संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
चित्रकूट। सदर ब्लॉक के कर्वी क्षेत्र की ग्राम पंचायत रमयापुर में गंदगी का ढेर हमेशा लगा रहता है, चाहे दिन हो या रात। यह ग्राम पंचायत भाजपा जिलाध्यक्ष लवकुश चतुर्वेदी का पैतृक गांव होने के बावजूद स्वच्छता की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। यहां के सड़कें, गलियां और नालियां गंदगी से अटी पड़ी हैं, और न तो ग्राम प्रधान, न ही सचिव, और न ही संबंधित अधिकारी इस पर ध्यान दे रहे हैं। इस कारण ग्रामवासी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं।
सरकारी दावों और स्वच्छता अभियानों के बावजूद, रमयापुर गांव में हालात बद से बदतर हो गए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में सफाई कर्मी के मनमानी कार्य और ग्राम प्रधान की लापरवाही ने गंदगी के ढेर को और बढ़ा दिया है। रमयापुर में जगह-जगह कूड़े के ढेर पड़े हुए हैं, और अधिकांश नालियां गंदगी से बजबजा रही हैं, जिससे आने-जाने में भी दिक्कत हो रही है। स्कूल के पास बने रास्ते और मुख्य मार्ग पर भी गंदगी का अंबार है।
सरकार जहां स्वच्छता अभियान चला रही है और संचारी रोगों की रोकथाम के लिए जोर दे रही है, वहीं ग्राम पंचायत के प्रधान द्वारा इस दिशा में कोई प्रयास नहीं किया जा रहा। परिणामस्वरूप, गांव में गंदगी फैली हुई है और लोग विभिन्न बीमारियों का शिकार हो रहे हैं।
यहां यह भी ध्यान देने वाली बात है कि यह गांव भाजपा जिलाध्यक्ष का पैतृक गांव है। इसके बावजूद, यह गांव स्वच्छता अभियान से पूरी तरह से अछूता है। हालांकि सरकार स्वच्छता अभियान पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, लेकिन ग्राम पंचायत में इस अभियान का कोई असर नजर नहीं आ रहा है। सरकारी धन का बंदरबांट विकास कार्यों के नाम पर किया जा रहा है, लेकिन जमीनी हकीकत में इन कार्यों का कोई प्रमाण नहीं मिल रहा। जैसे कि इंटरलॉकिंग खडंजा निर्माण, नाली निर्माण और आर आर सी सेंटर निर्माण कार्यों में भारी घोटाले की आशंका है। इन कार्यों की जांच कराई जानी चाहिए।
ग्राम पंचायत के अंदर दिव्यांग व्यक्तियों की स्थिति भी चिंताजनक है। जैसे दिव्यांग महिला कालू देवी और रामविलास के घर जाने वाले रास्ते पर भी गंदगी का ढेर पड़ा है, जिससे वे कहीं भी आ-जा नहीं सकते। कालू देवी ने बताया कि उन्हें सरकार की उज्ज्वला योजना का लाभ नहीं मिला, जबकि अन्य दिव्यांग व्यक्तियों को ट्राई साइकिल, बैसाखी और अन्य सहायक उपकरण वितरित किए गए हैं। इसके अलावा, मुख्यमंत्री दिव्यांग आवास योजना का लाभ भी इन्हें नहीं मिला है। कालू देवी ने यह भी बताया कि उन्हें 90% विकलांगता के बावजूद इस योजना का कोई लाभ नहीं मिल सका है।
रामविलास ने बताया कि जब उन्होंने ग्राम प्रधान से मुख्यमंत्री आवास योजना के बारे में पूछा, तो प्रधान ने यह कहकर टाल दिया कि डेढ़ दो साल में आवास मिलेगा, लेकिन उनका कार्यकाल जल्द समाप्त होने वाला है। ऐसे में इन दिव्यांगों को यह योजना कैसे मिलेगी, यह एक बड़ा सवाल है।
यह सवाल भी उठता है कि यदि भाजपा के जिलाध्यक्ष का पैतृक गांव स्वच्छता अभियान में इस तरह की दुर्दशा का सामना कर रहा है, तो अन्य ग्राम पंचायतों में स्वच्छता अभियान के हालात कैसे होंगे?
अब यह देखना होगा कि जिला प्रशासन इस मामले में संज्ञान लेकर ग्राम पंचायत रमयापुर में स्वच्छता अभियान के तहत हो रही अनदेखी की जांच करेगा और आवश्यक कार्रवाई करेगा, या फिर ग्राम प्रधान और सचिव की मनमानी के कारण ग्रामीण इसी गंदगी में जीने को मजबूर रहेंगे। यह एक बड़ा सवाल है जो प्रशासन के सामने खड़ा है।