कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट
लखनऊ के बन्थरा थाना क्षेत्र में सरकारी खलिहान भूमि पर अवैध कब्जे का मामला गहराता जा रहा है। दबंगों द्वारा सरकारी भूमि पर नवनिर्मित भूखंड का निर्माण कार्य आज, 27 नवंबर 2024, को पूरा कर लिया गया। हैरानी की बात यह है कि इस गंभीर मामले में पीड़ितों द्वारा की गई शिकायतों के बावजूद न तो पुलिस प्रशासन ने कोई ठोस कार्रवाई की और न ही राजस्व विभाग ने अपनी जिम्मेदारी निभाई।
थाना बन्थरा पुलिस की भूमिका पर सवाल
बन्थरा पुलिस प्रशासन की भूमिका इस पूरे प्रकरण में बेहद संदिग्ध और पक्षपातपूर्ण नजर आ रही है। सरकारी खलिहान की जमीन पर कब्जे की शिकायतें दर्ज होने के बावजूद दबंगों को खुला संरक्षण मिला। हल्का इंचार्ज सहदेव कुमार और अन्य पुलिस अधिकारियों ने दबंगों से सुविधा शुल्क लेने के बाद न केवल मामले को नजरअंदाज किया, बल्कि अवैध निर्माण कार्य को पूरा होने दिया।
दिनांक 22/11/2024 से थाना बन्थरा पुलिस से न्याय की गुहार लगाने को मजबूर पीड़ित परिवार लेकिन कोई सुनवाई नहीं।
पीड़ित महिला की तहरीर पर पुलिस ने थाने से विना मैडिकल कराए थाने से पुलिस ने भगाया और वल्कि दबंगों के इशारे पर पुलिस ने उल्टा मुकदमा पीड़ित परिवार के दर्ज कर लिया यह है। उत्तर प्रदेश सरकार की पुलिस प्रशासन अपनी जेब गरम करने के लिए कुछ भी कर गुजरने के लिए तैयार है। ऐसी है। योगी सरकार की कानून व्यवस्था। इसलिए इसे लोग रामराज्य कहते हैं।
चौंकाने वाली बात यह है कि पीड़ित परिवार द्वारा 22 नवंबर 2024 को लिखित शिकायत देने के बाद भी, न केवल पीड़ितों की बात अनसुनी की गई, बल्कि उल्टा उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दिया गया।
112 पुलिस प्रशासन की असफलता
घटना स्थल पर तीन दिन से मौजूद 112 पुलिस प्रशासन की टीम निर्माण कार्य रोकने का प्रयास करती रही, लेकिन बन्थरा थाना पुलिस के प्रभाव के चलते उनकी सारी कोशिशें बेकार साबित हुईं। यह स्पष्ट करता है कि स्थानीय पुलिस प्रशासन दबंगों के समर्थन में काम कर रहा है, जिससे पीड़ित परिवार का भरोसा पूरी तरह टूट चुका है।
क्षेत्रीय प्रशासन की उदासीनता
पीड़ितों ने न केवल पुलिस प्रशासन, बल्कि क्षेत्राधिकारी कृष्णा नगर और उपजिलाधिकारी सरोजिनी नगर को भी अपनी आपबीती सुनाई। बावजूद इसके, किसी सक्षम अधिकारी ने मामले में हस्तक्षेप करना जरूरी नहीं समझा। इससे पीड़ित परिवार खुद को असहाय महसूस कर रहा है।
दबंगई और पुलिस प्रशासन की मिलीभगत
इस मामले में दबंगों द्वारा न केवल सरकारी जमीन पर कब्जा किया गया, बल्कि पीड़ित परिवार को धमकाया गया और उनके साथ मारपीट भी की गई। इन घटनाओं के बावजूद, बन्थरा पुलिस प्रशासन ने दबंगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। इससे साफ होता है कि कानून और व्यवस्था की स्थिति रसूखदार लोगों के दबाव में दम तोड़ चुकी है।
जनता में आक्रोश
सरकारी खलिहान, तालाब, चारागाह और ग्राम पंचायत की जमीनों पर इस तरह के कब्जे केवल स्थानीय प्रशासन की मिलीभगत से संभव हैं। जनता का कहना है कि राजस्व विभाग और पुलिस प्रशासन दोनों ही अपनी आंखें मूंदे हुए हैं और इस “रामराज्य” में धन उगाही में व्यस्त हैं।
यह घटना पुलिस प्रशासन की पक्षपातपूर्ण नीति और कानून व्यवस्था की गिरती स्थिति को उजागर करती है। योगी सरकार के सुशासन के दावों पर भी यह मामला गंभीर सवाल खड़े करता है। ऐसे में जरूरत है कि उच्च प्रशासन इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करे, दोषी पुलिसकर्मियों और दबंगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और पीड़ित परिवार को न्याय दिलाया जाए।
लखनऊ की जनता उम्मीद कर रही है कि सरकार और प्रशासन इस तरह की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए ठोस कदम उठाएंगे।