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December 12, 2024 10:13 pm

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जरा ‘सम्हल’ के “संभल” जाना : कर्फ्यू जैसे हालात और सपा प्रतिनिधिमण्डल संभल हिंसा का जायजा लेने जा रहा है संभल

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ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश के संभल जिले में हाल ही में हुई हिंसा के बाद स्थिति अब नियंत्रण में है। प्रशासन ने शांति बहाल करने के लिए कड़े कदम उठाए हैं और जिले में बाहरी लोगों के प्रवेश पर 10 दिसंबर तक रोक लगा दी है। इस बीच, समाजवादी पार्टी (सपा) का 15 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल आज संभल का दौरा करेगा। इस प्रतिनिधिमंडल की अगुआई विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडे करेंगे। प्रतिनिधिमंडल में प्रमुख नेताओं में लाल बिहारी यादव, संभल से सांसद जियाउर्रहमान बर्क, और विधायक नवाब इकबाल महमूद शामिल हैं।

प्रतिनिधिमंडल का उद्देश्य और प्रशासन का रुख

सपा का यह प्रतिनिधिमंडल हिंसा प्रभावित क्षेत्र का दौरा कर स्थिति का जायजा लेगा और बाद में पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव को रिपोर्ट सौंपेगा। हालांकि, प्रशासन ने किसी भी बाहरी व्यक्ति के संभल आने पर रोक लगा रखी है। सपा नेताओं ने प्रशासन की इस रोक का विरोध किया है। नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडे ने आरोप लगाया कि उन्हें बिना लिखित नोटिस दिए ही उनके आवास के बाहर पुलिस बल तैनात कर दिया गया।

माता प्रसाद पांडे ने कहा, “हमें लिखित नोटिस मिलना चाहिए था, लेकिन बिना किसी सूचना के हमें संभल जाने से रोका जा रहा है। प्रशासन जानबूझकर सच्चाई छिपाने की कोशिश कर रहा है।”

हिंसा और राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप

संभल हिंसा को लेकर भाजपा और सपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है। भाजपा नेता संगीत सोम ने हिंसा के लिए सपा को जिम्मेदार ठहराया है। वहीं, सपा ने प्रशासन और सरकार पर पक्षपात करने का आरोप लगाया।

दिलचस्प बात यह है कि हिंसा के मामले में दर्ज एफआईआर में सांसद जियाउर्रहमान बर्क और विधायक नवाब इकबाल महमूद के बेटे सोहेल इकबाल का नाम भी शामिल है। इसके बावजूद, सपा प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बने इन नेताओं के दौरे को लेकर भाजपा ने सवाल खड़े किए हैं।

कांग्रेस और AIMIM का भी दौरा प्रस्तावित

संभल हिंसा पर राजनीतिक हलचल यहीं तक सीमित नहीं है। कांग्रेस ने 2 दिसंबर को अपना प्रतिनिधिमंडल भेजने की घोषणा की है, जबकि AIMIM ने 20 सदस्यीय टीम को हालात सामान्य होने पर संभल भेजने का ऐलान किया है। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने हिंसा के मुद्दे को धार्मिक तनाव बढ़ाने की साजिश बताया और 1991 के प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के उल्लंघन पर चिंता जताई।

न्यायिक पहल और एएसआई के आरोप

हिंदू पक्ष की ओर से इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक कैविएट दाखिल की गई है, जिसमें मांग की गई है कि अगर मुस्लिम पक्ष कोई याचिका दाखिल करता है, तो बिना हिंदू पक्ष को सुने कोई आदेश पारित न किया जाए। दूसरी ओर, भारतीय पुरातत्व विभाग (ASI) ने जामा मस्जिद की देखभाल को लेकर मस्जिद कमेटी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। एएसआई ने कहा कि मस्जिद कमेटी उन्हें मस्जिद में प्रवेश नहीं करने देती और इमारत के मूल स्वरूप में छेड़छाड़ की है।

सुरक्षा व्यवस्था सख्त

हिंसा के बाद से प्रशासन ने संभल में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। विशेष रूप से जुमे की नमाज के दौरान कड़ी निगरानी रखी गई, जो शांति पूर्वक संपन्न हुई।

संभल हिंसा ने प्रशासन, राजनीति और न्यायिक प्रणाली के बीच एक जटिल स्थिति पैदा कर दी है। आगे की स्थिति पर पूरे देश की नजरें टिकी हैं।

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