
3. छिलके की मुलायमता: अमोनिया के संपर्क में आने से पुराने आलू का छिलका बहुत मुलायम हो जाता है।
किसानों और कारोबारियों की प्रतिक्रिया
गोरखपुर के किसान गोपीनाथ ने बताया कि आलू की नई फसल तैयार होने में कम से कम तीन महीने लगते हैं। गोरखपुर में नई फसल की खुदाई फरवरी से शुरू होती है। वहीं, आलू कारोबारी शाहिद के अनुसार, इस समय सिर्फ पंजाब और हिमाचल से कुछ नई फसल की आवक हो रही है। उन्होंने बताया कि ठेलों पर बेचे जा रहे नए आलू का अधिकांश हिस्सा केमिकल से तैयार किया गया होता है।
उपभोक्ताओं को सतर्क रहने की जरूरत
इस मामले ने उपभोक्ताओं को सावधान रहने की जरूरत पर जोर दिया है। आलू खरीदते समय इन लक्षणों पर ध्यान दें और किसी भी संदिग्ध स्थिति में फूड सेफ्टी विभाग को सूचित करें। मिलावटी आलू का सेवन आपके स्वास्थ्य के लिए घातक साबित हो सकता है।