सर्वेश द्विवेदी की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश में अपराधियों के खिलाफ बुलडोजर का उपयोग एक प्रभावशाली और विवादास्पद कार्रवाई के रूप में देखा जाता रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में 2017 से शुरू हुए इस मॉडल को अपराध नियंत्रण के प्रतीक के रूप में प्रचारित किया गया। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश के बाद इस बुलडोजर एक्शन पर कई सवाल खड़े हो गए हैं। क्या अब यूपी में बुलडोजर की गरज थम जाएगी?
सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए बुलडोजर कार्रवाई पर दिशा-निर्देश जारी किए। कोर्ट ने कहा कि बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के किसी भी व्यक्ति के घर को उजाड़ा नहीं जा सकता। संविधान में दिए गए अधिकारों का हवाला देते हुए कोर्ट ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकारों की मनमानी कार्रवाई से लोगों को सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि संपत्ति का विध्वंस तब तक नहीं किया जा सकता जब तक कि उसके मालिक को 15 दिन पहले पंजीकृत डाक के माध्यम से नोटिस न दिया जाए। इस नोटिस को संपत्ति की बाहरी दीवार पर चिपकाया जाना चाहिए और इसमें अवैध निर्माण की प्रकृति, उल्लंघन का विवरण और विध्वंस के कारणों को स्पष्ट रूप से बताया जाना चाहिए।
बुलडोजर कार्रवाई की वीडियोग्राफी अनिवार्य
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि बुलडोजर एक्शन की वीडियोग्राफी की जाएगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अधिकारियों द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों का पालन किया जा रहा है। अगर इन दिशा-निर्देशों का उल्लंघन होता है तो इसे कोर्ट की अवमानना माना जाएगा। कोर्ट ने कहा कि लोगों के लिए अपने घर का निर्माण उनकी वर्षों की मेहनत और सपनों का परिणाम होता है। यह सुरक्षा और भविष्य की उम्मीदों का प्रतीक है, जिसे बिना उचित कारण के छीना नहीं जा सकता।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं: कांग्रेस और भाजपा आमने-सामने
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति में हलचल मच गई है। कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि बुलडोजर का उपयोग राजनीतिक लाभ के लिए किया जा रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा से सवाल किया कि क्या अब वे अपने फैसलों के लिए माफी मांगेंगे।
दूसरी ओर, योगी सरकार में मंत्री ओपी राजभर ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि सरकार का उद्देश्य कभी किसी के घर को गिराने का नहीं था। उन्होंने कहा कि पूरे देश में इस फैसले का स्वागत हो रहा है, और यह न्याय का समर्थन करता है।
क्या थमेगा बुलडोजर का एक्शन?
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई पर पूरी तरह से रोक नहीं लगाई है, बल्कि इसे कानूनी प्रक्रिया के दायरे में लाने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। कोर्ट के अनुसार, अगर किसी के खिलाफ अवैध निर्माण का आरोप है, तो उसे विध्वंस से पहले उचित नोटिस देकर सुनवाई का मौका दिया जाना चाहिए। इससे पहले उत्तर प्रदेश में अपराधियों के खिलाफ बुलडोजर एक्शन बिना पूर्व सूचना के चलाया जा रहा था, जिसे अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत सीमित किया गया है।
सरकार की रणनीति में बदलाव
2017 में मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने अपराधियों पर शिकंजा कसने के लिए बुलडोजर को एक सख्त मॉडल के रूप में पेश किया। इसके तहत विकास प्राधिकरण, पीडब्लूडी, सिंचाई विभाग, पुलिस, और जिला प्रशासन को मिलाकर एक संयुक्त अभियान चलाया गया। अवैध निर्माण को चिन्हित कर, अपराधियों को नोटिस देकर उनके मकानों को ध्वस्त किया गया। इस एक्शन से सरकार ने कानून व्यवस्था को सख्त करने का संदेश दिया, लेकिन इसे लेकर विवाद भी खूब हुए।
अवैध निर्माण हटाने की प्रक्रिया
सुप्रीम कोर्ट ने अतिक्रमण हटाने के मामले में पहले से ही कड़े आदेश जारी किए हैं। अतिक्रमणकारियों को नोटिस जारी कर अवैध निर्माण हटाने की प्रक्रिया निर्धारित है। शहरी इलाकों में भवन निर्माण के लिए संबंधित विकास प्राधिकरण या निकाय से नक्शा पास कराना अनिवार्य है। बिना नक्शा पास कराए किए गए निर्माण को अवैध माना जाता है।
सड़क चौड़ीकरण और अतिक्रमण पर कार्रवाई
हाल के दिनों में सड़क चौड़ीकरण को लेकर भी सुप्रीम कोर्ट ने दिशा-निर्देश जारी किए हैं। नक्शों के आधार पर सड़क की चौड़ाई का निर्धारण किया जाएगा, और अवैध निर्माण पाए जाने पर अतिक्रमणकर्ता को नोटिस देकर कार्रवाई की जाएगी। अतिक्रमण हटाने से पहले नोटिस जारी करना और आपत्ति दर्ज करने का मौका देना आवश्यक होगा।
आगे की राह
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद योगी सरकार के बुलडोजर एक्शन पर प्रभाव तो पड़ेगा, लेकिन इसे पूरी तरह से रोकने के आदेश नहीं दिए गए हैं। अब देखना होगा कि सरकार किस प्रकार इन नए दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए अपने एक्शन को आगे बढ़ाती है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस फैसले का आगामी चुनावों में असर देखा जा सकता है, क्योंकि यह मुद्दा जनता के बीच गर्मजोशी से चर्चा में है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने सरकार को एक संतुलित रास्ता अपनाने की चुनौती दी है, जिसमें कानून और न्याय के सिद्धांतों का सम्मान करते हुए भी अपराधियों पर नकेल कसी जा सके। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि योगी सरकार इन नए नियमों के तहत बुलडोजर की नीति में क्या बदलाव करती है और इसके क्या राजनीतिक परिणाम होंगे।