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November 21, 2024 11:40 pm

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महज एक फल ही तो तोडी थी…दिव्यांग महिला को पीट पीट कर मार डाला

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चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में एक ह्रदय विदारक घटना सामने आई है, जहां एक दिव्यांग महिला को पड़ोसियों ने सिंघाड़े का फल तोड़ने के मामूली विवाद के चलते बेरहमी से पीट-पीटकर मौत के घाट उतार दिया। घटना के बाद पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और मामले की छानबीन जारी है।

घटना का पूरा विवरण

मृतक महिला की पहचान 30 वर्षीय सुनीता देवी के रूप में हुई है। उनके पति, ओमकार सिंह के अनुसार, यह घटना 8 नवंबर की है। सुनीता देवी अपने पड़ोसियों के बागीचे से सिंघाड़े का फल तोड़कर वापस अपने घर लौट रही थीं। इसी बीच पड़ोसी घर की महिलाओं ने उन पर चोरी का आरोप लगाते हुए हमला कर दिया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हमलावरों ने लाठी-डंडों से सुनीता की बुरी तरह पिटाई की, जिससे उन्हें गंभीर चोटें आईं, खासकर उनके सिर पर गंभीर घाव हुए।

पुलिस की भूमिका पर सवाल

घायल अवस्था में सुनीता के पति ओमकार सिंह उन्हें पुलिस स्टेशन लेकर गए, जहां उन्होंने पुलिस अधिकारियों से मदद की गुहार लगाई। लेकिन, ओमकार का आरोप है कि पुलिस ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया और उन्हें बिना उचित कार्रवाई के वापस भेज दिया। इस घटना के कुछ घंटे बाद ही सुनीता की हालत बिगड़ गई, जिसके बाद उनकी मृत्यु हो गई।

पुलिस की कार्रवाई

घटना की जानकारी मिलते ही शिकारपुर के सर्किल ऑफिसर (सीओ) विकास प्रताप चौहान ने इस मामले को संज्ञान में लिया। उन्होंने बताया कि भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत मंजू देवी और उनकी भतीजी कीर्ति के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है। इसके अलावा, एक अन्य आरोपी नाबालिग होने की वजह से उसकी गिरफ्तारी अलग प्रक्रिया के तहत की गई है।

गांव में दहशत का माहौल

इस घटना के बाद गांव में तनाव और दहशत का माहौल बना हुआ है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह घटना पुलिस प्रशासन की लापरवाही का परिणाम है। यदि समय पर कार्रवाई की गई होती तो शायद सुनीता की जान बचाई जा सकती थी।

परिवार की गुहार

मृतका के परिवार ने न्याय की मांग करते हुए कहा है कि उन्हें न्यायालय से उचित मुआवजा और आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलवाई जाए। उनका कहना है कि पुलिस की निष्क्रियता के कारण उन्हें अपनी पत्नी की मौत का सामना करना पड़ा है।

समाज में बढ़ती हिंसा पर सवाल

इस घटना ने एक बार फिर समाज में बढ़ती असहिष्णुता और कानून व्यवस्था की खामियों को उजागर कर दिया है। जहां एक ओर सरकार महिलाओं की सुरक्षा के दावे कर रही है, वहीं दूसरी ओर ऐसी घटनाएं उन दावों की पोल खोल रही हैं।

बुलंदशहर की यह घटना समाज को आत्ममंथन करने पर मजबूर करती है कि आखिर किस दिशा में जा रहा है हमारा समाज, जहां छोटी-छोटी बातों पर लोग हिंसा पर उतर आते हैं और कानून-व्यवस्था मौन खड़ी रहती है।

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