चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से एक बेहद भावुक करने वाली खबर हाल ही में सामने आई थी। 31 साल पहले लापता हुआ राजू नाम का बच्चा आखिरकार अपने परिवार से मिला। गाजियाबाद के खोड़ा पुलिस स्टेशन में हुई इस मुलाकात ने सभी को भावुक कर दिया। मां ने 31 साल से बिछड़े बेटे को गले लगाकर उसके माथे पर बार-बार चूमते हुए नजर उतारी। पूरा परिवार इस पुनर्मिलन की खुशी में डूबा हुआ था। लेकिन कुछ ही दिनों बाद इस कहानी में ऐसा मोड़ आया, जिसने सबको चौंका दिया।
एक और परिवार ने किया दावा
देहरादून के एक अन्य परिवार ने दावा किया है कि राजू, जो अब गाजियाबाद में अपने परिवार के साथ है, असल में उनका बेटा है। इस परिवार ने बताया कि चार महीने पहले राजू ने खुद को उनका बेटा बताते हुए उनसे संपर्क किया था। उसने वही कहानी सुनाई थी, जो उसने गाजियाबाद के परिवार को सुनाई—अगवा होने, बंधक बनाए जाने और मजदूरी के लिए मजबूर किए जाने की।
देहरादून परिवार की सदस्य आशा देवी ने पुलिस को बताया कि राजू ने कुछ समय तक उनके साथ भी बिताया था और उनके परिवार के सदस्य के तौर पर पहचाना था। इस दावे के बाद गाजियाबाद और देहरादून पुलिस के साथ दोनों परिवार भी उलझन में पड़ गए हैं।
पुलिस जांच में जुटी
गाजियाबाद पुलिस ने अब इस मामले की जांच शुरू कर दी है। साहिबाबाद के एसपी रजनीश उपाध्याय ने कहा, “हम इस उलझे मामले की तह तक जाने की कोशिश कर रहे हैं। यह पता लगाया जाएगा कि राजू ने दो परिवारों को अपना क्यों बताया और उसकी असली पहचान क्या है।”
पुलिस ने यह भी खुलासा किया कि देहरादून परिवार ने पहले ही राजू की तस्वीरें साझा की थीं, लेकिन राजू ने उन तस्वीरों में खुद को पहचानने से इनकार कर दिया था। इस बीच, गाजियाबाद के परिवार का कहना है कि राजू उनके साथ रह रहा है लेकिन अक्सर शाम को बाहर जाने की जिद करता है।
राजू की अब तक की कहानी
राजू ने बताया कि जब वह आठ साल का था, तो उसे कुछ अज्ञात लोग अगवा कर ले गए। उसे राजस्थान के जैसलमेर ले जाया गया, जहां उससे खेतों में मजदूरी कराई गई। उसने बताया कि वह पूरे दिन भेड़ें चराता था और रात में उसे बेड़ियों से जकड़ दिया जाता था। उसे खाना भी बहुत सीमित मात्रा में दिया जाता था।
राजू ने कहा कि कुछ समय बाद एक व्यवसायी ने उसकी मदद की, जिससे वह वहां से भागकर गाजियाबाद पहुंचा। यहां पहुंचने के बाद वह खोड़ा पुलिस स्टेशन गया और अपनी कहानी बताई। पुलिस ने 31 साल पुरानी गुमशुदगी की रिपोर्ट खंगालते हुए उसके परिवार को बुलाया, जो उसे देखते ही पहचान गया।
दो परिवार, एक राजू—सच्चाई क्या है?
देहरादून के परिवार का कहना है कि वे पुलिस जांच के आधार पर ही राजू के बारे में कोई निर्णय लेंगे। वहीं, गाजियाबाद का परिवार अभी भी उसे अपना मानकर उसके साथ है।
पुलिस अब डीएनए जांच और अन्य तकनीकी माध्यमों से यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि राजू का असली परिवार कौन है। इस घटना ने दोनों राज्यों की पुलिस को उलझन में डाल दिया है और दो परिवारों की उम्मीदों को अधर में लटका दिया है।
यह कहानी भावुक कर देने वाली होने के साथ-साथ कई सवाल खड़े करती है। क्या राजू किसी बड़े साजिश का शिकार है? या वह अपनी पहचान छिपाने की कोशिश कर रहा है? इस उलझन का हल पुलिस की जांच से ही सामने आएगा।